वैजयंतीमाला बाली, जिन्हें वैजयंतीमाला के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेत्री और नर्तकी थीं, जो 1950 और 1960 के दशक के दौरान भारतीय फिल्म उद्योग में सक्रिय रहीं। वह अपने समय की सबसे सफल और प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक थीं और उन्हें उनकी सुंदरता, प्रतिभा और बहुमुखी प्रतिभा के लिए हमेशा याद किया जाता रहा है।
वैजयंतीमाला ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में 1949 में तमिल फिल्म वाजकाई से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, इसके बाद वह कई अन्य तमिल फिल्मों में दिखाई दीं। उन्होंने 1951 में फिल्म बहार से हिंदी फिल्म की शुरुआत की। फिल्म सफल रही और हिंदी फिल्मों में उन्होंने अपने करियर की शुरुवात की। वैजयंतीमाला ने बहार, देवदास, मधुमती, आम्रपाली और साधना सहित कई सफल हिंदी फिल्मों में काम किया। वह महिलाओं के अधिकारों, भ्रष्टाचार और गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों से निपटने वाली फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जानी जाती थीं।

Early Life
वैजयंतीमाला का जन्म 13 अगस्त, 1936 को भारत के तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई के पास त्रिप्लिकेन में हुआ था। उनकी माँ वसुंधरा देवी तमिल सिनेमा की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थी। वैजयंतीमाला का ललन पालन उनकी दादी के द्वारा हुआ था। वैजयंतीमाला को कम उम्र से ही शास्त्रीय नृत्य में रुचि थी और उन्होंने मात्र चार साल की उम्र में भरतनाट्यम, दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण शुरू किया।

Professional Life
जब निर्देशक एम. वी. रमन को अपन नयी फिल्म के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी तभी उन्होंने वैजयंतीमाला को एक स्टेज शो करते हुए देखा और पहली नज़र में ही उन्हें अपनी अभिनेत्री मिल गयी। जिसके साथ वैजयंतीमाला ने अपनी पहली फिल्म वाज़काई के साथ तमिल सिनेमा में अपने करियर की शुरुवात की। इस फिल्म की सफलता के बाद रमन ने उन्हें लेकर 1951 में हिंदी फिल्म बहार बनाई। जिसके लिए वैजयंतीमाला को हिंदी भी सीखनी पड़ी।
अपने पूरे करियर के दौरान, वैजयंतीमाला ने सौ से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसा भी प्राप्त की। वह ‘देवदास’ (1955) में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बनी , और उन्होंने ‘आम्रपाली’ (1966) में अपनी भूमिका के लिए फिर से पुरस्कार जीता। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें 1983 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।

वैजयंतीमाला अपनी बहुमुखी प्रतिभा और आश्चर्यजनक सुंदरता के लिए जानी जाती थीं। वह अपने असाधारण नृत्य कौशल के लिए भी प्रसिद्ध थीं, जिसने उन्हें संगीतमय फिल्मों के लिए एक लोकप्रिय उम्मीदवार बना दिया था। वह बॉलीवुड की उन कुछ अभिनेत्रियों में से एक थीं, जो अपनी फिल्मों में जटिल शास्त्रीय नृत्य कर सकती थीं। उन्हें अक्सर “कैबरे की रानी” भी कहा जाता था। उनके प्रसिद्ध डांस नंबर, जैसे “मैं प्यार तुमसे करती हूँ” और “पिया तोसे नैना लागे रे,” “‘झनक झनक तोरी बाजे पायल’ और ‘तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं’ जैसे गानों में उनके अभिनय को आज भी उनके प्रशंसक याद और प्यार करते हैं।
1960 के दशक के अंत में, वैजयंतीमाला ने अपने राजनीतिक करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अभिनय से ब्रेक लिया।वह 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में भारतीय संसद के लिए चुनी गईं। वह कई वर्षों तक एक सांसद के रूप में काम करती रहीं और महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक मुद्दों पर अपने मजबूत विचारों को रखने के लिए जानी जाती थीं।

Personal Life
वैजयंतीमाला ने अपने जीवन में प्रेम जिससे किया उसी से ही विवाह भी किया। उन्हें पहली नज़र में प्रेम राज कपूर के डॉक्टर चमनलाल बाली से हुआ और कुछ समय बाद वह विवाह के बंधन में बंध गयी।
अंत में, वैजयंतीमाला बाली एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेत्री, नर्तकी और गायिका थीं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। वह एक बहुमुखी कलाकार थीं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और सुंदरता से लाखों लोगों को प्रेरित किया और उनका मनोरंजन किया। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ भी थीं, जिन्होंने विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए अपनी प्रसिद्धि और प्रभाव का इस्तेमाल किया। उन्हें हमेशा भारतीय सिनेमा के एक सच्चे प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा।