विलायट्टू पिल्लई एक पारिवारिक तमिल फिल्म जो 20 फरवरी 1970 को दक्षिण भारतीय सिनेमा में रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म का निर्देशन ए पी नागराजन ने किया था। विलायट्टू पिल्लई का हिंदी में अनुवाद – चंचल लड़का से है और यह फिल्म एक ऐसी जीवन शैली की और इंगित करती है जहाँ पर एक स्वाभाव से चंचल युवा किस तरह से एक जिम्मेदार नागरिक बन जाता है।
यह फिल्म कोठमंगलम सुब्बू के एक प्रसिद्ध उपन्यास राव बहादुर सिंगारम पर आधारित है। और यह फिल्म जेमिनी स्टूडियो द्वारा निर्मित की गयी है। यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनी और इसने सफ़लतपूर्वक थियेटर में अपने 100 दिन भी पूरे किये।
Story Line –
कहानी शुरू होती है गांव में रह रहे एक साधारण से किसान मुथैया से। मुथैया अपने परिवार की जीविका खेती करके करता है । एक दिन गांव के एक अमीर आदमी की बेटी, मारगथम के बैल, नीलमणि गांव में आतंक मचा देता है जिसकी वजह से सभी लोग परेशां हो जाते हैं। और वह सभी गांव वालों को नीलमणि से बचाता है और नीलमणि को काबू में भी करता है ।
यह सब मुथैया के दुश्मन मार्गगम को पसंद नहीं आता है और वह मुथैया को नीचा दिखाने के लिए उसे एक रेक्ला दौड़ में भाग लेने की चुनौती देता है। मुथैया भाग लेता है और उस रेस में जीतता भी है । यह सब देखकर मारगथम मन ही मन मुथैया को प्रेम करने लगती है । बेटे की जीत से खुश मुथैया की माँ उसके विवाह के बारे में सोचने लगती है, उसका यह मानना है कि अब मुथैया का विवाह हो जाना चाहिए। और आज मुथैया को और अधिक जिम्मेदारी से जीने की सलाह भी देती हैं ।
मुथैया के चाचा पुत्र पक्ष की तरफ से मरागाथम के पिता के पास जाते हैं उनकी बेटी का विवाह अपने बेटे से करने के लिए । यहाँ पर इतना पैसा देखकर उनका मन बदल जाता है और वह सोचते हैं कि अगर यह विवाह मुथैया की जगह उनके खुद के बिगड़ैल बेटे के साथ तय हो जायेतो केसा रहेगा । इस सोचकर वह अपने वेट का रिश्ता तय कर देते हैं ।साथ तय करने के लिए सहमत हैं,
जिस दिन मरागाथम वेलु की शादी होने वाली होती है मरागाथम मंदिर में मुथैया से विवाह कर लेती है । इसके बाद दोनों ख़ुशी – ख़ुशी अपने जीवन की शुरुवात करते हैं। कुछ समय बाद दोनों के एक बेटा मनिकम होता है। एक दिन एक हाथी अपना नियंत्रण खोकर गांव में आकर बर्बादी करना शुरू कर देता है। उसी समय उस हाथी को काबू में मुथैया करता है और सभी की रक्षा करता है।
उसी समय राज्य की राजकुमारी इंदु वहां आती है और मुथैया की बहादुरी देखकर उस पर मोहित हो जाती है। और राजकुमारी मुथैया और उसके परिवार को महल में आमंत्रित करती है अपने पिता से मिलवाने के लिए। वेलु जो अपना विवाह टूटने के बाद से ही मुथैया से नफरत करता है और,वह मुथैया की छवि को बर्बाद करने के लिए,राजकुमारी और मुथैया के बीच सम्बन्ध की अफवाह को पुरे गांव में फैला देता है।
और अंत में वेलु मुथैया को एक प्रतियोगिता की चुनौती देता है जिसमे मुथैया का सामना एक ऐसे बैल से होना था, जिसके सींग ज़हर से भरे होते हैं। इसके बाद भी मुथैया विजयी होता है और वह चुपचाप वहां से अपने परिवार को लेकर किसी दूसरे गांव में जाकर खुशी से रहने लगता है।
Songs & Cast –
फिल्म में संगीत के वी महादेवन ने दिया है और इनके गानों को कामनादासन ने लिखा – “अनासिक्कु पिल्लैएन्ड्रू ஆசைக்கு பிள்ளையேந்திரு”, “सोलामल थेरिया वेंडूम சொல்லமல் தெரியா வெண்டூம்’, “येरु पेरुसा इंथा ओरु पेरुसा யெரு பெருசா இன்தா ஓரு பெருசா”, “थज्जन्थिरुन्थोम ओरु कलाथिले தாஜந்திருந்தோம் ஓரு கலத்திலே”, “सामी कथै सोला केलुंगा சாமி கதாய் சொல்லா கெலுங்கா”, “अरुमुगन नांबिए अणाई मुगन ஆறுமுகன் நம்பியே ஆனாய் முகன்” और अपनी आवाज़ से इनको सजाया है पी सुशीला , एस जानकी और टी एम सुंदराजन ने।
फिल्म में शिवाजी गणेशन ने मुथैया के किरदार को निभाया है और उनका साथ दिया है पद्मिनी ने मरागाथम का , कंचना ने इंदु का , मनोरमा ने वेणु की पत्नी का ,एस एन लक्ष्मी ने मुथैया की माँ का और चो ने वेणु का किरदार।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.