उत्तम कुमार উত্তম কুমার एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक, संगीतकार और गायक थे, जिन्होंने मुख्य रूप से बंगाली सिनेमा में काम किया। उन्हें भारत में अब तक के सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है, और उन्होंने अपने प्रशंसकों और आलोचकों से महानायक (महान अभिनेता) की उपाधि अर्जित की। 1967 में एंटनी फिरंगी और चिड़ियाखाना में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे। उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, और उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं अग्नि परीक्षा, हरानो सुर, सप्तपदी, नायक, अमानुष और बाग बौंडी खेला।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उत्तम कुमार का जन्म अरुण कुमार चट्टोपाध्याय के रूप में 3 सितंबर 1926 को उत्तरी कलकत्ता के अहिरीटोला में हुआ था। उनके पिता का नाम सतकारी चट्टोपाध्याय और माता चपला देवी थीं। मध्यम परिवार में जन्मे अरुण के दो भाई, बरुण कुमार और तरुण कुमार थे, जिनमे से तरुण कुमार ने भी उन्ही की तरह फिल्मों में अपना करियर बनाया। “उत्तम” उपनाम उन्हें उनकी नानी ने दिया था।
उत्तम कुमार की प्रारंभिक शिक्षा चक्रबेरिया हाई स्कूल से हुयी और बाद में उन्होंने दक्षिण उपनगरीय स्कूल में प्रवेश लिया, जहाँ उन्होंने मैट्रिक पास किया। स्कूल में रहते हुए, उन्होंने “लूनर क्लब” नामक एक थिएटर ग्रुप को जॉइन किया। उत्तम कुमार की पहली भूमिका रवींद्रनाथ टैगोर के नाटक मुकुट में एक छोटे से किरदार के साथ हुयी। दस साल की उम्र में, उन्होंने इस नाटक में उनके अभिनय की सराहना की गयी और अपनी इस भूमिका के लिए उन्होंने एक ट्रॉफी भी जीती।
उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए गोयनका कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में प्रवेश लिया, लेकिन अपने परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के कारण इस शिक्षा को पूरा करने में असमर्थ थे। फिर उन्होंने 75 रुपये प्रति माह वेतन वाली एक नौकरी भी की। मगर अभिनय के प्रति रूचि उन्हें ज्यादा दिनों तक नौकरी से जोड़ी नहीं रख सकी और जल्द ही उन्होंने अभिनय की तरफ रुख किया।
फिल्मी करियर
उत्तम कुमार ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात 1948 में आयी नितिन बोस की फिल्म दृष्टिदान से की। इससे पहले भी वह अभिनय हिंदी फिल्म मायाडोर में कर चुके थे मगर किसी कारण वश वह फिल्म रिलीज़ नहीं हुयी। इसके बाद उन्होंने शेयरी चुअत्तोर (1953) में सुचित्रा सेन के साथ अभिनय किय और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुयी और उन दोनों की ऑन -स्क्रीन जोड़ी को बेहद पसंद किया गया।
उत्तम कुमार ने सुचित्रा सेन के साथ कई रोमांटिक कॉमेडी और मेलोड्रामा फिल्मों में अभिनय किया, जैसे अग्नि परीक्षा (1954), शिल्पी (1956), हरानो सुर (1957), सप्तपदी (1961), बिपाशा (1962), जीबन तृष्णा (1964)। , गृहदहा (1967), आलो अमर अलो (1971), और प्रियो बंधाबी (1975)। उनकी केमिस्ट्री और करिश्मा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्हें बंगाली सिनेमा का प्रतीक बना दिया।
उत्तम कुमार ने सत्यजीत रे, तपन सिन्हा, असित सेन, अजय कार, बिमल रॉय, तरुण मजूमदार, राजेन तरफदार, मृणाल सेन, सलिल दत्ता, अग्रदूत और अन्य जैसे प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ काम करके अपनी बहुमुखी प्रतिभा को भी साबित किया। उन्होंने झिंदर बंदी (1961), शेष अंका (1963), नायक (1966), चिड़ियाखाना (1967), दिया नेया (1963), जातुगृह (1964), थाना ठेके अस्ची (1965) जैसी फिल्मों में विविध और जटिल किरदार निभाए। चौरंगी (1968), एकाने पिंजर (1971), लाल पथोर (1971), अमानुष (1975), आनंद आश्रम (1977) और कई अन्य।
उन्होंने सप्तपदी (1961), भ्रान्तिबिलास (1963), बॉन पलाशिर पदबली (1973) और ओगो बोधु सुंदरी (1980) जैसी फिल्मों के साथ निर्माण और निर्देशन में भी कदम रखा। उन्होंने बॉन पलाशिर पदबली के लिए संगीत तैयार किया और अपनी कुछ फिल्मों के लिए प्लेबैक सिंगिंग भी की। उन्होंने छोटी सी मुलाकात (1967), किताब (1977), दूरियां (1979) और प्लॉट नंबर 5 (1981) जैसी हिंदी फिल्मों में भी काम किया।
पुरस्कार
उत्तम कुमार को बंगाली सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसा मिली। उन्होंने 1967 में एंटनी फिरंगी और चिरैयाखाना के लिए दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। उन्होंने 1955 और 1978 के बीच सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए आठ बंगाल फिल्म पत्रकार संघ पुरस्कार भी जीते। उन्हें 1970 में भारत सरकार से पद्म श्री पुरस्कार मिला। भारतीय सिनेमा में उनका योगदान उन्होंने विभिन्न फिल्म समारोहों और संगठनों से कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त किए।
उत्तम कुमार को उनके साथियों और सहकर्मियों ने उनके व्यावसायिकता, समर्पण, उदारता और करिश्मे के लिए सराहा। उन्होंने अपने बाद आने वाले कई अभिनेताओं को प्रभावित किया, जैसे सौमित्र चटर्जी, रंजीत मल्लिक, प्रोसेनजीत चटर्जी, अबीर चटर्जी और अन्य। सत्यजीत रे, बिमल रॉय, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, शक्ति सामंत और अन्य जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भी उनकी प्रशंसा की।
मृत्यु
उत्तम कुमार का 24 जुलाई 1980 को कलकत्ता के बेले व्यू क्लिनिक में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 53 वर्ष के थे। मृत्यु के समय वह ओगो बोधु सुंदरी की शूटिंग कर रहे थे। उनके निधन से उनके प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री को गहरा सदमा पहुंचा है। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
उत्तम कुमार को आज भी बंगाली सिनेमा के सबसे प्रिय और सम्मानित शख्सियतों में से एक के रूप में याद किया जाता है। उनकी फिल्में अभी भी लाखों लोगों द्वारा देखी और पसंद की जाती हैं। उनके गाने आज भी रेडियो और टेलीविजन चैनलों पर बजाए जाते हैं। उनकी तस्वीरें अभी भी पूरे बंगाल में पोस्टर और होर्डिंग्स पर प्रदर्शित होती हैं।
उन्हें विभिन्न संस्थानों और व्यक्तियों द्वारा कई श्रद्धांजलि और स्मारकों से सम्मानित किया गया है। 1994 में कोलकाता मेट्रो के टॉलीगंज मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर “महानायक उत्तम कुमार” कर दिया गया था। 1996 में कोलकाता के देशप्रिया पार्क में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गई थी। 2000 में इंडिया पोस्ट द्वारा उनकी विशेषता वाला एक डाक टिकट जारी किया गया था।
उत्तम कुमार पूरी दुनिया में बंगाली सिनेमा प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा और एक किंवदंती बने हुए हैं।
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