भारतीय फिल्म उद्योग, जिसे बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, का समृद्ध इतिहास कई महान अभिनेताओं और अभिनेत्रियों से भरा हुआ है। पृथ्वीराज कपूर एक ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास को निर्माण करने में अपना सहयोग दिया है। वह एक महान अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे जिन्होंने न केवल बॉलीवुड में क्रांति लाई बल्कि भारतीय अभिनेताओं की भावी पीढ़ियों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया।
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Early Life
पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर, 1906 में पंजाब के एक छोटे से गांव समुंदरी में पंजाबी हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके पिता दीवान बशेश्वरनाथ सिंह कपूर एक पुलिस अधिकारी थे और उनकी मां एक गृहिणी थीं। पृथ्वीराज आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने लायलपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में पेशावर के एडवर्डस कॉलेज में अध्ययन किया। इसके बाद अभिनय के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए वह बंबई चले गए।
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Career
पृथ्वीराज कपूर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत लायलपुर और पेशावर के थियेटरों में छोटे – छोटे अभिनय से की। उसके बाद वह बंबई चले आये और इंपीरियल फिल्म्स कंपनी से जुड़ गए जहाँ उनको 1928 की एक फिल्म “दो धारी तलवार” में एक छोटी सी भूमिका में अपना अभिनय दिखने का मौका मिला। उसके बाद मुख्य किरदार में 1929 में आयी मूक फिल्म “सिनेमा गर्ल” में उन्हें अपने अभिनय से पहचान बनाने का मौका मिला। उन्होंने “बसंत,” और “आलम आरा” जैसी विभिन्न फिल्मों में अभिनय किया। हालाँकि, यह “दीवार” फिल्म में उनका प्रदर्शन, जिसने उन्हें स्टारडम तक पहुंचा दिया। इसके बाद उन्होंने 1944 में अपनी खुद की थिएटर कंपनी, पृथ्वी थिएटर बनाई, जिसका उद्देश्य थिएटर को जन-जन तक पहुंचाना था। उन्होंने पृथ्वी थिएटर के बैनर तले “किसान,” “शकुंतला,” और “कला मंदिर” जैसे विभिन्न फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया।
1940 के दशक के अंत में, पृथ्वीराज कपूर ने 1951 में फिल्म “आवारा” से शुरुआत करते हुए फिल्म निर्माण में कदम रखा, जो एक बड़ी सफलता थी। उन्होंने “श्री 420,” “जिस देश में गंगा बहती है,” और “मुगल-ए-आजम” जैसी विभिन्न फिल्मों का निर्माण और अभिनय किया, जो बॉलीवुड इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से कुछ बन गईं।
Personal Life
पृथ्वीराज कपूर का विवाह 1923 में रामसरनी मेहरा से हुआ था, और उनके छः बच्चे हुए: राज कपूर, शशि कपूर, शम्मी कपूर, देविंदर, रविंदर और उर्मिला सियाल कपूर। जिसमे से रविंदर और देविंदर की मृत्यु बचपन में ही हो गयी थी। उनके बेटे राज और शशि कपूर आगे चलकर दिग्गज अभिनेता बने। पृथ्वीराज कपूर का 29 मई 1972 को 65 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन हो गया। और उनके निधन के ठीक 16 दिन बाद उनकी पत्नी रामसरनी मेहरा का भी निधन 14 जून 1972 को कैंसर से हो गया था।
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Prithviraj Kapoor’s influence on Indian cinema
भारतीय सिनेमा में पृथ्वीराज कपूर का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने न केवल खुद को एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में स्थापित किया, बल्कि भारतीय रंगमंच और फिल्म में भी क्रांति ला दी। उनकी थिएटर कंपनी, पृथ्वी थिएटर ने न केवल थिएटर को बढ़ावा दिया बल्कि अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की भावी पीढ़ियों को एक नया प्लेटफार्म दिया। उनकी फिल्म निर्माण कंपनी ने बॉलीवुड इतिहास की कुछ सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों का निर्माण किया और उनके अभिनय कौशल ने अनगिनत अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को प्रेरित किया।
पृथ्वीराज कपूर की विरासत उनके परिवार के सदस्यों के माध्यम से जीवित है, जो अब अपने आप में महान अभिनेता माने जाते हैं। उनके बेटे राज कपूर और शशि कपूर ने खुद को बॉलीवुड में प्रमुख अभिनेताओं के रूप में स्थापित किया, और उनके पोते ऋषि कपूर ने अपने त्रुटिहीन अभिनय कौशल के साथ पारिवारिक परंपरा को जारी रखा।
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