Bollywood

1920 के दशक की एक सर्द शाम, मुंबई के चांदनी चौक में एक भीड़ जमा है। बीच सड़क पर एक विशाल सफेद कैनवास लटका हुआ है, और उस पर छाया-नट की तरह नाचते हुए काले-सफेद चित्र… यह दृश्य नहीं, ध्वनिहीन सिनेमा का जादू था। उस ज़माने में डायलॉग नहीं होतेContinue Reading

Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

सुबह के चार बजे। बंबई के दादर इलाके में एक मकान के बाहर बैलगाड़ी रुकी। ड्राइवर ने ढेर सारे लकड़ी के डिब्बे उतारे—कुछ में बल्ब थे, कुछ में कांच के प्लेट, और एक में तारों का गुब्बारा। अंदर, एक युवक ने हाथ से क्रैंक किए जाने वाले कैमरे को साफ़Continue Reading

Movie Nurture: 1940 का दशक: बॉलीवुड सिनेमा की वह उथल-पुथल जिसने रचा इतिहास

साल 1942 की एक गर्म रात, बम्बई के मोहन स्टूडियो के सेट पर बल्बों की रोशनी में एक कैमरामैन पसीना पोंछते हुए बुदबुदाया, “फिल्म स्टॉक ख़त्म हो रहा है, साहब। युद्ध के कारण इम्पोर्ट बंद है।” निर्देशक के. आसिफ़ ने चुपचाप अपनी पगड़ी सिर पर सही की और बोले, “तोContinue Reading

Movie Nurture:मिस्टर एंड मिसेज़ '55": 1950 के दशक की वह फिल्म जिसने प्यार और पर्दे के पीछे की राजनीति को एक साथ बुना

अगर आपसे कोई पूछे कि 1950 के दशक की वह बॉलीवुड फिल्म कौन सी है जिसमें मधुबाला की मासूमियत, गुरु दत्त का व्यंग्य, और समाज की दोहरी मानसिकता पर एक तीखा प्रहार हो… तो जवाब होगा — “मिस्टर एंड मिसेज़ ’55”। यह फिल्म सिर्फ़ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं, बल्कि उसContinue Reading

Movie Nurture: 1980s की बॉलीवुड फिल्में: जब सिनेमा था जादू जैसा

1980 का दशक। वह दौर जब टेलीविज़न धीरे-धीरे घरों में घुस रहा था, लेकिन सिनेमा हॉल्स अब भी भरे रहते थे। हर शुक्रवार को नई फिल्म रिलीज़ होती, और लोग टिकट के लिए लाइन में लगे नज़र आते। यह वह ज़माना था जब फिल्में “सिर्फ़ मनोरंजन” नहीं, बल्कि जीने काContinue Reading

Movie Nurture: रमोला देवी: 1940 के दशक की वह चमकती हुई सितारा जिसे इतिहास ने भुला दिया

1940 का दशक, जहाँ  भारत आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था, और बॉलीवुड अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। उस दौर में जब पर्दे पर नूरजहाँ और सुरैया जैसी अभिनेत्रियों का जलवा था, उसी समय एक और नाम भी चमक रहा था—रमोला देवी। यह नाम आजContinue Reading

Movie Nurture: घरौंदा: 1977 की एक सदाबहार बॉलीवुड क्लासिक

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे अक्सर बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, सिनेमाई उत्कृष्टता का खजाना रही है। इसकी कई क्लासिक फिल्मों में से, “घरौंदा” (1977) एक मार्मिक कथा के रूप में उभर कर सामने आती है जो प्रेम, महत्वाकांक्षा और सामाजिक अपेक्षाओं की जटिलताओं को उजागर करती है। भीमसेनContinue Reading

Movie Nurture: Old Bollywood Music

पुराना बॉलीवुड संगीत खूबसूरत गानों से भरा एक ख़ज़ाना है जो हमें समय में वापस ले जाता है। ये गाने आज भी दादा-दादी से लेकर बच्चों तक सभी उम्र के लोगों को पसंद आते हैं। ये हमें भारतीय सिनेमा के सुनहरे दिनों की याद दिलाते हैं, जब संगीत ने फ़िल्मोंContinue Reading

Movie Nurture: शोले की भावनात्मक यात्रा: रमेश सिप्पी की निर्देशन कला का उत्कृष्ट उदाहरण

शोले (1975) भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह सिर्फ एक साधारण एक्शन फिल्म नहीं है, बल्कि इसकी गहराई में कई भावनात्मक आयाम जुड़े हुए हैं। रमेश सिप्पी के निर्देशन में यह फिल्म न केवल अपनी कहानी बल्कि उसके पात्रों की भावनात्मक यात्रा के कारण भीContinue Reading

Movie Nurture:क्लासिक बॉलीवुड में गीत: टाइमलेस गीतों के माध्यम से एक यात्रा

भारत का हिंदी-भाषा फिल्म उद्योग बॉलीवुड अपनी रंगीन फिल्मों, बड़े-से-बड़े चरित्रों और निश्चित रूप से अपने अविस्मरणीय गीतों के लिए जाना जाता है। 1940 से 1970 के दशक तक, जिसे अक्सर बॉलीवुड का “स्वर्ण युग” माना जाता है, गीतों ने इन गीतों को इतना यादगार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।Continue Reading