संसारम अधु मिनसाराम एक पारिवारिक तमिल क्लासिक फिल्म है, जो 18 जुलाई 1986 को रिलीज़ हुयी थी। यह फिल्म विसु द्वारा लिखित और निर्देशित की गयी है और निर्माण एवीएम प्रोडक्शंस द्वारा किया गया। संसारम अधु मिनसाराम फिल्म की कहानी विसु के 1975 में आये एक नाटक उरावुक्कू काई कोडुप्पोम से प्रेरित है।
जब एक खुशहाल परिवार , जो मिलजुलकर रहते हैं और खुशियां बांटते है वह बिखर जाए तो केसा होगा , किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जब आप किसी बिखरे हुए परिवार का हिस्सा होते हैं। पहले जो परेशनी और खुशियां सफलता परिवार की होती है वही सब जब सिर्फ आप का होता है तो जीवन निष्क्रिय सा लगने लगता है।
Story Line
कहानी शुरू होती है अम्मैयप्पन मुदलियार, एक सरकारी क्लर्क से , जो अपनी पत्नी गोदावरी तीन बेटों चिदंबरम, शिव और भारती, बेटी सरोजनी और बहु उमा के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे होते हैं। अम्मैयप्पन अपनी छोटी सी कमाई से अपने संयुक्त परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उसमे उनके दोनों बेटे सहयोग करते हैं।
कुछ समय में ही बेटी सरोजनी के विवाह के लिए रिश्ते देखने शुरू हो जाते हैं। एक परिवार घर आता है तो सरोजनी उनका अपमान करके घर से निकाल देती है। और परिवार वालों को अपने एक दोस्त पीटर फर्नांडीज से विवाह करने की बात करती है। पहले तो परिवार ईसाई और हिन्दू के विवाह के लिए नहीं मानते मगर जब वह पीटर के पिता अल्बर्ट से मिलते हैं तो उच्च विचार रखने वाले अल्बर्ट से सभी प्रभावित होते हैं और विवाह की अनुमति दे देते हैं।
अम्मैयप्पन उस परिवार से माफ़ी मांगता है जिनको सरोजनी ने अपमानित करके भेज दिया था। अम्मैयप्पन की समझदारी देखकर वह अपनी बेटी वसंता के विवाह का प्रस्ताव शिव से करने का रखते हैं जिसको अम्मैयप्पन तुरंत मान जाता है। दोनों बच्चों का विवाह एक साथ हो जाता है।
गर्भवती उमा कुछ दिनों के लिए आपके मायके जाती है। तभी भारती का बारवी का रिजल्ट आता है और चौथी बार फिर से वह फेल हो गया। यह जानकर शिव उसकी बहुत पिटाई करता है और भारती इस बार पास होने का प्रण लेता है। और उसके लिए वह वसंता की मदद लेता है। नए वातावरण और काम की उलझनों में वसंता शिव को समय ही नहीं दे पाती थी, इस बात से दुखी वसंता अपने मायके चली जाती है और उसी दिन सरोजनी पीटर से लड़कर अपने मायके आ जाती है।
उसी दिन चिदम्बरम ने उमा की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए परिवार के लिए अपने मासिक योगदान को आधा कर दिया। इस बात से अम्मैयप्पन और चिदम्बरम में झगड़ा हो जाता है। अम्मैयप्पन चिदम्बरम को घर छोड़ने देते हैं मगर चिदम्बरम भी सरोजनी के विवाह में खर्च हुए अपने पैसों को मांगता है। यह सुनकर अम्मैयप्पन घर के दो हिस्से कर देता है एक हिस्से में उसका परिवार और दूसरे हिस्से में चिदम्बरम और उमा।
उमा बच्चे के साथ अपने घर वापस आती है और उसे सच का तो पहले वह अल्बर्ट के साथ मिलकर सरोजनी और पत्र को मिलवाती है , फिर वसंता और शिव के रिश्ते को जीवित करती है और अपने पति को परिवार के महत्त्व की सीख देने के लिए वह बहुत खर्चा करती है। चिदम्बरम उमा के इन खर्चों से परेशां होकर फिर से अपने परिवार के साथ रहने की मांग करता है। मगर उमा मना कर देती है क्योकि चिदम्बरम सिर्फ खर्चों से बचने के लिए परिवार के साथ रहने को तैयार हो रहा था। उमा उसको परिवार की अहमियत समझाती है कि सिर्फ पैसों की वजह से रिश्ते और प्यार नहीं बनते और यह कहकर वह अलग रहने का फैसला करती है मगर त्योहारों पर सभी साथ मानाने का फैसला करते हैं।
Songs & Cast
इस पारिवारिक फिल्म का संगीत शंकर-गणेश ने दिया और गीतों को वैरामुथु ने लिखा है – “जानकी देवी ஜனகி தேவி “, “अज़गिया अन्नी அசாகியா அன்னி”, “संसारम अधू मिनसाराम சம்சாரம் ஆடு மின்சாரம்”, “कट्टी करुम्बे कन्ना கட்டி கரும்பே கண்ணா”, “ऊरा थेरिनजुकिटन ஓரா தெர்ன்ஜுகிட்டன்” और इस फिल्म के सुरीले गीतों को गाया है के.एस. चित्रा, पी. जयचंद्रन, पी. सुशीला, वाणी जयराम और एस. पी. बालसुब्रमण्यम ने।
फिल्म में मुख्य भूमिका में नज़र आये हैं लक्ष्मी जिसने उमा का किरदार निभाया है और उसके पति चिदंबरम के रूप में रघुवरन। इसमें निर्देशक विसु ने एक परिवार के मुखिया अम्मैयप्पन मुदलियार का किरदार निभाया है। बाकि के कलाकारों में चंद्रशेखर ( शिव ), किश्मू (अल्बर्ट फर्नांडीस), इलावरसी (सरोजिनी), माधुरी (वसंता ), कमला कामेश (गोदावरी ) और दिलीप ( पीटर फर्नांडीस)
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