जीवन नैया 1930 दशक की एक प्रसिद्ध फिल्म, जिसका निर्माण हिमांशु राय ने अपने स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज़ के लिए किया था और इसके निर्देशन के लिए फ्रांज ओस्टेन को चुना गया था। यह फिल्म भारतीय सिनेमा में 2 जून 1936 को रिलीज़ हुयी थी।
अशोक कुमार ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात इसी फिल्म से ही की थी। यह फिल्म उनको किस्मत से मिली और इस फिल्म की सफलता के बाद उनके सफर ने एक नयी उचाईयों को छुआ था।
Story Line
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक छोटी सी रोती हुयी बच्ची के साथ, जिसको उसकी माँ अपनी बदमानी के खौफ से उसको एक अनजान महिला को सौंप देती है उसका पालन करने के लिए। उस छोटी सी बच्ची का नाम लता रखा जाता है।
लता की माँ एक डांस करने वाली थी और उस समय में डांस करने वाली महिलाओं के साथ सही व्यव्हार नहीं किया जाता था। उन्हें कभी भी ना तो सम्मान मिलता था और ना ही स्नेह। लता को अपनी माँ का यह पेशा पता था और यह बात उसको अपनी पालक माता से पता चलती है।
समय के साथ – साथ लता बड़ी होती है और युवा लता खूबसूरत होने के साथ – साथ बहुत ही बुद्धिमान और समझदार थी। एक दिन उसकी मुलकात एक अमीर व्यक्ति रंजीत से होती है और यह मुलाकात धीरे – धीरे प्रेम में बदल जाती है। और यह प्रेम जल्द ही एक रिश्ते से बदल जाता है, दोनों सगाई कर लेते हैं।
और उसी दिन चंद नाम के शख्स से लता की मुलाकात होती है और उसकी बातें सुनकर लता के पैरों तले जमीन ही खिसक जाती है क्योकि चंद को लता की सच्चाई पता होती है कि वह किसकी बेटी है। चंद एक शर्त के साथ लता को मजबूर करता है कि अगर लता सभी रिश्तेदारों के सामने सच नहीं बताएगी तो वह यह सच पूरी दुनिया के सामने ले आएगा।
लता के द्वारा बताया गया सच जानकर रंजीत लता को छोड़ देता है और एक छोटी सी बात से दोनों का रिश्ता टूट जाता है। दुखी लता वह शहर छोड़ देती है और गांव में आकर रहने लगती है, वहां पर वह छोटे – छोटे बच्चों को पढ़ाती है और उनका ध्यान रखती है।
वहीँ दूसरी तरफ दुखी रंजीत की एक हादसे में दोनों आँखे चली जाती है। और वह इलाज करवाने के लिए उसी जगह आता है जहाँ पर लता रह रही होती है। रंजीत की सेवा और उपचार लता के द्वारा होता है और जल्द ही लता की सेवा से रंजीत की आंखे ठीक हो जाती है।
फिर रंजीत को पता चलता है कि जिसकी सेवा और इलाज से वह ठीक हुआ है वह कोई और नहीं बल्कि उसका प्यार लता है। उसको अपनी गलती का अहसास वह लता से अपने किये की माफ़ी मांगता है। लता उसको माफ़ करके उसके साथ विवाह कर लेती है।
Songs & Cast
जीवन नैया جیون نیا۔ फिल्म में संगीत सरस्वती देवी ने दिया है और इन खूबसूरत गीतों को लिखा है जमुना स्वरूप कश्यप ने , “तुम जो रूठे हो मजा आ जाएगा”, “नारी बिन घर में रहे उदासी”, “प्रेम की नदिया जीवन नैया”, “आओ आशा के फूलन हिल मिल कर झूला झूलो”, “आजी आना जरा इक उड़ती पतंगियो”, “मैं तुम में हूं तुम मुझे में हो”, “जीवन है सपना मोह और माया” और इन जीतों को अशोक कुमार , देविका रानी और एस एन त्रिपाठी ने गाया है।
फिल्म में मुख्य कलाकारों में देविका रानी और अशोक कुमार ने लता और रंजीत के किरदार को जीवित किया बाकि कलाकारों में एस एन त्रिपाठी ने चंद के किरदार को निभाया , कामता प्रसाद , अनवरी , कुसुम कुमार और मुमताज अली ने भी इस फिल्म को अपने अभिनय से सुपरहिट बनाया।
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