विवहिता 1970 की एक मलयालम फिल्म है, जो एम. कृष्णन नायर द्वारा निर्देशित और थोपिल भासी द्वारा लिखित है। फिल्म में प्रेम नजीर, सत्यन, पद्मिनी और सुकुमारी मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म बी.आर. द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म गुमराह (1963) का रीमेक है। यह फिल्म दक्षिण भारतीय सिनेमा घरों में 11 सितम्बर 1970 को रिलीज़ हुयी थी।
स्टोरी लाइन
फिल्म मीना (पद्मिनी) की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी बहन कमला (कवियूर पोन्नम्मा) की एक दुर्घटना में मृत्यु के बाद अपने जीजा अशोक (सत्यन) से शादी कर लेती है, भले ही वह राजेंद्रन (प्रेम नजीर) से प्यार करती है, जो एक महत्वाकांक्षी गायक और चित्रकार है। वर्षों बाद, वह एक पार्टी में फिर से राजेंद्रन से मिलती है और उसे अपने अतीत और उसके लिए अपनी भावनाओं को नहीं छुपा पाती है। इसके बाद उसे लीला (उषाकुमारी) से ब्लैकमेल का भी सामना करना पड़ता है, जो राजेंद्रन की पत्नी होने का दावा करती है और अशोक के सामने उसके संबंध को उजागर करने की धमकी देती है। मीना को अपने प्यार और कर्तव्य के बीच चयन करना होता है और अपने कार्यों के परिणामों का भी सामना करना होगा।
यह फिल्म 1970 के दशक के मलयालम सिनेमा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो सामाजिक मुद्दों, नाटकीय भावनाओं और नैतिक दुविधाओं के यथार्थवादी चित्रण के लिए जाना जाता था। फिल्म प्रेम, त्याग, मुक्ति, परिवार और समाज के विषयों को दर्शाती है। फिल्म अभिनेताओं की प्रतिभा को भी प्रदर्शित करती है, विशेषकर पद्मिनी, जो संघर्षशील नायिका के रूप में एक शक्तिशाली प्रदर्शन करती है। मीना के जीवन में दो व्यक्तियों के रूप में प्रेम नज़ीर और सत्यन ने भी दमदार अभिनय किया है। फिल्म में जी. देवराजन द्वारा रचित और वायलार रामवर्मा द्वारा लिखित कुछ यादगार गाने भी हैं, जैसे “पचमलयिल”, “सुमंगली नी ओरमिकुमो”, और “वसंथाथिन मकाललो”।
रिलीज के समय फिल्म को समीक्षकों और दर्शकों ने खूब सराहा। यह व्यावसायिक रूप से भी सफल रही और सिनेमाघरों में 100 से अधिक दिनों तक चली। फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, जिनमें पद्मिनी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार और मलयालम में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.