Chandrakantham ചന്ദ്രകണ്ഠം एक मलयालम फिल्म है और यह केरल के सिनेमा घरों में 26 फरवरी 1974 को रिलीज़ हुयी थी। इसका निर्देशन श्रीकुमारन थंपी ने किया था और यह उनके द्वारा लिखित और निर्देशित पहली फिल्म है।
इस फिल्म को उस वर्ष कई सारे अवार्ड्स से भी नवाज़ा गया। Chandrakantham शब्द के 9 अर्थ Divine, God, Goodness, Truth, Unconditional love, Gift, Free will, Ideal, Whole, Endless होते हैं। इस फिल्म में यह बताया गया है कि किस तरह दोनों भाइयों का एक दूसरे के लिए प्रेम अनन्त होता है दोनों की एक दूसरे की खुशियों के लिए अपना जीवन तक बरबाद कर देते हैं।
Story – फिल्म की कहानी शुरू होती है दो भाइयों विनयन और अजयन के साथ, विनयन बड़ा भाई अपने छोटे भाई अजयन का बहुत ही ध्यान रखता है, उसके खाने से लेकर उसके सोने तक का। दोनों भाई इसी प्रेम के साथ धीरे – धीरे बड़े होते हैं। विनयन बड़ा होकर एक बहुत ही प्रसिद्ध कवि बनता है और अजयन भी एक कवि होता है मगर वह अपनी कविताओं को जनता के सामने नहीं लता और वह एक गुमनाम कवि बनकर रह जाता है।
विनयन का एक परम मित्र डॉ जैकब होता है जिसके साथ विनयन हर एक बात साझा करता है। विनयन के पडोसी अपनी बेटी रजनी का विवाह विनयन के तय कर देते हैं मगर रजनी प्रेम करती है विनयन के छोटे भाई अजयन से और वो भी उससे बहुत प्रेम करता है मगर यह बात किसी को भी नहीं पता होती है। एक दिन विनयन अजयन के कमरे में आता है और उसके सामान अच्छे से अपनी जगह पर रख रहा होता है तो उसी समय उसको अजयन की कविताओं के जरिये उसके और रजनी के प्रेम के बारे में पता चलता है।
विनयन अपने भाई से विभिन्न तरीकों से पूछने की कोशिश करता है मगर वह कुछ नहीं बताता और विनयन यह तय कर लेता है कि वह दोनों का विवाह करवाएगा। जब अजयन को अपने भाई के विवाह तय होने की बात पता चलती है वो भी रजनी से तो वह वह रजनी के घर जाकर उसको मना कर देता है कि वह ना तो उससे प्रेम करता है और न ही विवाह करना चाहता है और वह कहीं चला जाता है।
विनयन उसको बहुत ढूंढने की कोशिश करता है मगर वह नहीं मिलता उसके बाद विनयन अपने भाई के विरह में इतना दुखी रहता है कि वह अपनी तबियत ख़राब कर लेता है डॉ जैकब बताते हैं कि विनयन का बहुत ध्यान रखने की जरुरत है वर्ण कुछ भी हो सकता है। रजनी विनयन की दिन रत सेवा करती है और जब वह ठीक हो जाता है तो वह विनयन से अपने प्रेम के बारे में बात करती है। कुछ समय बाद दोनों का विवाह हो जाता है।
विनयन और रजनी के एक बेटी होती है मगर आज भी विनयन को अपने भाई के बिछड़ने का दुःख है। वहीँ दूसरी तरफ अजयन एक गांव में बस जाता कविताएं लिखने के साथ साथ एक कंपनी में काम भी करता है। उसकी कवितायेँ प्रकाशित होने लगती है और वह उसके भाई तक भी पहुँचती हैं यह देखकर विनयन बहुत खुश होता है मगर अपने भाई के विरह में वह दुखी रहने लगता है।
एक दिन विनयन की बेटी बिंदु जिद करके अपने पिता को समुन्द्र किनारे खेलने के लिए ले जाती है और खेलते खेलते विनयन को हार्ट अटैक आ जाता है और उसकी मृत्यु वहीँ हो जाती है। समय बीतता जाता है मगर रजनी और बिंदु का दुःख कम नहीं होता तो रजनी के पिता उसको समझाते हैं और रजनी अपने दुखों से बाहर आने की कोशिश करती है। एक दिन बिंदु को उसकी अध्यापिका पार्क में ले जाती है सभी बच्चों के साथ खेलने के लिए।
बिंदु पार्क में खेलती नहीं है और अध्यापिका उसको एक जगह बिठाकर कहीं चली जाती है, थोड़ी देर बाद बिंदु की नज़र अजयन पर पड़ती है जिसे वह विनयन समझ लेती है और उसका पीछा करती है। अजयन टेक्सी में बैठकर चला जाता है और बिंदु उसके पीछे दौड़ती रहती है। दूसरी तरफ अध्यापिका को बिंदु के ना मिलने पर वह रोटी हुयी घर आती है और रजनी को सब बता देती है।
भागते भागते बिंदु को टैक्सी वाले को बिंदु मिल जाती है और वह अजयन के पास बिंदु को लेकर आता है, बिंदु उसको अपना पिता समझकर माँ और अपने दुःख के बारे में बताती है, अजयन उसको लेकर घर आता है और वह दोनों देखते है कि बेटी के खो जाने के गम में रजनी ने अपने प्राण त्याग दिए।
Songs & Cast – इस फिल्म में एम एस विश्वनाथन दिया है और सभी गीत श्रीकुमारन थम्पी द्वारा लिखे गए हैं – “स्वरगमेण कन्नानथिल സ്വർഗമെന്ന കാനനാഥിൽ “, “पञ्चला राजा थानाय പാഞ്ചാല രാജ താനായെ “, “निन प्रेमा वानथिन നിൻ പ്രേമ വനാഥിൻ “, “आ निमिषथिनते “, “चिरिक्कुम्पोल नेयोरु ചിരിക്കുമ്പോൾ നെയോരു”, “हृदयवाहिनी ओझुकुन्नू नी ഹൃദയവാഹിനി ഓഷുക്കുനു നീ “, “प्रभाथमालो नी പ്രഭാതമല്ലോ നീ “, “मझगमेघमोरु दिनम् മജാമെഗാമോരു ദിനം ” और इन गानों को गाया है के जे येसुदास, के पी ब्रह्मानंदन, एम एस विश्वनाथन, बहादूर और एस जानकी ने।
फिल्म में प्रेम नजीर ने विनय और अजय के किरदारों की दोहरी भूमिका निभाई है, जयभारती ने रजनी का किरदार निभाया है और बाकि के सभी कलाकारों जैसे – अदूर भासी (डॉ जैकब ), बालाकृष्णन, केदमंगलम सदानंदन, सनकादि (सनकादिक पिला ), पी के जोसेफ, टी.एस. मुथैया (मेनन) ,केदमंगलम अली।
इस फिल्म की अवधि 2 घंटे और 30 मिनट्स है, इसका निर्माण राजाशिल्पी ने किया था।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.