Sonaley Jain

Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.

Movie Nurture: पर्दे के पीछे का जादू: बॉलीवुड की अनकही कहानियाँ

1930s… का वो दशक, जब बॉलीवुड “बॉलीवुड” नहीं, “हिंदी सिनेमा” था। चमक-दमक नहीं, संघर्ष था। पर्दे पर जादू दिखता था, पीछे पसीना बहता था। कैमरे चलते थे, तो स्टूडियो में बिजली कट जाती थी। एक्टर नहीं, कलाकार थे। जिन्हें पैसों के लिए नहीं, प्यार के लिए फिल्में करनी पड़ती थीं।Continue Reading

Movie Nnurture: मयूरा (1975): कन्नड़ सिनेमा का वो ऐतिहासिक रत्न जिसने गढ़ी नई परंपरा

साल 1975 भारतीय सिनेमा में ऐतिहासिक फिल्मों का दौर चल रहा था। हिंदी में “शोले” का जलवा था, तो दक्षिण में कन्नड़ सिनेमा ने भी एक ऐसी फिल्म बनाई जिसने न सिर्फ़ इतिहास को ज़िंदा किया, बल्कि दर्शकों के दिल में “मयूरा” के नाम से अमर हो गई। यह फिल्मContinue Reading

Movie Nurture: 1980s की बॉलीवुड फिल्में: जब सिनेमा था जादू जैसा

1980 का दशक। वह दौर जब टेलीविज़न धीरे-धीरे घरों में घुस रहा था, लेकिन सिनेमा हॉल्स अब भी भरे रहते थे। हर शुक्रवार को नई फिल्म रिलीज़ होती, और लोग टिकट के लिए लाइन में लगे नज़र आते। यह वह ज़माना था जब फिल्में “सिर्फ़ मनोरंजन” नहीं, बल्कि जीने काContinue Reading

Movie Nurture: हाउसबोट 1958: बच्चों की नज़र से एक प्यारा सफर

क्या आपने कभी सोचा है कि 1950 के दशक की एक फिल्म, जिसमें सोफिया लॉरन और कैरी ग्रांट जैसे सितारे हों, वह बच्चों के लिए क्यों दिलचस्प हो सकती है? “हाउसबोट” (1958) शायद उन फिल्मों में से एक है जो रोमांस और कॉमेडी के बीच एक पुल बनाती है… औरContinue Reading

Movie Nurture: रमोला देवी: 1940 के दशक की वह चमकती हुई सितारा जिसे इतिहास ने भुला दिया

1940 का दशक, जहाँ  भारत आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था, और बॉलीवुड अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। उस दौर में जब पर्दे पर नूरजहाँ और सुरैया जैसी अभिनेत्रियों का जलवा था, उसी समय एक और नाम भी चमक रहा था—रमोला देवी। यह नाम आजContinue Reading

Movie Nurture: बैंड वैगन (1940): वो ब्रिटिश कॉमेडी जिसने युद्ध के बीच में बिखेरी थी हँसी की चिंगारी

1940 का साल। यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध की आग धधक रही थी, और ब्रिटेन के आसमान पर जर्मन बमवर्षकों के छाये होने के बावजूद, सिनेमाघरों में लोग थोड़ी राहत की तलाश में जुटते थे। ऐसे ही माहौल में आई “बैंड वैगन”—एक ऐसी फिल्म जिसने न सिर्फ़ दर्शकों को हँसाया, बल्किContinue Reading

Movie Nurture: Five Golden Flowers (1959): चीन की वो फिल्म जिसमें खिले थे प्यार और समाजवाद के रंग

साल 1959 की बात है। चीन में ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ का दौर चल रहा था—जहाँ एक तरफ़ लोहे के कारख़ाने धुआँ उगल रहे थे, वहीं सिनेमा के परदे पर एक फिल्म ने प्रेम, संगीत और रंगों की बरसात कर दी। “Five Golden Flowers” (वू जिन हुआ) नाम की यह फिल्मContinue Reading

Movie Nurture: Chinatown (1974): वह फ़िल्म जिसने हॉलीवुड को सिखाया 'अंधेरे में उजाला ढूंढना'

क्या कोई फ़िल्म आपकी ज़िंदगी को बदल सकती है? अगर हाँ, तो रोमन पोलांस्की की “Chinatown” उन चंद फ़िल्मों में से एक है जो आपको यह यकीन दिला देगी कि सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सदमा है—एक ऐसा सदमा जो आपको समाज के उस आईने के सामने खड़ा करContinue Reading

Movie Nurture: घरौंदा: 1977 की एक सदाबहार बॉलीवुड क्लासिक

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे अक्सर बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, सिनेमाई उत्कृष्टता का खजाना रही है। इसकी कई क्लासिक फिल्मों में से, “घरौंदा” (1977) एक मार्मिक कथा के रूप में उभर कर सामने आती है जो प्रेम, महत्वाकांक्षा और सामाजिक अपेक्षाओं की जटिलताओं को उजागर करती है। भीमसेनContinue Reading

Movie Nurture: "ಪ್ರೇಮದ ಕಾಣಿಕೆ"

कन्नड़ फिल्म उद्योग, जिसे सैंडलवुड के नाम से जाना जाता है, ने दुनिया को कई सिनेमाई रत्न दिए हैं। उनमें से, “प्रेमदा कनिके” 1970 के दशक की एक अविस्मरणीय कृति है। 1976 में रिलीज़ हुई यह फिल्म एक ट्रेंडसेटर थी और इसने कन्नड़ फिल्म प्रेमियों के दिलों पर एक अमिटContinue Reading