Vasantha Maligai வசந்த மாளிகை एक रोमेंटिक फिल्म, जो 29 सितम्बर 1972 में तमिल सिनेमा में रिलीज़ हुयी और इसका निर्देशन के एस प्रकाश राव ने किया था। इस फिल्म ने करीबन 750 दिनों तक सिनेमा घरो में चलकर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में अपना नाम दर्ज करवाया। यह फिल्म 1971 में आयी तेलुगु फिल्म प्रेमा नगर का रीमेक थी।
फिल्म में निर्देशक ने यह बताने की कोशिश की है कि जीवन में चाहे किसी भी परिस्थितियां आ जाये मगर कभी भी गलत राहों पर नहीं चलना चाहिए। यह फिल्म एक ऐसी कहानी है जहाँ पर एक अमीर लड़के की लापरवाही और अविश्वास और एक गरीब लड़की का सेल्फ रेस्पेक्ट और उसके अपार प्रेम की कहानी है।
Story – कहानी शुरू होती है एक अमीर बाप के बेटे एक प्लैबॉय और शराबी आनंद से जो एक दिन हवाई जहाज की यात्रा करते हुए एक लड़की लता से मिलता है जो एयर होस्टेस होती है। लता अपने माता पिता, दो भाई और एक बहन के साथ रहती है और घर में सबसे ज्यादा कमाने वाली वही होती है, उसी की माँ चाहती थी की वह एयर होस्टेस बने और अब वही चाहती है कि वह यह नौकरी छोड़ दे। इस अंतिम सफर के साथ लता का एयर होस्टेस का करियर भी ख़त्म हो रहा है।
आनंद होने जामंदिन की पार्टी एक पब में मन रहा होता है और वहीँ पर लता भी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आती है मगर प्रबंधक के द्वारा उसके साथ जबरदस्ती करने पर वह चिल्लाने लगती है और उसकी आवाज़ सुनकर आनंद वहां आ जाता है और उसकी रक्षा करता है पब के प्रबंधक से। इसके बाद डरी सी लता को आनंद उसके घर छोड़ने जाता है।
दूसरे दिन लता आनंद को उसका कोट देने और शुक्रिया अदा करने के लिए उसके घर जाती है जहाँ बातों ही बातों में आनंद को पता चलता है कि लता नौकरी ढूंढ रही है तो आनंद उसको अपने यहाँ उसका सचिव नियुक्त कर लेता है। नौकरी पाकर लता बहुत खुश हो जाती है और दूसरे दिन से समय से अपने काम पर आ जाती है। आनंद उसको अपने परिवार से मिलवाता है और कुछ ही दिनों में लता को पता चलता है कि आनंद एक शराबी है और इसका बहुत ज्यादा सेवन करता है तो वह इस्तीफ़ा देने के बारे में सोचती है मगर आनंद के सबसे पुराने नौकर द्वारा उसको पता चलता है कि आनंद के व्यव्हार में काफी बदलाव आया है उसके आने के बाद।
आनंद की मंगेतर उसकी शराब पीने की आदत से बहुत परेशां रहती है और वह यह विवाह करने से मना करती है। आनंद की भाभी विमला को शक होता है कि यह सब कुछ लता की वजह से हो रहा है वह यह बात अपनी सास को बताती है मगर लता उन सभी को समझाती है कि वह सिर्फ अपना काम कर रही है और आनंद की माँ के कहने पर वह आनंद की शराब छुड़वाने की कोशिश का आश्वासन देती है।
एक दिन आनंद अपने नौकर के साथ शराब पी रहा था लता को देखकर नौकर वहां से भाग जाता है मगर आनंद उसी तरह शराब पी रहा होता है। लता के रोकने पर दोनों का झगड़ा हो जाता है और उस झगड़े में गुस्से में आनंद शराब की बोतल लता के सिर पर मारता है, जिससे वह घायल हो जाती है और वहां से चली जाती है। दूसरे दिन होश में आने के बाद जब आनंद को पिछली राह का किस्सा पता चलता है तो पछतावे में वह घर में रखी सभी शराब की बोतलों को तोड़ देता है और लता से अपने द्वारा किये गए व्यव्हार की माफ़ी मांगता है।
