आशा सुंदरी ಆಶಾಸುಂದರಿ एक कन्नड़ फिल्म है जो 17 सितम्बर 1960 में दक्षिण सिनेमा में आयी थी और आते ही इसने बॉक्स ऑफिस में सुपर हिट फिल्म का ख़िताब हासिल किया। इस फिल्म का निर्देशन हुंसुर कृष्णमूर्ति ने किया था और यह एस भवन्नारायण द्वारा लिखित और निर्मित की गयी। उसी समय हुंसुर कृष्णमूर्ति द्वारा यह फिल्म तेलुगु भाषा में भी बनायीं थी राम सुंदरी के नाम से।
इस फिल्म में निर्देशक ने नारी शक्ति को बताने की कोशिश की है कि किस तरह नारी अपनी सोच और समझदारी और अपनी अडिगता से अपने प्रेम को वापस ले आती है वह अपने सामने भगवन को भी सोचने और अपना फैसला बदलने पर मज़बूर कर सकती है।
Story – फिल्म की कहानी की शुरुवात होती है स्वर्ग लोक से जहाँ पर एक यक्ष एक यक्षिणी मित्रविन्दा से प्रेम करता है और उससे विवाह करना चाहता है। मगर मित्रविन्दा को विवाह के बारे में सोचने की लिए समय चाहिए होता है और वह उसके बाद पृथ्वी लोक में भ्रमण करने चली आती है जहाँ वह देखती है कि एक शिव मंदिर में एक राजकुमारी हेमलता नृत्य कर रही है अपनी सखियों के साथ। वह रुक जाती है और नृत्य में अपना योगदान देती है उन सभी के साथ।
मित्रविन्दा राजकुमारी हेमलता की अच्छी दोस्त बन कर पृथ्वी लोक से चली जाती है। राजकुमारी अपने महल वापस आ जाती है और दूसरी तरफ एक राजकुमार अपने सपनो की लड़की का चित्र अपने मित्र को दिखाता है और यह निर्णय लेता है कि विवाह तो वह सिर्फ इसी से ही करेगा। उधर दूसरी तरफ मित्रविन्दा राजकुमारी से मिलने आती है और दोनों अपनी दोस्ती को उम्रभर निभाने के लिए प्रण लेती है कि वह दोनों की कभी भी विवाह नहीं करेंगी।
एक दिन राजकुमार भ्रमण करते करते राजकुमारी के महल के बाग़ तक पहुँच जाता है और वहां पर वह राजकुमारी को अपनी सखियों के साथ देखता है और उस पर मोहित हो जाता है और वह रजकुमारी हेमलता से संपर्क करने की बहुत कोशिश करता है मगर हर बार वह असफल होता है। यक्ष राजकुमार का मित्र उसकी सहायता करता है राजकुमारी से मिलने की उसके बाद हेमलता को भी धीरे -धीरे राजकुमार से प्रेम हो जाता है। मित्रविन्दा धरती पर आती है अपनी दोस्त से मिलने और वह जब दोनों के एक साथ प्रेम में लीन देखती है तो वह राजकुमारी हेमलता पर बहुत नाराज़ होती है और वह राजकुमारी को बताती है कि ऐसा नहीं हो सकता है और वह राजकुमार को पागल बना देती है और राजकुमार सब कुछ भूल जाता है।
जब यह बात राजा को पता चलती है तो वह राज कुमार को दंड देने के लिए अपने सैनिको को आदेश देते हैं कि वह राजकुमार को जंगल में ले जाकर उसकी हत्या कर दे. मगर जंगल में राजकुमार का मित्र आकर सैनिकों से उसको बचा लेता है। उधर जब राजकुमारी को यह बात पता चलती है तो वह राजकुमार को ढूंढने जंगल में जाती है, जहाँ पर उसकी मुलाकात राजकुमार के मित्र यक्ष से होती है और जिसकी मदद से वह राजकुमार की याद्दाश्त लाने की कोशिशें करती है, मगर ऐसा नहीं होता और राजकुमार को कुछ भी याद नहीं आता। श्राप के प्रभाव से राजकुमार एक बच्चे में परिवर्तित हो जाता है।
राजकुमारी उस शिशु के साथ महल में वापस आ जाती है और यह देखकर राजा बहुत क्रोधित होते हैं राजकुमारी पर, और जैसे वह अपनी पुत्री को दंड देने के लिए खड़े होते हैं वैसे ही राजकुमारी अपनी पूरी गाथा सभी को सुनाती है और भगवान से सब कुछ ठीक करने का आग्रह करती है और कुछ ही समय बाद भगवान के आशीर्वाद से वह शिशु राजकुमार में बदल जाता है और राजा अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार से कर देते हैं।
Songs & Cast – इस फिल्म में सुसरला दक्षिणामूर्ति ने संगीत दिया है और उन्होंने इस फिल्म को 11 खूबसूरत और सुपरहिट गानों से सजाया है – “जया जया गंगाधारा ಜಯ ಜಯ ಗಂಗಾಧರ”, “ओह सखी ಓ ಸಖಿ”, “अमृतमय ई स्नेहा ಅಮೃತಮಯ ಇ ಸ್ನೇಹ”, “चित्तव केनाकिद ಚಿತ್ತವ ಕೆನಕಿಡ್ “, “जो जो राजकुमारी ಜೋ ಜೋ ರಾಜಕುಮಾರ”, “अकालंका नेनेन्दु ಅಕಲಂಕಾ ನೀನೆಂಡು”, “गुटेन्टाइड गत्ती माथु ಗುಟ್ಟನೈಡ್ ಗಟ್ಟಿ ಮಾಥು”, “सागीबा राजा ಸಾಗಿಬಾ ರಾಜಾ”, “हे राजकुमारी ಓ ರಾಜಕುಮಾರಿ”, “श्रृंगारा सायरे ಶ್ರುಂಗರಾ ಸಾರೆ”, “नीला मेघा गालियाओल ನೀಲಾ ಮೇಘಾ ಗಲಿಯೋಲ್” और इन गानों को आवाज़ दी है पी सुशीला , एस जानकी, पी वी श्रीनिवासन और घण्टासाला ने।
इस फिल्म में सुपरहिट कलाकारों ने अपनी अदाकारी से सब के दिलों में एक जगह बनायीं है इस फिल्म के द्वारा -राजकुमार , कृष्णाकुमारी , हरिणी, राजश्री, कांता राव, हेमलता, रामचंद्र शेट्टी और नर्सिम्हाराजू।
इस फिल्म की अवधि मात्र 2 घंटे और 21 मिनट्स है (141 मिनट्स ) और इस फिल्म का निर्माण हुआ था गौरी प्रोडक्शन्स के तहत।