भारत में साइलेंट फिल्मों को कैसे संरक्षित किया जा रहा है?
कल्पना कीजिए, एक धुंधली सी स्क्रीन पर छाया-छवियाँ नाच रही हैं। कोई डायलॉग नहीं, सिर्फ़ एक पियानो या हारमोनियम की धुन, और कभी-कभी दर्शकों की सामूहिक सांसों की आवाज़। ये थीं भारत की मूक फिल्में, जिन्होंने हमारे सिनेमा की नींव रखी। लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि जब आजContinue Reading