गाइड 1965 में रिलीज़ हुयी एक रोमेंटिक फिल्म है। इसका निर्देशन देव आनंद के भाई विजय आनंद ने किया था। यह फिल्म एक गाइड के जीवन पर आधारित है। जैसे -जैसे जीवन परिस्थितियां पैदा करती जाती है वैसे -वैसे वो भी आगे बढ़ता जाता है।
“जिंदगी जहाँ -जहाँ तू ले चलेगी, तेरा हाथ थामे चलता रहूँगा।”
Story – फिल्म की कहानी आधारित है एक टूरिस्ट गाइड राजू पर,जो पर्यटकों को शहर घुमाकर अपनी आमदनी करता है। एक दिन मार्को और उसकी पत्नी रोज़ी नमक पर्यटक आते हैं, जो राजू को अपना गाइड बनाते हैं और वह शहर के बाहर की गुफायें देखने आये हैं। मार्को एक पुरातत्वविद् है और वह गुफाओं के कार्य में बहुत व्यस्त रहता है।
राजू रोज़ी को पूरा शहर घुमाता है और उसको पता चलता है कि रोज़ी एक तवायफ की बेटी है जिसको गाने का और नृत्य का शौक है मगर मार्को को ना पसंद होते हुए अब वह यह सब नहीं करती। रोज़ी जब मार्को की बेवफ़ाई का पता चलता है तो वह आत्महत्या करने की कोशिश करती है तब राजू उसको समझाता है कि यह गलत है और अब वह अपने सपनो के लिए जिए।
राजू रोज़ी को अपने घर में पनाह देता है मगर यह बात उसकी माँ और समाज को पसंद नहीं आती। सब उससे हर रिश्ता तोड़ देते हैं, राजू के पास आमदनी का साधन ना होते हुए भी वह रोज़ी की मदद करता है और उसको एक प्रसिद्ध डांसर और गायक बना देता है।
रोज़ी की प्रसिद्धता देखकर मार्को उसके पास वापिस आने की कोशिश करता है मगर बीच में राजू आ जाता है। राजू नहीं चाहता कि रोज़ी वापिस मार्को के पास जाए इसके लिए राजू रोज़ी के जाली हस्ताक्षर कर देता है उन पेपर्स पर जो मार्को ने दिए थे , लॉकर से रोज़ी के ज़ेवर निकालने के लिए।
यह जानकर रोज़ी को बहुत दुःख होता है कि राजू उससे पैसे मांग भी तो सकता था ये सब करने की क्या जरुरत थी। इस धोख़े के लिए वह राजू को जेल करवा देती है। राजू अपने अच्छे व्यव्हार के चलते 6 महीने पहले ही छूट जाता है। रोज़ी और राजू की माँ उसको हर जगह ढूंढते है मगर उसकी कोई खबर नहीं मिलती।
राजू एक गांव के बाहर मंदिर में सोता हुआ मिलता है गांव के एक व्यक्ति भोला को। वह राजू को साधु समझ लेता है और अपनी परेशानी बताता है कि उसकी बहन शादी के लिए मना कर रही है, राजू भोला की बहन को समझाता है और वह मान जाती है। भोला पूरे गांव वालों को बताता है और सभी राजू से अपनी परेशानी का हल निकलवाने आते है। धीरे – धीरे राजू की ख्याति हर जगह फैल जाती है।
अब राजू बहुत बड़ा साधु बन चूका है। एक दिन वह एक कहानी सुनाता है कि एक गांव में बहुत समय से बारिश नहीं होती है तो एक साधु उपवास करते हैं और बारिश होने लगती है। राजू के गांव में भी कई समय से बारिश नहीं हुयी होती है। एक व्यक्ति गांव में यह अफवाह फैला देता है कि राजू 12 दिनों का उपवास करेगा, बारिश लाने के लिए।
यह सब सुनने के बाद राजू भोला और सभी गांव वालों को अपनी सच्चाई बताता है कि एक महिला ने उसे जेल भिजवाया है , वह इतना अच्छा भी नहीं है , मगर फिर भी सभी उसका बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। सभी के लिए राजू 12 दिनों का उपवास करता है और उपवास के आखिरी दिन रोज़ी, राजू की माँ और उसका दोस्त आते हैं , राजू बहुत कमज़ोर हो चुका है। 12 वे दिन गांव में बारिश होती है सभी बहुत खुश होते हैं और बाहर बारिश का मज़ा ले रहे होते हैं और अंदर राजू की मौत पर उसका परिवार आंसू बहा रहा होता है।
Songs & Cast – फिल्म में कई सुरीले गाने हैं , ” गाता रहे मेरा दिल “, ” आज फिर जीने की तमन्ना है “, “पिया तोसे नैना लागे रे “, ” क्या से क्या हो गया बेवफ़ा “, आदि , जिनको गया है लता मंगेशकर ,किशोर कुमार और मोहम्मद रफ़ी ने।
फिल्म को संजोया है देव आनंद, वहीदा रहमान , किशोर साहू, लीला , प्रेम सागर और बहुत से मंझे हुए कलाकारों ने बहुत ही खूबसूरती से।
Location – इस फिल्म की शूटिंग देश के कई हिस्सों में हुयी है जैसे राजस्थान के चित्तौरगढ़ सिटी और गुजरात के अहमदाबाद के पास बसा हुआ लिमड़ी टाउन।
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