Bollywood

Movie Nurture: Slient Cinema

कल्पना कीजिए, एक धुंधली सी स्क्रीन पर छाया-छवियाँ नाच रही हैं। कोई डायलॉग नहीं, सिर्फ़ एक पियानो या हारमोनियम की धुन, और कभी-कभी दर्शकों की सामूहिक सांसों की आवाज़। ये थीं भारत की मूक फिल्में, जिन्होंने हमारे सिनेमा की नींव रखी। लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि जब आजContinue Reading

Movie Nurture: दिलीप कुमार

किसी अभिनेता की महानता का पैमाना क्या है? क्या वो हिट फ़िल्में हैं, पुरस्कारों का ढेर, या फिर दर्शकों के दिलों पर छोड़ी गई वो अमिट छाप जो दशकों बाद भी धुंधलाती नहीं? युसुफ़ ख़ान… जिन्हें दुनिया दिलीप कुमार के नाम से जानती है, उनके लिए ये सारे पैमाने छोटेContinue Reading

Movie Nurture: आशीर्वाद (1968

कल्पना कीजिए एक घर जहाँ दीवारों पर पुराने चित्र लटके हैं, हवा में हल्की खुशबू है गुलाबजल की, और बैठक में बूझे हुए सिगार की राख जमी है। यह वह दुनिया है जिसमें हृषिकेश मुखर्जी की आशीर्वाद (1968) आपको ले जाती है—एक ऐसी फिल्म जो न सिर्फ़ परिवार के बंधनोंContinue Reading

Movie Nurture: Comedy

हँसी का जादू कुछ ऐसा है कि यह दिल के ताले को खोल देती है, और भारतीय सिनेमा व टेलीविज़न ने इस जादू को बिखेरने वाले कलाकारों की एक लंबी फेहरिस्त गढ़ी है। ये वो चेहरे हैं जिनकी एक अदा, एक डायलॉग, या एक मासूम सी भंगिमा ने दर्शकों कोContinue Reading

Movie Nurture: राजेश खन्ना की १० सबसे बेहतरीन फ़िल्में: एक सदाबहार सफर

1970 का दशक हो या आज का समय, राजेश खन्ना का नाम सुनते ही दिल में एक अजीब सी धड़कन पैदा हो जाती है। वो अदाकार जिसने पहली बार “सुपरस्टार” शब्द को परिभाषित किया, जिसके लिए महिलाएं शादीशुदा होकर भी उसकी फिल्मों के पोस्टरों पर चूमा करती थीं, और जिसकीContinue Reading

1920 के दशक की एक सर्द शाम, मुंबई के चांदनी चौक में एक भीड़ जमा है। बीच सड़क पर एक विशाल सफेद कैनवास लटका हुआ है, और उस पर छाया-नट की तरह नाचते हुए काले-सफेद चित्र… यह दृश्य नहीं, ध्वनिहीन सिनेमा का जादू था। उस ज़माने में डायलॉग नहीं होतेContinue Reading

Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

सुबह के चार बजे। बंबई के दादर इलाके में एक मकान के बाहर बैलगाड़ी रुकी। ड्राइवर ने ढेर सारे लकड़ी के डिब्बे उतारे—कुछ में बल्ब थे, कुछ में कांच के प्लेट, और एक में तारों का गुब्बारा। अंदर, एक युवक ने हाथ से क्रैंक किए जाने वाले कैमरे को साफ़Continue Reading

Movie Nurture: 1940 का दशक: बॉलीवुड सिनेमा की वह उथल-पुथल जिसने रचा इतिहास

साल 1942 की एक गर्म रात, बम्बई के मोहन स्टूडियो के सेट पर बल्बों की रोशनी में एक कैमरामैन पसीना पोंछते हुए बुदबुदाया, “फिल्म स्टॉक ख़त्म हो रहा है, साहब। युद्ध के कारण इम्पोर्ट बंद है।” निर्देशक के. आसिफ़ ने चुपचाप अपनी पगड़ी सिर पर सही की और बोले, “तोContinue Reading

Movie Nurture:मिस्टर एंड मिसेज़ '55": 1950 के दशक की वह फिल्म जिसने प्यार और पर्दे के पीछे की राजनीति को एक साथ बुना

अगर आपसे कोई पूछे कि 1950 के दशक की वह बॉलीवुड फिल्म कौन सी है जिसमें मधुबाला की मासूमियत, गुरु दत्त का व्यंग्य, और समाज की दोहरी मानसिकता पर एक तीखा प्रहार हो… तो जवाब होगा — “मिस्टर एंड मिसेज़ ’55”। यह फिल्म सिर्फ़ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं, बल्कि उसContinue Reading

Movie Nurture: 1980s की बॉलीवुड फिल्में: जब सिनेमा था जादू जैसा

1980 का दशक। वह दौर जब टेलीविज़न धीरे-धीरे घरों में घुस रहा था, लेकिन सिनेमा हॉल्स अब भी भरे रहते थे। हर शुक्रवार को नई फिल्म रिलीज़ होती, और लोग टिकट के लिए लाइन में लगे नज़र आते। यह वह ज़माना था जब फिल्में “सिर्फ़ मनोरंजन” नहीं, बल्कि जीने काContinue Reading