Parashakthi एक तमिल फिल्म, जिसका निर्देशन कृष्णन-पंजू ने किया और यह फिल्म सिनेमा घरों में 17 अक्टूबर 1952 दिवाली के दिन रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म से गणेशन और राजेंद्रन ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात की थी। यह फिल्म पावलर बालासुंदरम के प्रसिद्ध नाटक परशक्ति पर आधारित है।
यह फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए एक तमिल परिवार के साथ हुयी दुर्घटनाओं को दर्शाती है और उस समय फैली समाज की कुछ कुरीतियों के प्रभाव को दिखाती है।
Storyline
कहानी शुरू होती है तीन भाइयों के साथ, चंद्रशेखरन, ज्ञानसेकरन और गुनासेकरन, जो अपने देश से दूर रंगून, बर्मा में रहते हैं। तीनों में सबसे बड़ा भाई चंद्रशेखरन अपनी पत्नी सरस्वती को भी अपने दोनों भाइयों के साथ विदेश लेकर आया था। उन तीनों भाइयों की एक सबसे छोटी बहन कल्याणी होती है, जो अपने पिता मणिकमपिल्लई के साथ मदुरै में रहती है।
1942 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, तीनों भाइयों और सरस्वती को संदेशा मिलता है थंगप्पन नामक एक लेखक के साथ कल्याणी के विवाह का, सभी बहुत खुश होते हैं। मगर युद्ध की स्थिति और जापान द्वारा बर्मा के बंदरगाहों पर बमबारी के कारण, उन सभी को सिर्फ एक ही टिकट मिल पाता है। सभी की मंज़ूरी के साथ सबसे छोटा भाई गुनासेकरन कल्याणी के विवाह में जाता है।
युद्ध के कारण जहाज समय पर नहीं पहुँच पाता और कल्याणी का विवाह उसके बिना भाई के संपन्न हो जाता है। कुछ समय बाद कल्याणी गर्भवती हो जाती है। लेकिन जिस दिन वह अपने बच्चे को जन्म देती है, उसी दिन थंगप्पन की एक दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है। और वहीँ दूसरी तरफ कल्याणी के पिता मणिकमपिल्लई की इस सदमे से मृत्यु हो जाती है। अकेली और बेसहारा कल्याणी अपने बच्चे के साथ दर दर भटकने को मज़बूर हो जाती है।
घर नीलाम होने के बाद कल्याणी सड़कों पर रहकर बड़ी हो मुश्किलों से अपना जीवन यापन कर रही है। गुनासेकरन कई महीनों तक समुद्र में फंसे रहने के बाद, आखिरकार मद्रास पहुँचता है , मगर उसका सारा सामान और पैसे चोरी हो जाते हैं। आखिरकार जीवन यापन के लिए उसको पागलपन का नाटक करना पड़ता है। बहुत जल्द वह मदुरै पहुँचता है और अपनी बेसहारा बहन से मिलता है, मगर वह उसको नहीं बताता कि वह उसका भाई है।
वहीँ पर कल्याणी को वेणु नाम का एक आवारा लड़का छेड़ता है और यह देखकर गुनासेकरन वेणु की बहुत पिटाई करता है। यह देखकर कल्याणी मदुरै को छोड़कर तिरुचि चली जाती है और वहां पर एक अमीर आदमी नारायण पिल्लई के यहाँ नौकरानी का काम करने लगती है, और कुछ समय बाद नारायण पिल्लई उससे छेड़छाड़ करने की भी कोशिश करता है। मगर कल्याणी को उसकी पत्नी बचा लेती है। कल्याणी वहां से चली जाती है।
अपनी बहन की तलाश करते हुए, गुनासेकरन तिरुचि पहुंचता है और उसकी मुलाकात एक अमीर लड़की विमला से होती है, जो उसको कल्याणी की तलाश करने में मदद करती है।
जैसे ही बर्मा में जापानी गोलाबारी तेज होती है, चंद्रशेखरन और ज्ञानशेखरन भारत लौटने का फैसला करते हैं। चंद्रशेखरन, सरस्वती के साथ, सुरक्षित तिरुचि पहुँचता है मगर ज्ञानशेखरन जिस जहाज से भारत आ रहा होता है वह कहीं गुम हो जाता है और गोलाबारी में वह अपना एक पैर खो देता है। अपनी जीविका के लिए वह भीख माँगता है और भिखारियों के संघर्ष और उद्धार के लिए एक संघ बनाता है।
चंद्रशेखरन तिरुचि में अदालत में जज की नौकरी करता है। परेशां कल्याणी मदद मांगने के लिए एक मंदिर में जाती है और वहां का पुजारी भी अकेली महिला को देखकर छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है। जीवन से निराश होकर कल्याणी अपने बच्चे को नदी में फेंक देती है और जैसे ही खुद आत्महत्या करने का प्रयास करती है तो पुलिस द्वारा बच्चे की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर ली जाती है।
अदालत में, कल्याणी को जस्टिस चंद्रशेखरन के सामने लाया जाता है, जहाँ वह अपनी पूरी कहानी सुनाती है। कहानी सुनाते सुनाते कल्याणी बेहोश हो जाती है। चंद्रशेखरन को अपनी बहन पर बेटे हर दर्द की पीड़ा होती है मगर वह कुछ नहीं कर पाता। उसी समय पुजारी को मारने के जुर्म में गुनासेकरन को अदालत में लाया जाता है। जहाँ पर वह समाज में हो रही इस कुरीति के बारे में बताता है और अपनी बहन की पीड़ा को भी महसूस करता है
उसी समय विमला वहां पर आती है और बताती है कि कल्याणी का बच्चा जीवित है। जब उसने बच्चे को फेका था तो वह नदी में नहीं नाव में उसके पास आकर गिरा था। कल्याणी और गुनासेकरन को अदालत से बरी कर दिया जाता है। पूरा परिवार फिर से एक साथ आ जाता है।
Songs & Cast
परशक्ति फिल्म का संगीत आर. सुदर्शनम और इन सुरीले गीतों को भारतीदासन, सुब्रमण्यम भारती, एम. करुणानिधि, अन्नाल थांगो, उदुमलाई नारायण कवि और के.पी. कामचचिसुंदरम ने लिखा है -“देसम ज्ञानम कल्वी தேசம் ஞானம் கல்வி ” , “का का का கா கா கா “, “नेन्जू पोर्कु थिल्लई நெஞ்சு போர்கு தில்லை “, “बीमार वाझविनीली நோய்வாய்ப்பட்ட வாஸ்வினிலி” , “पुथु पेनिन புத்து பெனின்” , “ओह रसिक्कम सीमाने ஓ ரசிக்கம் சீமானே “, “एलोरम அலோரம்” , “कोंजू मोझी கொஞ்சு மோஜி ” , “पूमलाई பூமலை “, “पोरुले इलार्क्कु பொருலே இலர்கு “, “वाज़गा वाज़गवे வாஸ்கா வாஸ்கவே”, और इन गीतों को एम एल वसंतकुमारी, टी.एस. भगवती, एम. एस. राजेश्वरी, एम.एच. हुसैन और सी.एस. जयरामन ने गाया है।
फिल्म में शिवाजी गणेशन, एस वी सहस्रनामम, एस एस राजेंद्रन, श्रीरंजनी जूनियर और पंडारी बाई ने अभिनय किया है।
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