कहा जाता है कि प्रेम अगर पवित्र और सच्चा हो तो वह हर तूफानों का सामना कर सकता है और उसकी शक्ति से प्रेमी अडिग रहते हैं अपने रास्तों पर। ऐसी ही एक तेलुगु फिल्म है जिसने प्रेम की पवित्रता को समझाया है और यह भी बताया है कि चाहे कुछ भी हो जाये प्रेम हमेशा विजयी ही होता है।
“बालराजु ” तेलुगु फिल्म जो 26 फरवरी 1948 को रिलीज़ हुयी थी और इसके निर्माता और निर्देशक दोनों ही Ghantasala Balaramayya हैं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस में सुपर हिट साबित हुयी और यह पहली तेलुगु सीवर जुबली हिट फिल्म बनी।
Story – कहानी शुरू होती है एक बहुत ही दिलचस्प तथ्य से जिसे स्वर्ग लोक कहते हैं , जहाँ पर एक बेहद खूबसूरत देवकन्या मोहिनी जो प्रेम करती है यक्ष से। मगर इंद्र मोहनी की खूबसूरती पर मोहित होकर उससे विवाह करने की इच्छा रखते हैं।
दोनों को अलग करने का बेहद प्रयास किया जाता है , मगर कोई भी मोहिनी और यक्ष को अलग नहीं कर पाता। इससे क्रोधित होकर इंद्र के दूत कुबेर यक्ष को अभिशाप देते हैं मानव के रूप में जन्म ले। और दूसरी तरफ मोहिनी इंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा देती है यह देखकर इंद्र मोहिनी को भी एक श्राप देते हैं कि वह भी मानव रूप में जन्म लेगी और अपने प्रेम के दर्द को हर समय सहन करती रहेगी।
दोनों का जन्म मानव रूप में होता है यक्ष बालराजु के नाम से एक चरवाहे के यहाँ पैदा होता है और मोहिनी कम्मा नायडू को एक खेत में मिलती है जिसका नाम वह सीता रखते हैं। सीता के घर में आने के बाद से ही कम्मा नायडू एक संपन्न व्यक्ति बन गया और उसका मानना होता है कि जब तक सीता उसकी पुत्री उसके साथ है तब तक ही वह संपन्न रहेगा।
सीता बड़ी होने लगती है और जैसे -जैसे वह बड़ी होती जाती है वैसे -वैसे उसकी खूबसूरती की प्रशंसा सभी तरफ फैलने लगती है और उसके लिए विवाह के प्रस्ताव भी आने शुरू हो जाते हैं। यह देखकर कम्मा नायडू बहुत परेशान हो जाता है क्योकि वह नहीं चाहता कि सीता का विवाह हो। इसके लिए वह सीता को गांव के बाहर के जंगल में एक टावर में रखता है।
एक दिन जंगल के रास्ते से होकर चरवाहा बालराजु और उसके दोस्त गुजरते हैं और अपनी बासुरी पर किसी के संगीत की सुरीली आवाज़ से मुग्ध होकर वह उसे ढूढ़ने निकलते हैं और उनकी मुलाकात सीता से होती है। दोनों एक दूसरे को पहचानने की कोशिश करते हैं मगर अभिशाप के कारण नहीं पहचान पाते। मगर उनको दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता होने का आभास होता है।
समय बीतता जाता है और दोनों हर रोज़ एक दूसरे से मिलते हैं और बिछड़ने के बाद सिर्फ एक दूसरे के बारे में सोचते रहते हैं। धीरे – धीरे बालराजु और सीता एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं और उन दोनों की याद्दाश्त भी वापस आ जाती है। इंद्र फिर से इन दोनों को अलग करने की बहुत कोशिश करते हैं मगर ऐसा फिर से हो नहीं पाता।
यह सब देखकर सीता को अत्यंत क्रोध आता है और सीता जैसे ही सभी देवताओं के सामने इंद्रा को श्राप देने के लिए अपना मुख खोलती है वैसे ही इंद्र अपने ाप्रद की क्षमा मांग लेते हैं और दोनों को स्वर्गलोक में रहने का प्रस्ताव भी देते हैं मगर दोनों ही मना कर देते हैं और धरती पर ही ख़ुशी से रहने की इच्छा जाहिर करते हैं। इंद्र भी सच्चे प्रेम की परिभाषा समझ कर वापस देवलोक लोट जाते हैं और फिल्म का अंत हो जाता है।
Songs & Cast – इस फिल्म में 19 गाने हैं और सभी गाने 1 मिनट्स से लेकर 5 मिनट्स तक की अवधि के हैं। इसका संगीत गलिपेनचला नरसिम्हा राव और घंटसला ने दिया है। “हे बलराज प्रेमे येरुगावा ఓ బలరాజా ప్రేమ్ యెరుగవ “, “हे बलराज जली लेदा ఓ బలరాజా జలి లేడా“, “नेकु नेवरु लेरू నీకు నెవారు లేరు“, “वरुण वरुण వరుణ వరుణ“, “वीरे लेरया परमेस्सा వెరే లెరాయ పరమేషా“, “चूड़ा चककानी चिन्नाड़ी చుడా చక్కని చిన్నది“, “तेयनि वेनेला री తీయాని వెన్నెల రేయి“, “चेलिया कनारव చెలియా కనరవ” और फिल्म में गायक के रूप में S. Varalakshmi, Ghantesala, V. Sarala Rao, Seetaram जैसे गायकों ने गाया है।
इस फिल्म को उस समय के प्रसिद्ध कारकारों ने अपनी अदाकारी से संजोया है – अक्किनेनी नागेश्वर राव ( बालराजु) , एस वरलक्ष्मी (सीता ), अंजलि देवी ( मोहिनी ), कस्तूरी शिवा राव , डी सदाशिव राव (इन्द्र ) और अन्य सभी कलाकारों ने बेहद उम्दा अभिनय किया है।
इस फिल्म की अवधि 2 घंटे और 43 मिनट्स (163 मिनट्स ) हैं और यह फिल्म प्रतिभा प्रोडक्शन बैनर के तहत बनी है।
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