क्लासिक भारतीय फिल्मों पर वर्षों से रिसर्च‑बेस्ड रिव्यू लिखते हुए “Raj Nartaki (1940)” हमेशा उन टाइटल्स में गिना गया है, जिन्हें ज़्यादातर दर्शक नाम से […]
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दुनिया दोस्ती पर क्यों फिदा है? बॉलीवुड की timeless friendship कहानियाँ
दोस्ती की कहानियों पर दुनिया इसलिए फिदा है क्योंकि इंसान की सबसे गहरी जरूरत “किसी का अपना होना” है – और बॉलीवुड ने दशकों से […]
यहूदी 1958: एक ऐतिहासिक महाकाव्य जो प्रेम और सहिष्णुता की अमर गाथा है
बॉलीवुड के स्वर्णिम दौर की बात हो और 1958 का ज़िक्र न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। यह वह दौर था जब पर्दे पर […]
1930s के जमाने में स्पॉट बॉयज़ का जीवन: 5 मुख्य काम जो आज भी नहीं बदले
सोचिए ज़रा… 1930 का दशक। बॉम्बे टॉकीज़ का ज़माना। सिनेमा घरों में ब्लैक एंड वाइट फिल्मों का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। परदे पर […]
धर्मेंद्र: द ही-मैन ऑफ बॉलीवुड जिसके जबरदस्त एक्शन के आगे उसकी कोमल आवाज़ भी फीकी पड़ गई
अगर आपसे पूछा जाए कि बॉलीवुड का “असली एक्शन हीरो” कौन है, तो बिना किसी हिचकिचाहट के एक नाम ज़ुबान पर आएगा – धर्मेंद्र। लेकिन […]
नवरंग (1959): रंगों का वह ख्वाब जो आज भी महकता है
कभी-कभी टीवी चैनल बदलते हुए या ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की गहराइयों में खोज करते हुए हमारी नज़र किसी ऐसी फिल्म पर पड़ जाती है जो […]
1960 का सुनहरा दौर: प्यार, कुर्बानी और इज़्ज़त की बॉलीवुड कहानियाँ
कल्पना कीजिए उस ज़माने की, जब सिनेमा हॉल में घुसते ही आपको महसूस होता था कि आप सिर्फ एक फिल्म नहीं देखने जा रहे, बल्कि […]
केवल प्रेम कहानी नहीं—‘अनमोल घड़ी’ में छुपा समाज और वर्ग का संदेश!
कल्पना कीजिए। साल 1946। देश आज़ादी की लड़ाई के आख़िरी दौर से गुज़र रहा है। हर तरफ उथल-पुथल, अनिश्चितता और बदलाव की हवा बह रही […]
हर फिल्म की एक अधूरी कहानी होती है
कभी सोचा है? आखिरी सीन खत्म होता है, थिएटर की लाइट्स जलती हैं, और आप उठकर चलने लगते हैं… पर मन में एक खलिश सी […]
1950 का दशक: वो समय जब बॉलीवुड की हर फ़्रेम ने रचा इतिहास!
साल 1952 की बात है, सिनेमाघरों में पहली बार रंगीन रोशनी दिखी । दर्शकों ने देखा मीना कुमारी सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर “आन” की […]