साल 1943, न्यूयॉर्क के एक थिएटर में कैसाब्लांका का प्रीमियर चल रहा है। स्क्रीन पर इंग्रिड बर्गमैन की आँखों में जो दर्द है, वह दर्शकों के दिल में उतर जाता है। फिल्म ख़त्म होते ही एक शख़्स खड़ा होकर चिल्लाता है, “मैंने आज तक इतना सच्चा प्यार नहीं देखा!” यह था 1940 का दशक—जब हॉलीवुड की एक्ट्रेसेस सिर्फ़ स्टार नहीं, बल्कि एक मुकम्मल कहानी थीं। चलिए, उन चेहरों की दास्ताँ सुनते हैं जिन्होंने चाँदनी रातों को सिनेमा के पर्दे पर उतारा।
इंग्रिड बर्गमैन: वह औरत जिसने ‘नॉर्मल’ को रिडिफाइन किया
स्वीडन से आई इस नॉर्डिक सुंदरी ने हॉलीवुड को सिखाया कि “बिना मेकअप के भी ब्यूटी क्वीन बना जा सकता है।” कैसाब्लांका (1942) में उनका रोल ‘इल्सा’ सिनेमा इतिहास का सबसे यादगार किरदार बन गया। लेकिन असल मज़ा तब आया जब उन्होंने नॉटोरियस (1946) में एक जासूस की भूमिका निभाई। कैमरा उनके चेहरे के इतने करीब जाता था कि दर्शकों को लगता, वह स्क्रीन के पार से सीधे आँखों में देख रही हैं।
बर्गमैन की खासियत थी उनकी “असुविधाजनक” ईमानदारी। जब उन्होंने इटालियन डायरेक्टर रॉबर्ट रोसेलिनी के साथ प्रेम विवाद किया, तो अमेरिका ने उन्हें ‘नैतिकता का दुश्मन’ घोषित कर दिया। पर वह लौटीं Anastasia (1956) के साथ—और ऑस्कर जीतकर साबित किया कि टैलेंट से बड़ा कोई धर्म नहीं।
बेट्टी डेविस: आँखों वाली वह शैतान जो स्क्रिप्ट को लात मार देती थी
अगर हॉलीवुड की कोई एक्ट्रेस ने “क्वीन बी” का टाइटल कमाया, तो वह बेट्टी डेविस थीं। Now, Voyager (1942) में उन्होंने एक दबी-कुचली औरत से कॉन्फिडेंट डाइवा का सफर दिखाया। उनकी आँखें—जिन्हें इंश्योरेंस कराने के लिए ‘$28,000’ का प्रीमियम देना पड़ा—स्क्रीन पर जादू करती थीं।
डेविस का रवैया था: “मुझे हीरोइन नहीं, इंसान चाहिए।” All About Eve (1950) में उन्होंने एजिंग एक्ट्रेस ‘मार्गो चैनिंग’ का रोल ऐसे निभाया कि लाइन—”Fasten your seatbelts, it’s going to be a bumpy night!”—आज भी कुट्टी मारती है। युद्ध के दौरान उन्होंने हॉलीवुड कैंटीन खोलकर सैनिकों को मुफ़्त खाना खिलाया—ग्लैमर और गर्मजोशी का अजीबोगरीब मेल।
रिता हेवर्थ: लाल बालों वाली वह बिजली जिसने अमेरिका को हिला दिया
“Love Goddess” का टाइटल पाने वाली रिता हेवर्थ असल में मार्गरीटा कारमेन कांसिनो थीं—एक स्पेनिश डांसर की बेटी। Gilda (1946) में उनका स्ट्रिप-टीज़ एक्ट (“Put the blame on Mame, boys!”) इतना सेक्सी था कि अमेरिकी सैनिकों ने उनकी तस्वीर हिरोशिमा के एटम बम पर चिपका दी!
