भारतीय सिनेमा

Movie Nurture: मलयालमसिनेमा

1980 का दशक मलयालम सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है। यह वह दौर था जब फिल्में सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि समाज का आईना बनकर उभरीं। राजनीतिक उठापटक, सामाजिक बदलाव, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की हलचलें—ये सभी तत्व पर्दे पर ऐसे उतरेContinue Reading

Movie Nurture: कलकत्ता 71 (1972): जब सिनेमा ने दिखाया समाज का आईना

1971 का साल, जब पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम की आग भड़क चुकी थी, और पश्चिम बंगाल की सड़कों पर नक्सलवादी आंदोलन का तूफान था। ऐसे उथल-पुथल भरे माहौल में मृणाल सेन ने “कलकत्ता 71” बनाई—एक फिल्म जो सिनेमाई कहानी नहीं, बल्कि समाज के घावों पर एक ऐसीContinue Reading

Movie Nurture: पर्दे के पीछे का जादू: बॉलीवुड की अनकही कहानियाँ

1930s… का वो दशक, जब बॉलीवुड “बॉलीवुड” नहीं, “हिंदी सिनेमा” था। चमक-दमक नहीं, संघर्ष था। पर्दे पर जादू दिखता था, पीछे पसीना बहता था। कैमरे चलते थे, तो स्टूडियो में बिजली कट जाती थी। एक्टर नहीं, कलाकार थे। जिन्हें पैसों के लिए नहीं, प्यार के लिए फिल्में करनी पड़ती थीं।Continue Reading

Movie Nurture: 1980s की बॉलीवुड फिल्में: जब सिनेमा था जादू जैसा

1980 का दशक। वह दौर जब टेलीविज़न धीरे-धीरे घरों में घुस रहा था, लेकिन सिनेमा हॉल्स अब भी भरे रहते थे। हर शुक्रवार को नई फिल्म रिलीज़ होती, और लोग टिकट के लिए लाइन में लगे नज़र आते। यह वह ज़माना था जब फिल्में “सिर्फ़ मनोरंजन” नहीं, बल्कि जीने काContinue Reading

Movie Nurture: रमोला देवी: 1940 के दशक की वह चमकती हुई सितारा जिसे इतिहास ने भुला दिया

1940 का दशक, जहाँ  भारत आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था, और बॉलीवुड अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। उस दौर में जब पर्दे पर नूरजहाँ और सुरैया जैसी अभिनेत्रियों का जलवा था, उसी समय एक और नाम भी चमक रहा था—रमोला देवी। यह नाम आजContinue Reading

Movie Nurture: एक मुसाफिर, एक हसीना : कश्मीर की वादी में प्यार का इम्तिहान

“एक मुसाफ़िर एक हसीना” 1962 की एक क्लासिक बॉलीवुड फ़िल्म है। राज खोसला द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में जॉय मुखर्जी और साधना मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फ़िल्म रोमांस, एक्शन, रहस्य और यादगार गानों का मिश्रण है, जो इसे सभी उम्र के लोगों के लिए एक मनोरंजक फ़िल्म बनाती है।Continue Reading

Movie Nurture: आंसू, प्यार और त्याग: चिन्ना मरुमगल का दिल छू लेने वाला सफर

1960 की तमिल फ़िल्म “चिन्ना मरुमगल” तमिल सिनेमा के इतिहास में एक टाइमलेस क्लासिक के रूप में जानी जाती है। प्रशांत कुमार द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म ने अपने दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। नाटक, भावना और सांस्कृतिक मूल्यों के एक बेहतरीन मिश्रण के साथ, “चिन्ना मरुमगल”Continue Reading

Movie Nurture: गाते हुए पर्दे: जब सिनेमा में आई आवाज

क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब सिनेमा में कोई आवाज नहीं होती थी? लोग सिर्फ मूक फिल्में देखते थे, जहाँ सिर्फ चित्र चलते थे और कोई आवाज नहीं होती थी। लेकिन फिर आया एक जादुई बदलाव, जब सिनेमा में आवाज आई। इसने सिनेमा की दुनिया को पूरीContinue Reading

Movie Nurture: जे. वी. सोमयाजुलु:

टॉलीवुड में एक सम्मानित व्यक्ति जे. वी. सोमयाजुलु ने अपने शक्तिशाली प्रदर्शन और बहुमुखी अभिनय से तेलुगु फिल्म उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी। “संकराभरणम” में शंकर शास्त्री के रूप में अपनी प्रतिष्ठित भूमिका के लिए जाने जाने वाले सोमयाजुलु का करियर विभिन्न शैलियों में रहा और उन्होंने अपनी अपारContinue Reading