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अम्मा അമ്മ – माँ के बलिदान और अटूट प्यार की कहानी

Sonaley Jain by Sonaley Jain
March 15, 2023
in Films, Hindi, Malayalam, Movie Review, old Films, South India, Top Stories
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Movie Nurture: Amma
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अम्मा അമ്മ 1952 की मलयालम फिल्म, जिसका निर्देशन जाइरस पॉल विक्टर ने और निर्माण टी.ई. वासुदेवन ने किया और यह फिल्म 6 दिसम्बर 1952 को केरला सिनेमा में रिलीज़ हुयी। यह फिल्म अपने बच्चे के लिए एक मां के बलिदान और प्यार से ज्यादा परंपरा को महत्व देने वाले समाज में उसके सामने आने वाली चुनौतियों की दिल दहला देने वाली कहानी है।

अम्मा फिल्म एल. वी. प्रसाद की तेलुगू फिल्म शावुकर షావుకర్ पर आधारित है। और यह तमिल में भी इसी नाम से बनाई गयी। फिल्म मलयालम और तमिल दोनों में सफल रही और यह 1952 में रिलीज़ हुयी 11 मलयालम फिल्मों में से 2 हिट फिल्मों में से एक थी।

Movie Nurture: Amma

Story Line

फिल्म की कहानी लक्ष्मी अम्मा के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक गरीब एकल माँ है, जो घरेलू सहायिका के रूप में काम करके अपने बेटे वेणु की परवरिश करती है। लक्ष्मी अम्मा का एकमात्र सपना अपने बेटे को शिक्षित और सफल देखना है। हालाँकि, वेणु को एक अमीर लड़की राधा से प्यार हो जाता है, जिससे दोनों परिवारों के बीच टकराव होता है।

मगर बाद में वेणु राधा से विवाह करके मद्रास चला जाता है। शुरुवात में वेणु अपनी माँ को खर्चे के लिए पैसे भेजता था मगर यह बात राधा को पसंद नहीं थी और कुछ समय बाद राधा के कहने पर वेणु पैसे भेजना बंद कर देता है। इसी बीच लक्ष्मी ने जिस साहूकार से पैसे उधार लिए थे वेणु के विवाह के लिए, तो पैसे ना मिलने पर साहूकार लक्ष्मी को घर से निकाल देता है।

मजबूरन वेणु राधा के खिलाफ जाकर अपनी माँ को घर लाता है। कुछ समय तक सब कुछ ठीक चलता है मगर राधा को लक्ष्मी का घर पर रहना पसंद नहीं आ रहा था, तो वह लक्ष्मी को परेशान करना शुरू कर देती है, और एक दिन परेशान होकर वेणु अपनी माँ को घर से निकाल देता है।

Movie Nurture: Amma

सड़क पर आने के बाद लक्ष्मी कई परेशानियों का सामना करती है और उन्हें अपनी राहों में कुछ अच्छे और कुछ बुरे लोगों का सामना करना पड़ता है, मगर फिर भी वह एक संघर्षपूर्ण जीवन जीती हैं।

फिल्म का निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी असाधारण है, जो पात्रों की भावनाओं और संघर्ष को मार्मिक और यथार्थवादी तरीके से दर्शाती है। संगीत और गीत भी उत्कृष्ट हैं, ऐसे गीतों के साथ जो दिल को छूते हैं और फिल्म के प्रेम और बलिदान के अहसास को गहराई से दिखाया गया है।

मुख्य अभिनेत्री,अरनमुला पोन्नम्मा, लक्ष्मी अम्मा के रूप में एक उत्कृष्ट प्रदर्शन देती हैं, चरित्र की ताकत, लचीलापन और अपने बेटे के लिए प्यार को दृढ़ विश्वास और अनुग्रह के साथ चित्रित करती हैं। वेणु के रूप में थिक्कुरिसी सुकुमारन नायर के उल्लेखनीय योगदान के साथ सहायक कलाकार भी मजबूत प्रदर्शन करते हैं। ललिता राधा के रूप में।

अम्मा केरल में मजदूर वर्ग के संघर्षों और चुनौतियों को चित्रित करते हुए मलयालम सिनेमा के सामाजिक यथार्थवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह फिल्म प्रेम, त्याग के महत्व को बताती है, जो परंपरा को प्रगति से अधिक महत्व देता है।

अंत में, अम्मा एक क्लासिक फिल्म है जो आज भी दर्शकों को प्रेरित करती है और उनका उत्थान करती है। फिल्म का प्रेम, बलिदान और दृढ़ संकल्प का संदेश सभी संस्कृतियों और भाषाओं के दर्शकों के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आप एक ऐसी फिल्म की तलाश कर रहे हैं जो आपके दिल को छू ले और आपकी आत्मा को जगा दे, तो अम्मा अवश्य देखें।

Tags: 1950s moviemalaylam filmMovie Review
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