साइलेंट सिनेमा और लोकेशन का अनोखा रिश्ता: पर्दे के पीछे की कहानी
1920 के दशक की एक सर्द शाम, मुंबई के चांदनी चौक में एक भीड़ जमा है। बीच सड़क पर एक विशाल सफेद कैनवास लटका हुआ है, और उस पर छाया-नट की तरह नाचते हुए काले-सफेद चित्र… यह दृश्य नहीं, ध्वनिहीन सिनेमा का जादू था। उस ज़माने में डायलॉग नहीं होतेContinue Reading