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GolMaal – आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें

Sonaley Jain by Sonaley Jain
November 21, 2020
in Bollywood, Hindi, Movie Review, old Films, Top 10, Top Stories
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GolMaal – आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें
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   फिल्मे जो हर तरह की होती हैं, कुछ हास्य भी होती हैं और हास्य होने के साथ – साथ  कुछ ऐसा भी  सीखा जाएं,जो सीख हमारे जीवन के साथ ही जुड़ जाए हमेशा के लिए। गोलमाल फिल्म, जो कुछ ऐसा ही बताती है। 

 गोलमाल फिल्म –  1971 में  रिलीज़ हुयी थी। यह फिल्म कम से कम एक बार हम सभी ने देखी होगी।  सबसे मुश्किल काम होता है किसी को हसाना, वो भी किसी फिल्म में दर्शकों को बांधे रखते हुए। 

  Story – 

फिल्म की कहानी शुरू होती है राम प्रसाद दशरथ प्रसाद शर्मा से जो एक मध्यम परिवार का  युवा है और ग्रेजुएशन करते ही उसको नौकरी का प्रस्ताव भी आ जाता है,उसके डॉक्टर अंकल के द्वारा।  यह नौकरी उर्मिला ट्रेडर्स के यहाँ होती है जिसका मालिक भवानी शंकर, डॉक्टर अंकल के बचपन का दोस्त है। भवानी शंकर भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मानने वाले होते हैं और उसका मानना होता है कि आदमी की   पहचान सिर्फ उसकी मूछों से ही होती हैऔर वह सिफारिश से सख्त नफरत करते हैं। राम प्रसाद इन सब के विपरीत होता है, यह सब   सुनकर उसको लगता है कि नौकरी तो मिलने से रही उसको, फिर भी वो  इंटरव्यू के लिए जाता है और उसको नौकरी भी मिल जाती है उर्मिला ट्रेडर्स में अकाउंटेंट की।राम प्रसाद डॉक्टर अंकल की बात मानकर वैसे ही जाता है जैसे भवानी शंकर को पसंद होता है। नौकरी पाने के बाद राम प्रसाद की झूठ की दुनिया शुरू हो जाती है, जिसमे वो न चाहते हुए भी एक झूठ को छुपाने के लिए एक और नया झूठ बोलता  है। 

 भवानी शंकर इतने प्रभवित होते हैं कि वो राम प्रसाद के घर आ जाते हैं उसकी माँ से मिलने , जिसके लिए राम प्रसाद मिसेज़ श्रीवास्तव से मदद भी लेता है, जो एक सोशलिस्ट होती हैं। इतना ही काफी नहीं था कि एक दिन भवानी शंकर राम प्रसाद को स्टेडियम में मैच देखते हुए पकड़ लेते हैं , जिसके बाद राम प्रसाद को अपने एक और  भाई के होने का नाटक करना पड़ता है। लक्षमण प्रसाद,जो भवानी शंकर की सोच से बिलकुल ही विपरीत है।

 भवानी शंकर लक्षमण  प्रसाद को भी नौकरी देता है,अपनी बेटी उर्मिला को गाना सिखाने की। फिर शुरू होता है राम प्रसाद का दो नौकरी करने का सिलसिला, सुबह वह राम प्रसाद बनकर अकाउंटेंट की नौकरी करता हैऔर शाम को लक्षमण प्रसाद एक टीचर बनकर गाना सिखाता है।

 धीरे – धीरे लक्षमण प्रसाद और उर्मिला एक दूसरे से मोहब्बत करने लगते हैं और दूसरी तरफ भवानी शंकर के सामने हर झूठ पर से पर्दा उठना शुरू हो जाता है। पहले माँ का सच सामने आता है कि वह राम प्रसाद की असली माँ नहीं हैं, फिर लक्षमण प्रसाद का।इन सब झूठ के जाल  में भवानी शंकर ये समझ बैठते हैं कि लक्षमण  प्रसाद ने अपने बड़े भाई राम प्रसाद का खून कर दिया क्योकि भवानी शंकर अपनी बेटी की शादी राम प्रसाद से करवाना चाह रहे थे और लक्षमण प्रसाद को यह मंजूर नहीं था।

 इन सारी गड़बड़ी में राम प्रसाद उर्मिला को लेकर भाग जाता है और उसको पकड़ने के चक्कर में भवानी शंकर को पुलिस पकड़कर ले जाती है। अंत में भवानी शंकर राम प्रसाद और उर्मिला की शादी को स्वीकार कर लेते  हैं और उसी के साथ उन्हें ये भी समझ में आ जाता है कि संस्कार  वो रुट होती है जो आजकल की जीवन शैली में मिलकर  ख़तम नहीं होती बल्कि हमें  सही और गलत में फर्क करना बताती है और हमारे जीवन को एक नयी दिशा देती है।

इस फिल्म को डायरेक्ट ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था ,कॉमेडी के साथ मिलाकर उन्होंने एक उस सोच ( जिसमे हम हमारे संस्कार और सभ्यता को कुछ चीज़ों के साथ बाँध कर उसकी सोच के दायरे को सीमित कर देते हैं ) को बदलने की कोशिश की, जिसके साथ हम चले जा रहे थे। 

हमारे संस्कार, संस्कृति और सभ्यता बहुत विशाल है – आज की जीवनशैली, नयापन, सोच, जीवन व्यतीत करने का तरीका, सब कुछ इसमें समां जाता है और हमारी सोच को एक नयी उड़ान देता है। 

Songs & Cast – 

आर डी बर्मन का म्यूजिक इस फिल्म में जान डाल देता है  – “गोलमाल है भई सब गोलमाल है” , “आने वाला पल जाने वाला है”, “एक दिन सपने में देखा एक सपना”, “एक बात कहूं” ।

इस  फिल्म में सभी मंझे हुए और अनुभवी कलाकारों ने अपनी अदाकारी से सभी दर्शकों ( बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक ) को हसाया।  अमोल पालेकर , उत्त्पल दत्त, बिंदिया गोस्वामी, दीना पाठक, शोभा खोटे और अन्य कलाकारों ने फिल्म में अपने किरदारों को जीवंत किया था ।

Tags: Best Bollywood FilmClassic Moviecomedyold best Film
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