मगर हेवर्थ की ज़िंदगी ट्रेजेडी थी। छह शादियाँ, शराब की लत, और बेटी का यह कहना कि “माँ ने मुझे कभी गले नहीं लगाया।” फिर भी, जब वह स्क्रीन पर झूमती थीं, तो दुनिया भूल जाती थी कि ग्लैमर के पीछे कोई इंसान भी है।
लॉरेन बैकल: वह आवाज़ जिसने बोगी को हिला दिया
19 साल की उम्र में जब लॉरेन बैकल ने To Have and Have Not (1944) में डेब्यू किया, तो उन्होंने हम्फ्री बोगार्ट से कहा—”Just whistle. You know how to whistle, don’t you?”—और हॉलीवुड का रोमांस हमेशा के लिए बदल गया। उनकी आवाज़ में भरा धुआँ और आँखों का भारी मेकअप ‘द लुक’ बन गया।
बैकल स्टूडियो सिस्टम की गुलाम नहीं थीं। उन्होंने The Big Sleep (1946) में फिल्म नोयर की हीरोइन को बेवकूफ़ बनने से इनकार कर दिया—”मैं वह औरत हूँ जो सिगरेट की राख भी गिनती है।” आज की स्ट्रॉंग फीमेल लीड्स की नींव में उनका हाथ है।
कैथरीन हेपबर्न: पैंट पहनने वाली वह रेबल
हेपबर्न ने हॉलीवुड को वह सब दिया जो उसने कभी नहीं माँगा—एक औरत जो पैंट पहनती है, ऊँची हँसती है, और प्रेस से कहती है—”मेरी प्राइवेसी मेरी है।” The Philadelphia Story (1940) में उन्होंने ‘ट्रेसी लॉर्ड’ बनकर दिखाया कि औरतें परफेक्ट नहीं, पर इंसान होती हैं।
उनका रिश्ता स्पेंसर ट्रेसी के साथ 26 साल तक चला—बिना शादी के। जब ट्रेसी की मौत हुई, तो हेपबर्न ने उनके अंतिम संस्कार में जाने से इनकार कर दिया—”मेरा दुख सिर्फ़ मेरा है।” यह थी असली ‘कैट’—जिसने ज़िंदगी और सिनेमा दोनों को अपने तरीके से जिया।
वेरोनिका लेक: वह हेयरस्टाइल जो युद्ध जीत गई
उनके बालों ने इतिहास रचा। I Wanted Wings (1941) में वेरोनिका लेक का “पीक-ए-बू” स्टाइल इतना मशहूर हुआ कि WWII के दौरान फैक्ट्री वर्कर्स ने उन बालों को मशीनों में फँसने से रोकने के लिए हेयरनेट्स पहनना शुरू किया! लेकिन लेक सिर्फ़ एक हेयरडू नहीं थीं—Sullivan’s Travels (1941) में उनकी एक्टिंग ने कॉमेडी को दिलचस्प बना दिया।
एवा गार्डनर: जंगली सुंदरता जिसने सिनेमा को चबा लिया
एवा गार्डनर—जिसके बारे में फ़्रैंक सिनात्रा कहता था, “उसके सामने मैं बस एक गाने वाला चूहा हूँ।” The Killers (1946) में उनकी ‘किटी’ भूमिका ने फिल्म नोयर को सेक्स अपील दी। एवा की खासियत थी उनकी “अनट्रेंड” आवाज़—जिसमें नकली अमेरिकन एक्सेंट की जगह उनका नेचुरल साउदर्न ट्वैंग था।
जीन टियरनी: ब्यूटी जिसकी कीमत पागलपन ने चुकाई
Laura (1944) में उनका पोर्ट्रेट इतना मशहूर हुआ कि लोग फिल्म देखने उसकी तस्वीर को निहारने आते थे। मगर टियरनी की असल ज़िंदगी डार्क थी—बाइपोलर डिसऑर्डर, इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी, और एक ऐसा प्रेमी जिसने उन्हें जानबूझकर चेचक दिया! फिर भी, स्क्रीन पर वह हमेशा परफेक्शन की मूरत बनी रहीं।
जूडी गारलैंड: रेनबो के पीछे का तूफ़ान
The Wizard of Oz (1939) में ‘डोरोथी’ बनकर जूडी ने पूरी दुनिया को “Over the Rainbow” सिखाया। मगर 1940 का दशक उनके लिए अंधेरा लेकर आया—स्टूडियो ने उन्हें डाइट पिल्स और सिगरेट्स से पतला रखा। Meet Me in St. Louis (1944) में उनका गाना “Have Yourself a Merry Little Christmas” सुनकर कोई नहीं कह सकता था कि यह औरत खुद को कटती रेजर से बचा रही है।
लेना हॉर्न: रंगभेद के सामने खड़ी वह आवाज़
एक अश्वेत महिला के तौर पर हॉर्न को हॉलीवुड ने कभी मौका नहीं दिया। मगर उन्होंने Stormy Weather (1943) और नाइटक्लब परफॉर्मेंस के ज़रिए अपनी पहचान बनाई। जब उन्होंने WWII सैनिकों के सामने गाते हुए जर्मन बमबारी को झेला, तो दुनिया ने देखा—टैलेंट किसी रंग का मोहताज नहीं होता।
यह थीं वह औरतें…
जिन्होंने चमकते स्टूडियो लाइट्स के नीचे अपने सपनों और दर्द को जिया। इनमें से कई को प्यार नहीं मिला, कई को ऑस्कर नहीं मिले, मगर इन्होंने वह छोड़ दिया जो आज भी ज़िंदा है—एक ऐसा सिनेमा जो औरतों को ‘ऑब्जेक्ट’ नहीं, ‘किरदार’ बनाता है। आज की स्कार्लेट जोहान्सन और जेनिफर लॉरेंस की हर एक्टिंग में इनकी एक झलक है। शायद इसीलिए, 1940 की फिल्में देखते हुए आज भी लगता है—यह औरतें सिर्फ़ पर्दे पर नहीं, हमारे दिल में रहती हैं।
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