अनीता हिंदी क्लासिक मूवी, जो सिनेमा घरों में 1 जनवरी 1967 को रिलीज़ हुयी थी। इस क्राइम , सस्पेंस – थ्रिलर मूवी का निर्देशन लेखन राज खोसला ने किया था। मनोज कुमार , साधना और खोसला की तिकड़ी क यह तीसरी सस्पेंस फिल्म थी , इससे पहले वह वो कौन थी ? और मेरा साया बना चुके थे।
इस फिल्म की कहानी हॉलीवुड की 1958 में रिलीज़ हुयी प्लॉट ट्विस्ट फिल्म से प्रेरित थी।
Story Line
इस क्लासिक फिल्म की कहानी शुरू होती है दो युवा नीरज और अनीता के साथ , दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं। और दोनों शादी भी करना चाहते हैं, मगर अनीता के पिता बिहारी लाल को यह मंजूर नहीं होता है। नीरज और अनीता के बीच समाज द्वारा बनाया गया एक बहुत ही बड़ा फासला होता है – जिसे अमीरी और गरीबी कहते हैं।
नीरज गरीब परिवार से ताल्लुकात रखता है तो वहीँ अनीता का परिवार बहुत ही अमीर होता है। इसी वजह से अनीता के पिता इस शादी के विरुद्ध है। मगर अनीता उनकी बात नहीं मानती और नीरज के पास जाकर कोर्ट मैरिज करने की बात करती है। नीरज मान जाता है और वह दोनों शादी करने के लिए कोर्ट जाते हैं। जैसे ही अनीता साइन करने वाली होती है उसके पिता वहां पर आ जाते हैं और दोनों को धमकी देते हैं कि अगर ऐसा कुछ किया तो बहुत बुरा होगा। अनीता डर जाती है और वह बिना शादी किये अपने पिता के साथ घर वापस आ जाती है।
अनीता के पिता उसका विवाह बहुत बड़े बिज़नेस टाइकून अनिल से करना चाहते हैं। अनीता मना कर देती है, मगर पिता के द्वारा धमकाने पर कि वह नीरज को मरवा देंगे , अनीता विवाह के लिए राजी हो जाती है। नीरज अनीता से मिलने की बहुत कोशिशें करता है मगर वह मिलने से इंकार कर देती है।
कुछ समय बाद नीरज को अनीता द्वारा लिखा गया एक पत्र मिलता है। जिसको पढ़कर वह डर जाता है और उसमे लिखी बात का विश्वास नहीं करता और वह अनीता की खबर लेने जाता है मगर उसको कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिलता तो वह खुद ही अनीता की खोज में लग जाता है। क्योकि उस खत में लिखा था कि अनीता ने आत्महत्या कर ली है ।
बहुत खोजने के बाद एक दिन नीरज को अनीता दिखती है और वह वहीँ होती है जहाँ पर खत के अनुसार उसने आत्महत्या की थी। नीरज को परेशां देखकर उसका एक दोस्त उसको छुट्टियां मनाने के लिए शहर से दूर भेज देता है। जहाँ पर एक दिन नीरज को अनीता के रूप में माया की आत्मा दिखती है। पता करने पर नीरज को वहां पर रहने वाले बताते हैं कि माया की मौत तो 20 साल पहले ही हो गयी थी।
वापस लौटते समय भी माया का भूत नीरज को ट्रेन में दिखता है, मगर वह कुछ समझ नहीं पाता। घर पहुंचते ही नीरज को अनीता का पत्र मिलता है जिसमे उसने होटल में मिलने बुलाया है। मगर पुलिस के वहां होने समय से पहले ही नीरज के घर पहुंचकर उसको सब कुछ सच बता देती है।
अनीता बताती है कि अनिल ने अपनी प्रेमिका का क़त्ल वहीँ किया था , जहाँ पर उस खत में लिखा था। और वह खत भी अनिल ने ही भेजा था। वह दोनों उस जगह जाते हैं जहाँ पर अनिल है। अनिल और नीरज में लड़ाई होती है और अनिल दोनों की हत्या करने का प्रयास करता है , मगर वहां पर पुलिस आ जाती है। अनिल भाग जाता है और पीछा करते हुए पुलिस की गोली से उसकी मौत हो जाती है। अंत में अनीता और नीरज मिल जाते हैं।
Songs & Cast –
फिल्म में संगीत लक्समिकान्त प्यारेलाल का है और गाने के बोल लिखे हैं आनंद बक्शी और आरज़ू लखनवी ने और इनसे गीत – : तुम बिन जीवन कैसे बीता “, ” सामने मेरे सांवरिया “, “हर नज़र का इशारा “, “गौरे गौरे चाँद से मुख पर “, “करीब आये ये नज़र “, और इन गीतों को अपनी सुरीली आवाज़ से सजाया है लता मंगेशकर , उषा मंगेशकर और मुकेश ने।
इस फिल्म में अभिनेत्री साधना ने फिल्म के मुख्य किरदार अनीता और माया को एक साथ जीया है। वहीँ दूसरी तरफ मनोज कुमार ने भी अनीता के प्रेमी नीरज को बखूबी निभाया है। इनके साथ फिल्म में नज़र आये किशन मेहता (अनिल शर्मा), सज्जन ( अनीता के पिता ), उल्हास ( पंडित ), चाँद उस्मानी ( वर्षा ) आदि अन्य।
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