Rajkumar (ರಾಜ್‌ಕುಮಾರ್) – भारत के सबसे लोकप्रिय फिल्म सितारों में से एक

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राजकुमार कन्नड़ फिल्म का एक ऐसा अभिनेता और पार्श्व गायक, जिसने 5 दशक तक भारतीय सिनेमा में करीबन 205  फिल्मों में से 185 फिल्मे सुपर हिट दी और विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनायीं। दक्षिण भारत  में उन्हें कई और नामों से जाना जाता है जैसे – नाता सार्वाभूमा (अभिनेताओं के सम्राट), बंगारदा मानुष्या (सोने का आदमी), वरता नाता (उपहार अभिनेता) और राजन्ना / अन्नवरु (बड़े भाई, राज)  आदि।

1983 में मिले पद्म भूषण विजेता राजकुमार का असली नाम सिंगनल्लुरु पुट्टस्वामैया मुथुराज था, जो उन्होंने बाद में राजकुमार कर लिया। 1986 में आयी उनकी सुपर हिट फिल्म अनुराग अरालिथु छह अन्य भाषाओं में रीमेक करने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी। उनकी मृत्यु के बाद, द न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय फिल्म सितारों में से एक बताया था। 

Early Life –  राजकुमार का जन्म 24 अप्रैल 1929 को मद्रास के पास स्थित एक छोटे से गांव गजानुर में हुआ था।  उनके पिता पुट्टस्वामय्या और माता लक्ष्मम्मा सिंगनल्लूर दोनों ही थियेटर के कलाकार थे। राजकुमार  की प्रारंभिक शिक्षा गजानुर के विद्यालय में हुयी थी। महज 8 की आयु में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और थियेटर की तरफ रुख कर लिया। और उसके बाद वह अपने माता पिता के साथ नाटकों में छोटे छोटे अभिनय किया करते थे। 
उसके बाद राजकुमार ने फ़िल्मी दुनिया में प्रवेश किया गब्बी वीरन्ना की गब्बी ड्रामा कंपनी के साथ जुड़कर, उन्होंने एक नाटककार के रूप में लंबे समय तक कार्य किया। 1954 में राजकुमार ने मुख्य अभिनेता के रूप में फिल्म बेदरा कन्नप्पा में काम किया। 
Professional Life –  महज 13 वर्ष की उम्र में ही राजकुमार फ़िल्मी दुनिया में कदम रख चुके थे उन्होंने 1942 में भक्त प्रह्लाद फिल्म में कलाकार के रूप में एक छोटी सी भूमिका की, इसके बाद 1952 में आयी फिल्म श्रीनिवास कल्याना में दिखे थे। 
 1954 में 25 वर्षीय राजकुमार ने मुख्य किरदार में फ़िल्मी जगत में अपने करियर की शुरुवात की। इसके बाद उन्होंने हर तरह की फिल्मे की जैसे रोमेंटिक , ऐतिहासिक, रहस्मयी , जासूसी, ज्ञानवर्धक, कॉमेडी आदि। एक वर्ष में वह 8 फिल्मे करते थे जिसमे से आधी से ज्यादा फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा प्रदर्शन करती थी। 40 फिल्मे उन्होंने ऐसी की जो प्रसिद्ध नॉवल्स पर आधारित थी। 
उनकी ऐतिहासिक फिल्में जैसे रानाधीरा कांटेरावा, इमाडी पुलिकेशी, श्री कृष्णदेवराय और मयूरा आदि थी। राजकुमार ने उस समय की कई सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों के साथ कई सारी फिल्मो में काम किया था जैसे –जयंती के साथ (36 फ़िल्में की , पंडरीबाई के साथ 18 फ़िल्में), लीलावथु के साथ 28 फिल्मों में काम किया , भारती के साथ 28 फ़िल्में, आरती के साथ उन्होंने 13 फ़िल्में की , हरिनी के साथ 11 फ़िल्में और कृष्णा भंडारी  के साथ 8 फिल्मों में काम किया। 
अभिनेत्रियों के साथ – साथ उस समय के अभिनेताओं के साथ भी राजकुमार के रिश्ते भाई जैसे ही रहे। राजकुमार ने अपने युवावस्था में ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी और उस शिक्षा का उपयोग राजकुमार फिल्मों में पार्श्व गायक बनकर किया। 
Personal Life –  राजकुमार का विवाह 24 वर्ष की आयु में 14 वर्ष की परवथम्मा से 25 जून 1953 में हुआ था।  राजकुमार के 5 बच्चों में 2 बेटियां और 3 बेटे हैं , तीनों बेटे शिव राजकुमार, पुनीत राजकुमार और राघवेंद्र राजकुमार अपने पिता की तरह ही फ़िल्मी जगत से जुड़े हुए हैं। 
सिंगिंग के शौकीन राजकुमार बड़े ही जिंदादिल और हसमुख इंसान थे। उन्हें खाने का बेहद शौक था, जिसमें घर का बना हुआ नॉन वेज। उनकी मृत्यु 12 अप्रैल 2006 को हार्ट अटैक से अपने बेंगलुरू वाले घर में हुयी थी। 

Awards – राजकुमार को अपने फ़िल्मी करियर में बहुत सारे अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया था  – 1983 में उन्हें राष्ट्रिय पुरुस्कार पद्म भूषण मिला।  1992 में फिल्म जीना चैत्र  के गाने नादामय ई लोकवाला के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का राष्ट्रिय अवॉर्ड। 1995 में  दादासाहेब फाल्के पुरस्कार – राजकुमार को अपनी सेवाओं के लिए ( इसे प्राप्त करने वाले वह पहले कन्नड़ अभिनेता थे )  

 अप्रैल 2013 में भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर, फ़ोर्ब्स ने राजकुमार की फिल्म बांगरदा मनुश्य को भारतीय सिनेमा के 25 सबसे अच्छे अभिनय प्रदर्शनों की सूची में शामिल किया गया था। 
Films –  राजकुमार ने अपने फ़िल्मी करियर में करीबन 205 फिल्मे करि और इनमे से 90 % फिल्मे सुपर हिट रही  – “Bedara Kannappa (1954)”, ” Bhakta Vijaya (1956)”, “Sodari (1955)”, “Jagajyothi Basveshwara (1959)”, “Anna Thangi (1958)”, “Aasha Sundari (1960)”, “Ranadheera Kanteerava (1960)”, “Dharma Vijaya (1959)”, “Bhakta Cheta (1961)”, “Devasundari (1962)”, “Sandhyaraaga (1966)”, Mohini Bhasmasura (1966)”, “Jedara Bale (1968)”, “Amma (1968)”, “Bhakta Kumbara (1974)”, “Bidugade (1973)”, “Thayige Thakka Maga (1978)”, “Hosa Belaku (1982)”, “Samayada Gombe (1984)”, 

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