बाबुल एक म्यूजिकल बॉलीवुड ड्रामा फिल्म है, जो भारतीय सिनेमा में 15 दिसंबर 1950 को रिलीज़ हुयी थी। एस.यू. सनी द्वारा निर्देशित और नौशाद द्वारा निर्मित और संगीत निर्देशन के साथ इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल ही कर दिया था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी।

Story Line
कहानी शुरू होती है अशोक नामक एक युवक से, जो कि एक संपन्न परिवार से ताल्लुकात रखता है। पेशे से पोस्टमास्टर अशोक अक्सर अपने खाली समय में पेंटिंग और गीत लिखने का काम करता है, जिससे उसको हमेशा एक तरह के सुख और शांति का अहसास होता है।
अशोक पूर्व पोस्टमास्टर के घर के पास ही रहता है सरकारी घर में। और पूर्व गरीब पोस्टमास्टर की बेटी बेला अशोक के लिए खाना बनाती थी और इसके अलावा वह उसका और भी काम करती है। और इसके साथ – साथ जब भी उसको मौका मिलता है वह अपनी शरारतों से अशोक को परेशां भी करती है।
धीरे धीरे बेला को अशोक से प्यार हो जाता है और वह अशोक से शादी के सपने देखने लगती है। मगर अशोक बेला को सिर्फ पसंद करता है प्यार नहीं, तो उसको बेला की भावनाओं के बारे में पता नहीं होता है। कुछ समय बाद अशोक के जीवन में वहां के जमींदार की बेटी उषा आती है और जल्द ही अशोक और उषा एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं।

बेला को इस बात का पता चलता है कि अशोक और उषा एक दूसरे से प्रेम करते हैं. एक बार तो उसको लगता है कि अमीर अशोक के लिए उषा जैसी एक अमीर लड़की ही उपयुक्त होगी , मगर अपने दिल के हाथों मज़बूर बेला उषा को बताती है कि उषा से पहले अशोक उससे प्रेम करता था और उसने विवाह करने का भी वादा किया था।
और वह उषा को यह विश्वास दिला देती है कि अशोक दोनों को धोका दे रहा है। उषा इस धोख़े को सहन नहीं कर पाती और वह किसी और से विवाह करने को राज़ी हो जाती है। वहीँ दूसरी तरफ अशोक भी उषा के धोखे से दुखी होता है मगर इस सब में बस बेला ही खुश होती है क्योकि अशोक को पाने का रास्ता साफ़ हो गया था।

जब उषा की शादी हो रही होती है तो बेला एक पेड़ की टहनी पर चढ़कर उसके विवाह को होते हुए देखती है उतने में ही वह टूटकर जमीन पर गिर जाती है और उसी के साथ बेला भी गिर जाती है। गंभीर रूप से घायल बेला को घर लाया जाता है। जहाँ पर अशोक आता है और उसको उस समय पता चलता है कि बेला उसको बहुत समय से प्यार करती है और वह उससे विवाह भी करना चाहती है। यह सब जानकर अशोक बेला के पिता से उसके साथ विवाह करने की बात करता है।
पिता के द्वारा हामी भरने पर बेला बहुत खुश हो जाती है और अशोक उसको आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटाता है, खुश बेला अशोक के साथ विवाह के सपने देखने लगती है और कुछ ही देर में वह मर जाती है।

Songs & Cast
इस फिल्म का संगीत नौशाद ने दिया है और इस फिल्म के सभी 15 गानों को शकील बदायुनी ने लिखा है। इस फिल्म के ज्यादातर गाने प्यार के सुख और दर्द से जुड़े हुए हैं। इस फिल्म का एक सबसे प्रसिद्ध गाना “छोड बाबुल का घर” आज भी भारतीय शादियों में दुल्हन की बिदाई पर गाया जाता है। “दुनिया बादल गई” ,”धड़क मेरा दिल”, “किसी के दिल में रहना था” , “लगन मोरे मन की” ,”मेरा जीवन साथी बिछड़ गया” , “मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का”, “पंची बन में”,”नदी किनारे साथ हमारे”, “ना सोचा था ये”, “जादू भरे नैनों में” और इन सुरीले गीतों को गाया है शमशाद बेगम, तलत महमूद,मोहम्मद रफी, मुनव्वर सुल्ताना और लता मंगेशकर ने
फिल्म में अशोक की भूमिका में दिलीप कुमार नज़र आये और नरगिस ने बेला का किरदार निभाया। उषा के रूप में मुनव्वर सुल्ताना दिखी।

Review
बाबुल फिल्म दिलीप कुमार की पहली ऐसी सुपरहिट फिल्म थी जिसने उनको ट्रेजडी किंग बनाया। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे दुखी प्रेमी की भूमिका निभाई है, जिसे ना तो अपनी मोहब्बत मिलती है और ना वह इंसान जो उसको इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम करता है।
इस फिल्म की सफलता के बाद ही दिलीप कुमार ने आन, अंदाज़, दीदार, उरण खटोला और देवदास जैसे अन्य फिल्मे की थी।इस फिल्म कहानी ने सिर्फ इतना ही बताया कि कभी कभी भाग्य इतना क्रूर हो जाता है कि आप जो भी चाहते हो वह तो आपको नहीं मिलता मगर आप जो नहीं भी चाहते हो वो भी नहीं मिलता।
फिल्म का साउंडट्रेक बहुत ही अच्छा है, 15 गानों क इस फिल्म में सभी गाने अलग है और इसमें से कुछ गाने आज भी शादियों में गाये जाते हैं। यह गाने सुख और दर्द के कॉम्बिनेशन के साथ – साथ गजल के रूप को भी प्रस्तुत करते हैं।
Interesting facts
टुन टुन ने इस फिल्म के जरिये अभिनेत्री के रूप में फिर से भारतीय सिनेमा में वापसी की थी।
इस फिल्म में म्यूजिक कम्पोजर नौशाद थे और उन्होंने ही इस फिल्म का प्रोडक्शन भी किया।