Movienurture:- Raj kapoor

Shree 420 – एक साधारण से जीवन की कहानी

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 एक साधारण सा जीवन जीने वाला इंसान, जिसने अपने जीवन के हर पहलू का ताना – बाना बड़ी ही उम्मीदों  से बुना होता है।  जहाँ कहीं गम होते हैं तो वहीँ पर खुशियों की एक लौ  भी जलती है।  हमेशा जीवन में कुछ आभाव होते हैं , मगर वहां पर एक संतुष्टि की भी रोशनी आती है।

   श्री 420 एक ऐसी ही फिल्म है, जिसमे एक साधारण से व्यक्ति की जीवन की कहानी को बताया गया है।  यह अपने ज़माने में सुपर हिट फिल्मो में गिनी जाती थी।  यह फिल्म 1955 में रिलीज़ हुयी और इसका निर्देशन और प्रोडक्शन राज कपूर साहेब ने ही किया था। 

Movienurture:-Raj KapoorStory 

कहानी शुरू होती है एक गरीब लड़के से जो इलाहाबाद से मुंबई आता है नौकरी करने के लिए,वह भी पैदल। क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह किसी साधन से इलाहाबाद से मुंबई आ सके। वहां पहुंचकर  धीरे-धीरे वह सबके दिलों में अपनी जगह बना लेता है और उसे वहीं पर रहने वाली एक गरीब शिक्षिका विद्या से प्रेम हो जाता है।

    काम की तलाश में राज इधर-उधर भटकता रहता है और उसकी मुलाकात एक बेईमान व्यवसायी सोना चंद धर्मानंद और एक लड़की माया से होती है। जब सोना चंद और माया को राज की असलियत और उसके भोलेपन का पता चलता है तो वह धीरे-धीरे राज को अपनी बेईमान और चालबाजी की दुनिया में ले आते हैं।

  और अंततः राज एक बेईमान और 420 बन जाता है। जुआ खेलना शराब पीना और सभी को धोखा देना यह उसकी आदत बन जाती है। यह सब जानकर विद्या को बहुत दुख होता है और वह राज को सुधारने की कोशिश भी करती है  लेकिन कोई फायदा नहीं होता।

इसी बीच सोनाचंद राज के साथ मिलकर एक पोंजी स्कीम को लेकर आता है जिसमें वह महज एक रुपए में घर देने का वादा करता है। यह जानकर बहुत से लोग इस स्कीम में अपना पैसा लगा देते हैं वो भी खुद के घर की उम्मीद से। इसके बाद राज बहुत अमीर बन जाता है, मगर जल्द ही उसे सोनाचंद के गलत इरादों का पता चल जाता है कि वह कभी भी किसी को भी कोई घर नहीं  देगा।

Movienurture:- Raj kapoor

राज को बहुत पछतावा होता है सोनाचंद के साथ मिलकर काम करने का और वह मन ही मन यह निश्चय कर लेता है कि वह यह सब फिर से ठीक कर देगा और जो भी वादा किया है उसको पूरा करने की कोशिश करेगा क्योंकि इससे हर गरीब इंसान की एक उम्मीद जुड़ी हुई है। रात को राज सोनाचंद के घर जाता है सभी लोगों के घर के बॉन्ड पेपर चुराने के लिए, मगर वह पकड़ा जाता है और जैसे ही वह भागने की कोशिश करता है सोनाचंद उसको गोली मार देता है। गोली लगते ही राज बेहोश हो जाता है।
  कुछ ही देर में पुलिस वहां पर आ जाती है और सोनाचंद पुलिस को यह बताता है कि राज उसकी तिजोरी से पैसे  चुराकर भागने की कोशिश कर रहा था इसीलिए उसने राज को गोली मार दी। थोड़ी देर में राज को होश आ जाता है और वह सोनाचंद के किए गए सभी अपराधों का खुलासा करता है पुलिस के सामने। पुलिस सोनाचंद और उसके साथियों को गिरफ्तार करके ले जाती है। राज विद्या से अपने किये गए गलत कामों की माफी मांगता है और वह माफ भी कर देती हैं। उसके बाद राज सभी से कहता है कि वह 420 नहीं है वह तो श्री 420 है। फिल्म इस प्रसिद्ध डायलॉग के साथ खत्म हो जाती है।
Movienurture:- Nadira

Songs & Cast – इस फिल्म के सभी गाने सुपर हिट रहे और आज भी गुनगुनाये जाते हैं , “दिल का हाल सुने दिल वाला “, ” मेरा जूता है जापानी”, “प्यार हुआ इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल “,  “मुड  मुड  के न देख “, “ईचक दाना बीचक दाना “, ” रम्मया वस्तावैया “आदि गाने जिनको सुरीले धागों में पिरोया है लता मंगेशकर ,आशा भोंसले , मन्ना डे , मोहम्मद रफ़ी और मुकेश ने।

       इस नायब फिल्म को  राज कपूर , नरगिस, नादिरा , रमेश सिन्हा और कई अन्य कलाकारों ने अपनी अदाकारी से संजोया है।

Location इस फिल्म की शूटिंग ज्यादातर मुंबई के एक स्टूडियो में होने के साथ शाजापुर ( मध्य प्रदेश ) में भी हुयी थी। 

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