इसके बाद वह घोषणा करता है कि वह अब कभी भी शराब नहीं पियेगा और उस लड़की के लिए एक नया महल बनाएगा जिसे वह वास्तव में प्यार करता है। और उस महल का नाम “वसंत मालिगई” होगा। यह सुनकर सभी उस रहस्यमयी महिला के बारे को उत्सुक है। जब उस महल का निर्माण हो जाता है तो आनंद लता और अपने पूरे परिवार के साथ महल में आता है और लता को उस लड़की से मिलवाने के लिए शीशे के आगे ले जाता है और बताता है कि यही वो लड़की है जिससे वह प्रेम करता है और विवाह करना चाहता है।
उसकी समय आनंद का भाई विजय लता पर विमला के गहने चुराने का आरोप लगता है, विजय इस तरह से कहानी बनाता है कि आनंद और सभी को लता पर शक होता है और वह उससे इसके बारे में पूछता है मगर लता बिना कुछ बताये वहां से चली जाती है। जब आनद को विजय के झूठ के बारे में पता चलता है तो वह पछतावा करता है कि उसने उस लड़की पर विश्वास नहीं किया जिससे वह इतना प्रेम करता है। वह लता से माफ़ी मांगता है मगर इस बार लता उसको माफ़ नहीं करती।
दुखी आनंद कुछ दिनों के बाद बहुत बीमार हो जाता है, आनंद की माँ लता से माफ़ी मांगने जाती है तो उनको पता चलता है कि लता किसी और से विवाह कर रही है। वह बहुत समझाती है लता को मगर लता अपनी शादी का निमंत्रण उनको देती है। विवाह वाले दिन लता की भाभी और दूल्हे की माँ की वजह से वह विवाह टूट जाता है और उसी समय आनंद की माँ आकर लता को आनंद से विवाह करने को कहती है और लता उनके साथ वसंत मालिगई आ जाती है आनंद से मिलने।
मगर जैसे ही वह कमरे में जाती है तभी आनंद पश्चाताप और प्रेम में दुखी होने के कारण जहर पी लेता है और लता को देखकर उसकी बाँहों में गिर जाता है। तुरंत आनंद को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, कुछ दिनों के बाद ठीक होकर वह और लता एक दूसरे से विवाह कर लेते हैं।
Songs & Cast – इस फिल्म में के वी महादेवन ने संगीत दिया है और इन गीतों को लिखा है कन्नदासन ने – “ओ मानिदा जाथिये ஓ மனிதா ஜாதியே “, “इरंडु मनम இரண்டு மனம் “, “कलीमगल काई पोरुले கலைமகல் கை பொருலே “, “आदियम्मा राजति ஆதியம்மா ராஜதி “, “ओरु कीनाथै ஓரு கின்னாதாய் “, और इन गानों को गाया है – पी सुशीला, टी एम सोनुधराजन, एल आर ईस्वरी और बी वसंथा ने।
फिल्म में शिवाजी गणेशन ने बेहद ही उम्दा अभिनय किया है और उन्होंने फिल्म में आनंद को निभाया है, वाणीश्री ने लता का किरदार निभाया है और इन दोनों का साथ दिया है के बालाजी (विजय कुमार ), मनोज सुंदराजन (लता के पिता), नागेश (पंचवर्णम), वी.एस. राघवन (पोन्नैया), संता कुमारी (आनंद और विजय की माँ ), पंडरी बाई (लता की माँ), सुकुमारी (विमला), ने।
इस फिल्म की अवधि 2 घंटे और 42 मिनट्स है और इस फिल्म का निर्माण सुरेश प्रोडक्शन कंपनी के तहत डी रामानायडू ने किया था।
Location – इस फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के बेंगलोर शहर और उसके आस पास के बेहद खूबसूरत जगहों पर की गयी है।
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