Movie Nurture: सतरंगी परदे पर समांतराल: एक अनसुलझी पहेली

सतरंगी परदे पर समांतराल: एक अनसुलझी पहेली

1970 Bengali Hindi Movie Review old Films Top Stories

1970 में रिलीज़ हुई बंगाली फिल्म ‘समांतराल’ एक अद्वितीय सिनेमाई कृति है, जो अपने गहन कथानक, उत्कृष्ट अभिनय और संवेदनशील संदेश के लिए जानी जाती है।इस फिल्म का निर्देशन गुरुदास बागची ने किया है और अभिनय से माधवी मुखर्जी, अनिल चटर्जी और लोलिता चटर्जी ने सभी का दिल जीता है।

कहानी

“समांतरल” प्यार, ग़लतफ़हमी और किस्मत की कहानी बयां करती है। एक गरीब लड़की और एक अमीर लड़के की राहें अलग होती हैं, मगर प्रेम उन्हें मिलाता है और गलतफहमियां उन्हें फिर से अलग कर देती हैं। लेकिन बाद में वे बदली हुई ज़िंदगी और कड़वे-मीठे पलों के साथ फिर से मिलते हैं। फिल्म का शीर्षक ही, जिसका अर्थ है “समानांतर”, केंद्रीय चरित्र के अलग-थलग जीवन की ओर इशारा करता है, जो अपने उत्तरी कोलकाता में रहता है, भरे पुरे परिवार से घिरा हुआ है, फिर भी एक अलग अस्तित्व जी रहा होता है।

Movie Nurture: सतरंगी परदे पर समांतराल: एक अनसुलझी पहेली
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अभिनय

गुरुदास बागची ने फ़िल्म का कुशलतापूर्वक निर्देशन किया है, जिसमें किरदारों की भावनात्मक बारीकियों को दर्शाया गया है। अनिल चटर्जी, माधवी मुखर्जी और लोलिता चटर्जी ने अपनी भूमिकाओं में गहराई लाते हुए दमदार अभिनय किया है। फ़िल्म की ब्लैक-एंड-व्हाइट सिनेमैटोग्राफी ने किरदारों की विपरीत दुनिया पर ज़ोर देते हुए एक क्लासिक टच दिया है।

निर्देशन

फिल्म का निर्देशन गुरुदास बागची ने किया है, जिनकी निर्देशन शैली ने इस फिल्म को एक अनूठी पहचान दिलाई है। गुरुदास की निर्देशकीय दृष्टि ने कहानी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। उनका संवेदनशील और बारीकियों पर ध्यान देने वाला निर्देशन दर्शकों को फिल्म के साथ गहराई से जोड़ता है।

फिल्म का संदेश

“समांतरल” सूक्ष्मता से इस विचार को व्यक्त करता है कि समानांतर जीवन अप्रत्याशित रूप से एक दूसरे से जुड़ते हैं, जिससे गहन परिवर्तन होते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन नियति अक्सर हमें वापस साथ लाती है।

लोकेशन

यह फिल्म उत्तरी कोलकाता की पृष्ठभूमि पर आधारित है, और वहीँ फिल्मायी गयी है ,जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

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अनजाने तथ्य

संगीत: “समांतरल” में श्यामल मित्रा और इंद्रदीप दास गुप्ता द्वारा रचित एक आकर्षक साउंडट्रैक है। फिल्म के गाने आज भी लोकप्रिय हैं। “ओ नेई मन” (कलाकार: सबिता चौधरी), “चोले राधिका जमुना” (कलाकार: आरती मुखर्जी), “जानी ना केनो जे” (कलाकार: श्यामल मित्रा), “जे प्रदीप नेभालो नियोति” (कलाकार: आरती मुखर्जी)
पुरस्कार: ‘समांतराल’ ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार शामिल हैं।
साहित्यिक प्रेरणा: यह फिल्म एक बंगाली उपन्यास पर आधारित है, जिसने उस समय के समाज की मानसिकता और समस्याओं को उजागर किया था।

निष्कर्ष

‘समांतराल’ एक ऐसी फिल्म है जो अपने गहन कथानक, उत्कृष्ट अभिनय और संवेदनशील निर्देशन के लिए सदैव याद की जाएगी। चाहे आप सिनेमा प्रेमी हों या बंगाली सिनेमा के बारे में जानने के लिए उत्सुक हों, “समांतरल” मानवीय संबंधों और भाग्य के रहस्यों की एक मार्मिक खोज प्रस्तुत करता है।

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