अफसर 1950 में रिलीज़ हुई एक क्लासिक बॉलीवुड फिल्म है, जिसका निर्देशन चेतन आनंद ने किया है और इसमें देव आनंद, सुरैया और कुलदीप कौर ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। यह फिल्म प्यार, कॉमेडी और सामाजिक मुद्दों की दिल को छू लेने वाली कहानी है जो अपने समय से काफी आगे थी।
यह फिल्म निकोलाई गोगोलके एक प्रसिद्ध नाटक द गवर्नमेंट इंस्पेक्टर पर आधारित है। यह फिल्म नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले बनी पहली फिल्म थी और यह बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। 122 मिनट्स की यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म 6 जनवरी 1950 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुयी थी।
Story line
फिल्म की कहानी शुरू होती है ब्रिटिश साम्राज्य के अंत के समय से , जहाँ वह पूरे भारत के गांव की संपत्ति का सही आंकलन करने के लिए हर जगह अपने गुप्त लोग हायर कर रहे थे। कपूर नामक एक शहरी युवक, जो नौकरी ना मिलने की वजह से काफी समय से बेरोजगार है। और वह इस बात से अनभिज्ञ है कि गांव में ऐसा कुछ हो रहा है।
अपनी जीविका के लिए कपूर एक छोटे से गांव में जाता है और वहां पर एक डिस्पेंसरी खोलता है। उसकी एक्टिविटी पर गांव वालों को शक होता है और उनको लगता है कि कपूर वही जासूस है जिसको ब्रिटिश सरकार ने भेजा है। उसके बाद सब उससे दूरी बढ़ाना शुरू कर देते हैं।
मगर गांव का जमींदार कपूर को अपनी हवेली में रहने के लिए बुलाता है, खुद की संपत्ति बचाने की मंशा से। कपूर हवेली में ही रहता है और जमींदार की बेटी बिमला से दोस्ती और फिर प्यार कपूर इन सबसे बहुत खुश होता है। मगर जल्द ही उसको सारी सच्चाई पता चल जाती है। दबाव में आकर कपूर एक चिट्ठी लिखता है अपने दोस्त को और उसमे सभी गांव वालों की बहुत बुराई करता है और यह भी बताता है कि किस तरह उन्होंने उसको गलत समझ लिया है। यह चिट्ठी जमींदार के पास आती है और इसको पढ़ने के लिए गांव में सभा बुलाई जाती है।
कपूर बिमला को पहले ही सब सच बता चुका होता है और वह दोनों गांव से भागने का प्रयास करते हैं और अंत में सच जानकर वहां गांव वाले भी आ जाते हैं और कपूर को अपना लेते हैं।
Subject matter
फिल्म अफसर कई विषयों को दर्शाती है, जिसमे ब्रिटिश सरकार द्वारा किये गए अत्याचार, संपत्ति पर कब्ज़ा, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी शामिल है। फिल्म बेरोजगारी दूर करने के लिए जीवन में करने वाले संघर्षों को चित्रित करती है।
Acting Side
देव आनंद कपूर के रूप में असाधारण प्रदर्शन देते हैं, चरित्र के आदर्शवाद और दृढ़ संकल्प को ईमानदारी और आकर्षण के साथ चित्रित करते हैं। बिमला की तरह सुरैया भी उतनी ही प्रभावशाली हैं, जो एक चरित्र में गहराई और बारीकियां लाती हैं, जिसे आसानी से एक आयामी प्रेम रुचि में लाया जा सकता है।
अफसर एक क्लासिक बॉलीवुड फिल्म है जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है। प्रेम, कॉमेडी और सामाजिक मुद्दों के इसके विषय आज भी उतने ही प्रचलित हैं जितने कि 1950 में थे। फिल्म के दमदार प्रदर्शन, अच्छी तरह से तैयार की गई साजिश और यादगार किरदार इसे पुराने बॉलीवुड सिनेमा के प्रशंसकों के लिए जरूरी बनाते हैं।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.