Athey Kangal (அதே கங்கல் ) – एक रहस्मयी दास्ताँ

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जब फिल्मे हमें जीवन की छोटी से छोटी बातों के अलावा बड़ी से बड़ी बातों का ज्ञान दे जाती हैं तो वह हमें यह भी बताती है कि सभी के जीवन में कुछ रहस्य होते हैं और जिनकी कीमत कभी कभी हमें मौत से चुकानी पड़ती है।  ऐसी ही एक तमिल  फिल्म है जिसने ऐसा कुछ बताया है सभी को।  

“अथी कांगल அதே கங்கல் “ एक तमिल फिल्म है जो  26 मई 1967 को  रिलीज़ हुयी थी और आते ही बॉक्स ऑफिस में सुपर हिट फिल्म साबित हुयी। अथी कांगल  का अर्थ इंग्लिश में Same Eye  से है।  इस फिल्म का निर्देशन ए सी ततिरुलोकचंदर ने किया था। यह फिल्म एक लड़की के परिवार की रहस्मय हत्याओं पर आधारित है।

Story – फिल्म की कहनी शुरू होती है एक अँधेरी रात से , जहाँ पर एक एक नकाबपोश एक व्यक्ति की हत्या कर देता है और उसकी पत्नी को भी मरने की कोशिश करता है मगर किसी तरह बच जाती है और नकाबपोश को भागना पड़ता है। पुलिस अपनी तहकीकात में लग जाती है मगर महिला इतने सदमे में होती है कि वह उस रात की बात का एक पहलू भी नहीं बता पाती है। 

वहीँ दूसरी तरफ कॉलेज में पगने वाली एक लड़की सुसी अपने दोस्तों के साथ छुट्टियाँ मनाने के लिए अपने पैतृक निवास आती है जहाँ उसके तीन चाचा (विमलनाथ, कमलनाथ )अपने परिवार के साथ रहते हैं। सुसी के माता पिता की मृत्यु बहुत वर्षों पहले ही हो गयी थी और उसके बाद सुसी की देखभाल इन तीनो चाचाओं ने ही की है। 


पुलिस को घर पर देखकर सुसी को समझ आ जाता है कि यह उसके चाचा की हत्या की तहकीकात करने के लिए आये हैं और एक मात्र चश्मदीद गवाह उसकी चाची की सुरक्षा के लिए भी। सुसी को अक्सर सिगार पीते हुए एक साया दिखता है और कुछ समय पश्चात् उसको धमकी भरे फ़ोन भी आने लगते हैं, उस फ़ोन में सिर्फ एक ही बात बोली जाती है कि सुसी का वक्त ख़तम हो गया है और उसकी मृत्यु शीघ्र ही होने वाली है।  इस बात से वह बहुत डर जाती है और अपने प्रेमी भास्कर को बताती है। 

उसकी बीच हत्यारा सुसी की चाची की भी हत्या कर देता है। भास्कर सुसी को इन सब से बचाने  का वादा  करता है और फिर अपने तरीके से मामले की तहकीकात करता है। भास्कर पहले  सुसी के चाचा विमलनाथ की तहकीकात करता है और उसे कुछ नहीं मिलता। फिर बाद में वह कमलनाथ का पीछा करता है. तो देखता है कि वह एक खंडर जैसे घर में जाता है जहाँ एक महिला भूत की तरह भटकती है। भास्कर को बाद में पता चलता है कि वह कमलनाथ की प्रेमिका है और कमलनाथ ने सबसे छुपकर उसको इस घर में रखा हुआ है और सुसी की शादी होने के बाद वह दोनों भी विवाह कर लेंगे। 

एक दिन भास्कर कातिल को पकड़ने के लिए घर के सभी सदस्यों को बाहर भेज देता है और घर में रहकर कातिल का इंतज़ार करता है।  कातिल हत्या के मकसद से सुसी के कमरे में जाता है जहाँ भास्कर से उसका झगड़ा हो जाता है और इसी बीच कातिल के मुखोटे का एक हिस्सा टूट जाता है और भास्कर को उसकी एक आंख दिख जाती है। वह पीछा करता है मगर कातिल भाग जाता है और दरवाजे पर ही विमलनाथ की हत्या कर देता है। 

कमलनाथ यह तय करते हैं कि सुसी के जन्मदिन की पार्टी के बाद वह सभी यह घर खाली कर देंगे। सुसी के जन्मदिन की पार्टी चल रही होती है और हत्यारा भी सभी को मारने के लिए वहां पर मौजूद होता है।  भास्कर का फिर से उससे झगड़ा होता है मगर कातिल इतनी भीड़ में भास्कर को भटका देता है। किसी को भी नहीं समझ में आता है कि परिवार के सदस्यों की एक के बाद एक मृत्यु क्यों हो रही है। 

भास्कर कातिल का पीछा करता है और घर के डॉक्टर से टकरा जाता है तभी डॉक्टर बताता है कि कातिल उसको घायल करके भाग गया है। भास्कर कमलनाथ से सच्चाई बोलने को कहता है और कमलनाथ बताता है कि उसके पिता का किसी  दूसरी महिला के साथ सम्बन्ध थे।  गुस्से में कमलनाथ के बाद भाई ने 15 वर्ष पहले उस महिला के घर में आग लगा दी जिसमे वह महिला और उसका 10 साल का बेटा भी जल गया। 

इसके बाद भास्कर सभी को हॉल में बुलाता है और मुखौटा पहनने को कहता है क्योकि उसको लगता है कि हत्यारा अभी भी यहीं है। सभी मुखौटा लगते हैं, भास्कर डॉक्टर को पहचान जाता है कि हत्या उसी ने की है और वही कलामनाथ के पिता का नाज़ायज़ पुत्र है। यह सुनकर डॉक्टर वहां से भागता है और भास्कर भी उसका पीछा करता है अचानक बगीचे में आकर वह गायब हो जाता है। फिर भास्कर की निगाहे एक गुप्त दरवाजे पर पड़ती है जो डॉक्टर के घर तक जाता है।  

बदले की आग में डॉक्टर भास्कर को मारने की कोशिश करता है मगर दोनों के झगडे में गोली डॉक्टर को लग जाती है और उसकी मृत्यु वहीँ हो जाती है। और उसके बाद भास्कर का विवाह सुसी से होता है और कमलनाथ अपनी प्रेमिका से विवाह करते हैं।  

Songs & Cast – इस फिल्म को इसके संगीतकार Vedha ने 8 बड़े ही खूबसूरत गानों के साथ बनाया है – “कन्नुक्कु थेरिथा கண்ணுகு தேரியத“, “चिन्ना पेन சின்னா பென்“, “एतानाइ अजहाग எத்தனாய் அசாகு“, “वा अरुगिल वा வா அருகில் வா“, “बूम बूम मट्टूकरन பூம் பூம் மாத்துகரன்“, “पोम्बाला ओरुथी பொம்பலா ஒருதி” और इन गानों को गाया है पी सुशीला , ए एल राघवन और टी एम सौंदराजन ने। 

इस फिल्म में रविचंद्रन (भास्कर ), कंचन (सुसि ), एस के अशोकन (कमलनाथन ), माधवी (जूली ), एस वी रामदास (विमलनाथन ) आदि अन्य कलाकारों ने अपने अभिनय के एक मिसाल कायम की है। 

इस फिल्म की अवधि 3 घंटे (180 मिनट्स ) है और इसका निर्माण ऐ वी एम प्रोडक्शंस द्वारा किया गया था। 

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