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Movie Nurture: Bride of Frankenstein

कल्पना कीजिए: बिजली कड़कती है, एक पागल वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में कुछ बना रहा है, और फिर… वो पल आता है। एक सफेद पट्टियों में लिपटी हुई आकृति धीरे-धीरे जिंदा होती है। उसके बिजली से खड़े किए गए बाल, उसकी फड़कती हुई पलकें, और वो चीख – “हिस्स्स्स्स!” ये दृश्यContinue Reading

Movie Nurture: कहाँ शूट होती थीं Silent Movies? जानिए दिलचस्प लोकेशन्स

हो सकता है आपने चार्ली चैपलिन की मूक फिल्में देखी हों, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत की पहली मूक फिल्म “राजा हरिश्चंद्र” (1913) महाराष्ट्र के नासिक के एक खुले मैदान में शूट हुई थी? जब कैमरे भारी-भरकम हुआ करते थे, स्पेशल इफेक्ट्स नाम की कोई चीज़ नहीं थी, औरContinue Reading

Movie Nurture: Slient Cinema

कल्पना कीजिए, एक धुंधली सी स्क्रीन पर छाया-छवियाँ नाच रही हैं। कोई डायलॉग नहीं, सिर्फ़ एक पियानो या हारमोनियम की धुन, और कभी-कभी दर्शकों की सामूहिक सांसों की आवाज़। ये थीं भारत की मूक फिल्में, जिन्होंने हमारे सिनेमा की नींव रखी। लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि जब आजContinue Reading

Movie Nurture: मूक सिनेमा के 5 नायाब रत्न

सोचिए, बिना एक शब्द बोले… बिना गानों के… बिना डायलॉग के… सिर्फ़ चेहरे के हाव-भाव, शरीर की भाषा, और आँखों की बात से पूरी कहानी कह देना। जादू लगता है न? यही था मूक सिनेमा का जादू! आज जब हम 4K, डॉल्बी एटमॉस, और विशेष प्रभावों (VFX) के दौर मेंContinue Reading

Movie Nurture: पुरानी फिल्मों में दिखाए गए सामाजिक मुद्दे: क्यों आज भी हमारी आँखों में चुभते हैं?

क्या आपने कभी कोई पुरानी हिंदी फिल्म देखते हुए सोचा है, “अरे! यह तो आज भी वैसा ही है!”? फिर चाहे वो गरीबी का दर्द हो, जाति का भेदभाव हो, औरतों पर होने वाला अत्याचार हो, या फिर भ्रष्टाचार का स्याह चेहरा। 50-60 साल पुरानी फिल्मों में दिखाए गए येContinue Reading

Movie Nurture: स्नो व्हाइट एंड द सेव्हन ड्वॉर्फ्स

कल्पना कीजिए… साल 1937 है। सिनेमाघरों में लोग बैठे हैं। स्क्रीन पर रंग नहीं, सिर्फ़ काले-सफेद छायाचित्र। तभी शुरू होती है एक कहानी – एक खूबसूरत राजकुमारी, एक डरावनी रानी, एक जहरीला सेब, और सात प्यारे बौने। लेकिन यह कोई आम फिल्म नहीं थी। ये थी डिज्नी की “स्नो व्हाइटContinue Reading

Movie Nurture: Silment Music

सोचिए वो ज़माना… जब फिल्मों में न तो हीरो की आवाज़ गूँजती थी, न हीरोइन के डायलॉग सुनाई देते थे, न विलेन की खलनायकी भरी हँसी। बस चलती-फिरती तस्वीरें, ब्लैक एंड व्हाइट। ये थीं साइलेंट फिल्में। लेकिन क्या सच में ये फिल्में ‘साइलेंट’ यानी ख़ामोश थीं? बिल्कुल नहीं! उन सिनेमाContinue Reading

Movie Nurture: अपूर्व संगमा (1984

क्या आपको वो पुरानी कन्नड़ फिल्में याद हैं? जहां कहानी की गहराई होती थी, संगीत दिल को छू जाता था, और अभिनय सिर्फ डायलॉग बोलना नहीं, बल्कि आँखों से बात करना होता था? अपूर्व संगमा (Apoorva Sangama) ऐसी ही एक खास फिल्म है। साल 1984 में आई ये फिल्म सिर्फContinue Reading

Movie Nurture: क्या साइलेंट फिल्मों में औरतें थीं?

ये सवाल अक्सर दिमाग में आता है: “क्या साइलेंट फिल्मों के दौर में भी महिला अभिनेत्रियां या फिल्म निर्माता थीं?” या फिर ये मान लिया जाता है कि उस ज़माने में सिनेमा पूरी तरह से मर्दों का ही खेल था? दोस्तों, सच्चाई तो ये है कि साइलेंट फिल्मों का युगContinue Reading

Movie Nurture: Charlie

क्या आपने कभी सोचा है कि एक चुप्पी, टूटी-फूटी टोपी पहने और बंदर जैसी चाल चलने वाला आदमी दुनिया का सबसे बड़ा कलाकार कैसे बन गया? चार्ली चैपलिन सिर्फ मूक फिल्मों के कॉमेडियन नहीं थे। वो एक दार्शनिक थे, जिन्होंने अपनी हास्य के जरिए समाज के सबसे कड़वे सच उघाड़े।Continue Reading