Movie Review

MOvie Nurture: मार्च ऑफ़ द फूल्स (1975)

साल 1975, दक्षिण कोरिया में सैन्य तानाशाही का दौर। युवाओं के सपनों पर लोहे के जूते चल रहे हैं, विरोध की आवाज़ें जेल की सलाखों में दबती जा रही हैं, और ऐसे में एक फिल्म आई — “मार्च ऑफ़ द फूल्स”। यह फिल्म सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि उस पीढ़ीContinue Reading

Movie Nurture:मिस्टर एंड मिसेज़ '55": 1950 के दशक की वह फिल्म जिसने प्यार और पर्दे के पीछे की राजनीति को एक साथ बुना

अगर आपसे कोई पूछे कि 1950 के दशक की वह बॉलीवुड फिल्म कौन सी है जिसमें मधुबाला की मासूमियत, गुरु दत्त का व्यंग्य, और समाज की दोहरी मानसिकता पर एक तीखा प्रहार हो… तो जवाब होगा — “मिस्टर एंड मिसेज़ ’55”। यह फिल्म सिर्फ़ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं, बल्कि उसContinue Reading

Movie Nurture: कलकत्ता 71 (1972): जब सिनेमा ने दिखाया समाज का आईना

1971 का साल, जब पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम की आग भड़क चुकी थी, और पश्चिम बंगाल की सड़कों पर नक्सलवादी आंदोलन का तूफान था। ऐसे उथल-पुथल भरे माहौल में मृणाल सेन ने “कलकत्ता 71” बनाई—एक फिल्म जो सिनेमाई कहानी नहीं, बल्कि समाज के घावों पर एक ऐसीContinue Reading

Movie Nurture: चारियट्स ऑफ़ फायर" (1981): जब जीत सिर्फ मेडल नहीं, खुद से लड़ाई होती है

1981 सिनेमाघरों में एक फिल्म आई, जिसका नाम था—”चारियट्स ऑफ़ फायर”। इस फिल्म की शुरुआत हुई समंदर किनारे धीमी गति में दौड़ते एथलीट्स के साथ। पैरों से नहीं, दिल से दौड़ती ये तस्वीर… Vangelis का संगीत जैसे रूह को छू ले। फिल्म नहीं, एक सवाल था: “जीत किसकी होती है?Continue Reading

Movie Nnurture: मयूरा (1975): कन्नड़ सिनेमा का वो ऐतिहासिक रत्न जिसने गढ़ी नई परंपरा

साल 1975 भारतीय सिनेमा में ऐतिहासिक फिल्मों का दौर चल रहा था। हिंदी में “शोले” का जलवा था, तो दक्षिण में कन्नड़ सिनेमा ने भी एक ऐसी फिल्म बनाई जिसने न सिर्फ़ इतिहास को ज़िंदा किया, बल्कि दर्शकों के दिल में “मयूरा” के नाम से अमर हो गई। यह फिल्मContinue Reading

Movie Nurture: हाउसबोट 1958: बच्चों की नज़र से एक प्यारा सफर

क्या आपने कभी सोचा है कि 1950 के दशक की एक फिल्म, जिसमें सोफिया लॉरन और कैरी ग्रांट जैसे सितारे हों, वह बच्चों के लिए क्यों दिलचस्प हो सकती है? “हाउसबोट” (1958) शायद उन फिल्मों में से एक है जो रोमांस और कॉमेडी के बीच एक पुल बनाती है… औरContinue Reading

Movie Nurture: बैंड वैगन (1940): वो ब्रिटिश कॉमेडी जिसने युद्ध के बीच में बिखेरी थी हँसी की चिंगारी

1940 का साल। यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध की आग धधक रही थी, और ब्रिटेन के आसमान पर जर्मन बमवर्षकों के छाये होने के बावजूद, सिनेमाघरों में लोग थोड़ी राहत की तलाश में जुटते थे। ऐसे ही माहौल में आई “बैंड वैगन”—एक ऐसी फिल्म जिसने न सिर्फ़ दर्शकों को हँसाया, बल्किContinue Reading

Movie Nurture: Five Golden Flowers (1959): चीन की वो फिल्म जिसमें खिले थे प्यार और समाजवाद के रंग

साल 1959 की बात है। चीन में ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ का दौर चल रहा था—जहाँ एक तरफ़ लोहे के कारख़ाने धुआँ उगल रहे थे, वहीं सिनेमा के परदे पर एक फिल्म ने प्रेम, संगीत और रंगों की बरसात कर दी। “Five Golden Flowers” (वू जिन हुआ) नाम की यह फिल्मContinue Reading

Movie Nurture: Chinatown (1974): वह फ़िल्म जिसने हॉलीवुड को सिखाया 'अंधेरे में उजाला ढूंढना'

क्या कोई फ़िल्म आपकी ज़िंदगी को बदल सकती है? अगर हाँ, तो रोमन पोलांस्की की “Chinatown” उन चंद फ़िल्मों में से एक है जो आपको यह यकीन दिला देगी कि सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सदमा है—एक ऐसा सदमा जो आपको समाज के उस आईने के सामने खड़ा करContinue Reading

Movie Nurture: घरौंदा: 1977 की एक सदाबहार बॉलीवुड क्लासिक

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे अक्सर बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, सिनेमाई उत्कृष्टता का खजाना रही है। इसकी कई क्लासिक फिल्मों में से, “घरौंदा” (1977) एक मार्मिक कथा के रूप में उभर कर सामने आती है जो प्रेम, महत्वाकांक्षा और सामाजिक अपेक्षाओं की जटिलताओं को उजागर करती है। भीमसेनContinue Reading