1921 ममूटी की एक सुपरहिट मलयालम फिल्म जो 19 अगस्त 1988 को केरल में रिलीज़ हुयी थी। यह फिल्म एक 1921 में हुयी सत्य घटना पर आधारित है। इसका निर्देशन आई वी ससी द्वारा किया गया है और इस सत्य घटना को कहानी में लिखा है टी दामोदरन ने। यह फिल्म ओणम फेस्टिवल के दौरान रिलीज़ हुयी थी और उस साल की सुपरहिट फिल्म बनी। इस फिल्म को बेहद लोकप्रिय फिल्म को केरल राज्य फिल्म पुरस्कार भी मिला।
Story Line –
फिल्म की कहानी शुरू होती है खदेर नामक व्यक्ति से, जो विश्व युद्ध प्रथम के बाद ब्रिटिश सेना से रिटायर होकर अपने घर वापस आता है। जहाँ उसका स्वागत गांव वाले बड़ी धूम धाम से करते हैं। मगर कुछ समय बाद उसको गांव में पनप रहे विद्रोह का पता चलता है। यह विद्रोह किसानों का होता है वो भी उच्च समाज के हिन्दू जमीन दारों से।
बरसों से चले आ रहे झगड़े ने विद्रोह का रूप तब लिया जब इसमें ब्रिटिश सरकार ने सम्मलित होकर और डिवाइड एन्ड रूल पालिसी चलकर इसको एक नयी दिशा दी। ब्रिटिश सेना में काम करके खदेर उनकी हर बात और इरादों से परिचित था तो उसको ब्रिटिश सरकार का इरादा बहुत जल्द ही पता चल गया था।
हर समाज में जहाँ कुछ अच्छा होता है तो वहां बुरा भी होता है। कुछ कुरीतियां भी होती है , और इसी का फायदा ब्रिटिश सरकार ने इस झगड़े को विद्रोह में बदलने के लिए किया। धीरे धीरे यह बात इतनी बड़ी होती चली गयी की यह मालाबार जगह की एक छोटी सी लड़ाई पुरे देश के किसान विद्रोह में बदल गयी। फिर उसके बाद यह विद्रोह हिन्दू और मुस्लिम के दंगे में तब्दील हो गया।
किसी को भी ब्रिटिश सरकार की भड़कायी गयी आग के बारे में पता ही नहीं चला। सभी लोगों को खदेर ने बहुत समझाया , मगर कोई भी फायदा नहीं हुआ और अंत में खदेर भी इस विद्रोह का हिस्सा बन गया।
Songs & Cast –
इस क्लासिक मलयालम फिल्म का संगीत श्याम ने दिया है और इन गीतों को मलयालम की कविताओं और लोकगीतों से लिया गया है , जैसे – “मनथु मारन മാനത്തു മാരൻ ” ,”धीरसेमरे यमुनाथेरे ധീരസാമീർ യമുനാഥീരെ “, “मुथुनावा रत्नामुखम् മുത്തുനവ രത്മുഖം” , “फ़िरदौसिल अदुकुम्पोल ഫിർദ സിൽ അഡുകുമ്പോൾ”, “वंदे मातरम വന്ദേമാതരം” बंगाली कवि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए स्वतंत्र भारत के “राष्ट्रीय गीत” वंदे मातरम को के एस चित्रा द्वारा गाया गाया है। बाकि के गीतों को विलायिल फ़ाज़िला , नौशाद ने गाया है।
Review –
1921 एक मलयालम सुपरहिट फिल्म जो केरला में ब्रिटिश सरकार के समय हुए एक बहुत बड़े नरसंहार की कहानी है। यह एक किसान आंदोलन था जो ब्रिटिश सरकार के दखल के बाद हिन्दू मुस्लिम दंगों में बदल चूका था। 19 अगस्त 1988 को आई वी ससी द्वारा निर्देशित यह फिल्म मलयालम सिनेमा में रिलीज़ हुयी और यह फिल्म उस समय की सबसे महँगी फिल्म बनी थी। फिल्म में ममूटी, मधु, सुरेश गोपी, टी जी रवि, सीमा, उर्वशी और मुकेश सहित कई कलाकारों ने अपनी सधी हुयी अदाकारी से इस फिल्म को सुपरहिट बनाया।
इस फिल्म की सबसे अच्छी बात यह थी कि इस फिल्म में उसी तरह से दृश्यों को दिखाया गया है जिस तरह से १1921 में हुआ था। यह फिल्म देखकर आपको जरूर यह लगेगा कि आप भी उस समय को जी रहे हैं। ब्रिटिश सरकार हम पर राज करने के लिए किसी तरह के हत्कंडे अपना सकती थी और यही चीज़ किस फिल्म की विशेषता है।
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