“प्रसन्ना” 1951 की एक मलयालम फिल्म है जो प्रसन्ना नाम की एक युवती की कहानी है जो अपने परिवार के खिलाफ जाकर अपने प्रेम को अपनाती है मगर जब वही प्रेम उसपर अत्याचार करे तो वो क्या करे। एस.एम. श्रीरामुलु नायडू द्वारा निर्देशित और पक्षीराज स्टूडियो द्वारा निर्मित, फिल्म को शुरुआती मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का एक क्लासिक माना जाता है और अभी भी अपने यादगार प्रदर्शनों और मार्मिक विषयों के लिए इस फिल्म को दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है।
यह फिल्म 17 अगस्त 1951 को केरला के सिनेमा घरों में रिलीज़ हुयी थी। यह फिल्म उस वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुयी और इसी फिल्म से कई बड़े -बड़े सितारों ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात की, यह त्रावणकोर सिस्टर्स, ललिता, पद्मिनी और रागिनी की पहली मलयालम फिल्म, अभिनेता कंडियूर परमेश्वरनकुट्टी, पीए थॉमस, पप्पुकुट्टी भगवतार की पहली फिल्म, श्रीरामुलु नायडू की पहली मलयालम फिल्म, पार्श्व गायिका एम.एल. वसंता कुमारी, पीए पेरियानायिकी और राधा-जयलक्ष्मी की भी पहली फिल्म थी।
स्टोरी लाइन
फिल्म की कहानी शुरू होती है पंकन थम्पी नामक एक डॉक्टर से, जो अपनी बहन प्रसन्ना के साथ एक गाँव में रहता है। अय्यप्पन नाम का एक युवक प्रसन्ना से प्यार करता है लेकिन अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करता है। थम्पी के दोस्त राधाकृष्ण मेनन , जो त्रिची में रहते हैं, उनकी दो बहनें मदनिका और राधा हैं। थंपी और मेनन अपने संबंधों को मजबूत करने के फैसले के साथ एक दूसरे बहन से विवाह करने का सोचते हैं। थंपी का विवाह मदनिका से हो जाता है, मगर जब मेनन और प्रसन्ना की शादी होने वाली होती है तभी प्रसन्ना अपने भाई की इच्छा के विरुद्ध जाकर अय्यप्पन से शादी कर लेती है।
अय्यप्पन प्रसन्ना के साथ गाँव छोड़कर त्रिची पहुँचता है। अय्यप्पन के दोस्त पप्पू पिल्लई और उनकी पत्नी कल्याणी भी उनके साथ रहते हैं। एक दिन अय्यप्पन और पप्पू पिल्लई को पुलिस पकड़ लेती है एक छोटे से जुर्म में, मगर जिस इंस्पेक्टर के घर में कल्याणी नौकरानी का काम करती है, वह उन दोनों को छोड़ देता है। उसके बाद कल्याणी की मदद से प्रसन्ना को राधाकृष्ण मेनन के घर में नौकरानी के काम के लिए रखा जाता है। मेनन नहीं जानता कि उन्स्की नौकरानी थम्पी की बहन है जिसके साथ उसकी शादी तय हुई थी। कुछ ही समय में मेनन उसे पसंद करने लगता है। लेकिन प्रसन्ना, अपने पति के प्रति वफादार, होते हुए उसके आग्रह को ठुकरा देती है। अय्यप्पन को अपनी पत्नी पर शक हो जाता है और वह उस पर अत्याचार करना शुरू कर देता है। मगर कई बार समझने के बाद भी अय्यप्पन का शक कम नहीं होता। मेनन की बहन राधा ने थंपी को प्रसन्ना के दयनीय पारिवारिक जीवन के बारे में बताती है। थंपी त्रिची पहुंचता है और अंत में नाराज़गी के बावजूद भी वह अपनी बहन और अय्यप्पन के रिश्ते को सुधारता है।
एक संगीतमय हिट, अभयदेव द्वारा लिखे गए और ज्ञानमणि द्वारा ट्यून किए गए अधिकांश गीत सुपरहिट थे । मलयालम सिनेमा में पहली बार जाति वैराम नीथि राहीधमी नामक गीत की रचना पश्चिमी शैली में की गई थी। अन्य हिट गीतों में क्लानिकाथे केरलमथे , धवला रूपा सरस्वती, गणमोहन हरे गोपाला , और स्नेहम ठुकुम माथेय।
अंत में, “प्रसन्ना” मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की एक क्लासिक है। जटिल विषयों की इसकी सोच और जटिल चरित्रों के बारीक चित्रण ने इसे दर्शकों के लिए एक प्रिय फिल्म बना दिया है, और इंडस्ट्री पर इसका प्रभाव अमिट है। चाहे आप मलयालम सिनेमा के प्रशंसक हों या केवल महान कहानी की सराहना करते हों, “प्रसन्ना” एक ऐसी फिल्म है जिसे सभी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता रहा है।
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