दाना वीरा सूरा कर्ण एक ऐतिहासिक तेलुगु सुपरहिट फिल्म है, जिसका निर्देशन और लेखन एन.टी. रामा राव ने किया और इसका निर्माण उन्ही के बैनर रामकृष्ण सिने स्टूडियो के तहत हुआ था। यह फिल्म सिनेमा घरों में 14 जनवरी 1977 को आयी थी। इस ऐतिहासिक फिल्म में रामा राव ने तीन भूमिकाएं निभाई है – कर्ण ,दुर्योधन और कृष्ण। स फिल्म के बनने की लागत 10 लाख रुपये थी और इसने कमाई 2 करोड़ रुपये की। यह फिल्म तेलुगु सिनेमा की सबसे महान फिल्मों में से एक मानी जाती है।
Story Line
इस महान ऐतिहासिक फिल्म की कहानी शुरू होती है सारथी अधिरथ से जिन्होंने एक बार एक छोटे से बालक को गंगा नदी में डूबने से बचाया था। और वह उसका नाम कर्ण रखते हैं। कुछ वर्षों बाद कर्ण को किसी के द्वारा पता चलता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को धनुर्धर बनाने के लिए एकलव्य के अंगूठे की मांग की थी गुरुदक्षिना में एकलव्य से। इस अन्याय के खिलाफ अर्जुन को हारने के लिए कर्ण प्रण लेता है।
कर्ण एक तीरंदाज़ बनने के लिए पशुराम से शिक्षा ग्रहण करता है। एक दिन जब पशुराम अपने शिष्य की गोद में विश्राम कर रहे थे तो उस समय इंद्र एक कीड़ा बनकर कर्ण को काट लेते हैं। मगर कर्ण अपने गुरु की निंद्रा में विघ्न ना होने की वजग से उस दर्द को सह जाते हैं। पशुराम जागते हैं और खून से लथपथ कर्ण को देखकर उसको आगे की शिक्षा ना देने का सोचते हैं। बाद में उन्हें कर्ण के सूत पुत्र होने का पता चलता है।
कुछ समय बाद द्रोणाचार्य द्वारा हस्तिनापुर में एक तीरंदाज़ी प्रतियोगिता का आयोजन होता है , जहाँ पर अर्जुन को विजेता घोषित किया जाता है। मगर उसी समय कर्ण द्वारा अर्जुन को चुनौती दी जाती है। मगर सूत पुत्र होने के कारण उसका बहुत ही अपमान किया जाता है। दुर्योधन शूरवीर कर्ण को अंग का राजा बना कर मित्रता की पेशकश करता है। कर्ण अपना जीवन दुर्योधन को समर्पित करके इस मित्रता को स्वीकार कर लेते हैं।
कौरवों और पांडवों का युद्ध घोषित होता है। कर्ण दुर्योधन का साथ देता है। मगर सेनापति भीष्म को जब उसके सूतपुत्र होने का पता चलता है तो वह उसका बहुत ही अपमान करते हैं। अपमानित होकर कर्ण प्रण लेता है कि वह जब तक भीष्म पितामह युद्ध भूमि में होने तब तक वह वह युद्ध भूमि में प्रवेश नहीं करेगा। यश शुरू होता है और बहुत जल्द ही भीष्म पितामह तीरों की शय्या पर आ जाते हैं और युद्ध करने में असमर्थ होते हैं, तब कर्ण युद्धभूमि में प्रवेश करता है।
वहीँ दूसरी तरफ अभिमन्यु भी पांडवों के सम्मान की रखा के लिए युद्धभूमि में प्रवेश करता है और अतिशीघ्र वह कौरवों की बहुत सारी सेना को ख़तम कर देता है। दुर्योधन द्वारा कर्ण को अभिमन्यु को रोकने का आदेश आता है। शूरवीर कर्ण द्वारा अभिमन्यु को मार गिराया जाता है। उस रात अभिमन्यु की मृत्यु पर कर्ण को बहुत दुःख होता है और वह उसी क्षण मरने की इच्छा जाहिर करता है।
दूसरे दिन सुबह श्रीकृष्ण के आग्रह पर कुंती कर्ण से मिलने जाती है और वह कर्ण से पांडवों का साथ देने के लिए आग्रह करती है। मगर कर्ण अपनी माता को इस विनाश का जिम्मेदार ठहरता है और अर्जुन को छोड़कर किसी भी पांडव को ना मरने की कसम खाता है। युद्ध में कर्ण अर्जुन को मारने का प्रयास श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को बचा लिया जाता है। कृष्ण ने इंद्र को एक ब्राह्मण बनाकर कर्ण से उसका कवच प्राप्त कर लिया था। मगर कर्ण के पास इंद्र द्वारा दिया गया एक और दिव्य हतियार होता है जिसका उपयोग सिर्फ एक बार ही हो सकता है और कर्ण वह अर्जुन को मारने में करना चाहता है। मगर कृष्ण और इंद्र इसका उपयोग कर्ण से रात्रि में हुए एक हमले में करवा देते हैं।
अगले दिन युद्धभूमि में अर्जुन द्वारा कर्ण का पतन हो जाता है और कुंती की गोद में कर्ण की मृत्यु हो जाती है और उसकी आत्मा सूर्य देव में प्रवेश कर जाती है। मित्र की मत्र्यु से दुर्योधन टूट जाता है और शीघ्र उसकी भी मृत्यु हो जाती है। फिल्म का अंत दुर्योधन और कर्ण की पवित्र मित्रता को दिखाकर समाप्त हो जाता है।
Songs & Cast
इस फिल्म का संगीत पेंड्याला नागेश्वर राव ने दिया है और गीतों को सी. नारायण रेड्डी ने लिखा है – “ये थल्ली निनु कन्नधो యే తల్లి నిను కన్నధో “, “जयभव विजयीभव జయభావ విజయభవ”, “चित्रम भलारे विचित्रम చిత్రమ్ భలారే విచిత్రామ్ “, “रारा इतु रारा రారా ఇటు రారా “, “अन्ना देवुदु लेढाना అన్నా దేవుడు లెధన “, “इधिरा धोरा मधिरा ఇదిరా ధోరా మాధీరా”, “येला संथापम्मू యేల సంతపమ్ము “,”कलागंतिनो स्वामी కలగంటినో స్వామి” और इन गीतों को सी. नारायण रेड्डी, पी. सुशीला, एस. जानकी,एस. पी. बालू, जी. आनंदी और वी. रामकृष्ण: ने गाया है
ऐतिहासिक तेलुगु फिल्म में एन.टी. रामा राव ने तीन भूमिकाये निभाई है कर्ण , श्रीकृष्ण और दुर्योधन की , इन तीनो भूमिकाओ के साथ उन्होंने पूरा न्याय किया है। अर्जुन और अभिमन्यु का किरदार रामा राव के बेटों नंदमुरी हरिकृष्णा और नंदमुरी बालकृष्ण ने निभाया है। भीम के रूप में सत्यनारायण दिखे और अन्य कलाकारों में एस वरलक्ष्मी ( कुंती ), गुम्मदी वेंकटेश्वर राव ( पशुराम ), धूलिपाल सीताराम शास्त्री ( शकुनि ), मिक्कीलिनेनी (भीष्म ) और राजनाला ( द्रोण )
Review
दाना वीरा सूरा कर्ण एक ऐतिहासिक और ब्लॉकबस्टर कलर्ड फिल्म , जिसका प्रीमियर 14 जनवरी 1977 को 14 सिनेमाघरों में हुआ था क्योकि इस फिल्म को 12 जनवरी को ही अप्रूवल मिला था सेंसर बोर्ड से , तो इतनी जल्दी इस फिल्म की कॉपी नहीं बन पायी थी। यह फिल्म तेलुगु सिनेमा की लव कुश के बाद दूसरी ऐसी फिल्म थी जिसने 1 करोड़ रूपए से ज्यादा की कमाई की थी।
एक ऐतिहासिक फिल्म को बनाना और अभिनय करना दोनों ही बहुत मुश्किल काम होता है मगर एन.टी. रामा राव ने जितना अच्छा इसका निर्देशन किया है उतनी ही अच्छी एक्टिंग भी की है।उन्होंने तीनो अलग -अलग कॅरेक्टर को बहुत ही अच्छे से दिखाया है फिल्म में।
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