देविका रानी चौधरी دیویکا رانی۔ भारतीय सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री, जो 1930 से लेकर 1940 तक के दशक में हिंदी फिल्मों में काम किया था। उन्होंने अपने 10 वर्षों के फ़िल्मी सफर में कई सारी ब्लॉकबस्टर फ़िल्में दी थी।
एक धनी अंग्रेज़ भारतीय परिवार की बेटी देविका, नौ साल की उम्र से इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ाई करके और एक आधुनिक परिवेश में पली -बडी देविका, भारत आने के बाद फ़िल्मी दुनिया से जुड़ गयी और उनकी और अशोक कुमार की जोड़ी उस समय की सबसे सुपर हिट जोड़ी बनी।
Early Life
देविका रानी का जन्म 30 मार्च 1908 में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के पास एक गांव के एक समृद्ध और शिक्षित बंगाली परिवार में हुआ था। देविका के पिता कर्नल डॉ मनमथनाथ चौधरी ,मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले भारतीय सर्जन-जनरल थे। और उनकी माता लीला देवी चौधरी रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी थीं।
देविका के पिता के पांच भाई थे, वे सभी अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिष्ठित थे, मुख्य रूप से कानून, चिकित्सा और साहित्य में। देविका को नौ साल की उम्र में इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया था, और वह वहीं पर पली-बढ़ी। 1920 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद,अभिनय और संगीत का अध्ययन करने के लिए देविका ने रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट और लंदन में रॉयल संगीत अकादमी में दाखिला लिया। 1927 में अपनी पढ़ाई पूरी करके देविका ने लंदन में ही कुछ समय के लिए कपड़ा डिजाइन में नौकरी की।
Professional Life
1928 में देविका लंदन में हिमांशु राय से मिली, जो अपनी एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे , और देविका के कौशल से प्रभावित होकर उन्होंने देविका को कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नियुक्त किया और बाद में यह साथ दोनों के लाइट जीवन साथी के रूप में बदल गया और 1929 में दोनों ने विवाह कर लिया।
विवाह के बाद दोनों के भारत लौटने के बाद हिमांशु ने कर्मा नामक फिल्म का निर्माण शुरू किया और ययह फिल्म देविका के फ़िल्मी सफर की शुरुवात बनी और यह शुरुवात बहुत बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुयी , देश में ही नहीं बल्कि अंतराष्टीय स्तर पर भी देविका को बहुत प्रसिद्धि मिली।
यह फिल्म हिमांशु और देविका की पहली बोलती फिल्म थी और इसको यूनाइटेड किंगडम और यूरोप में बहुत सराहा गया। देविका ने इस फिल्म में एक गाना भी गाया है, जो अंग्रेजी और हिंदी में एक द्विभाषी गीत है। इस गाने को बॉलीवुड का पहला अंग्रेजी गाना कहा जाता है।
उसके बाद देविका ने अपने 10 वर्षों के सफर में कई सुपरहिट फिल्मे दी और उनकी अदाकारी का लोहा देश में ही नहीं विदेशों में भी माना गया। सुपरहिट फ़िल्मी जोड़ियों में देविका और अशोक कुमार की जोड़ी को सबसे जयादा पसंद आज भी किया जाता है।
Personal Life
देविका रानी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके, जैसे ही नौकरी की, तभी उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता हिमांशु रॉय से हुयी। धीरे – धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गयी और दोनों ने एक साल में ही विवाह कर लिया। उसके बाद दोनों भारत आ गए और यहाँ पर आकर अपने अपने फ़िल्मी सफर को एक नयी उचाइयां दी।
1940 में हिमांशु की मृत्यु के बाद देविका ने अपने पति हिमांशु का पूरा काम संभाला और 5 साल बाद उन्होंने स्वेतोस्लाव रोएरिच से विवाह किया।
Legacy
1990 में, सोवियत रूस ने उन्हें “सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार” से सम्मानित किया।
फरवरी 2011 में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा उनके जीवन की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया था।
1958 में, भारत सरकार ने देविका रानी को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया।
1969 में उन्हें अपनी फिल्मों की सफलता के लिए देश के सर्वोच्च पुरस्कार दादासाहेब फाल्के पुरस्कार मिला और वह इसको प्राप्त करने वाली पहली भारतीय बनीं।
Films
कर्मा (1933), जवानी की हवा (1935), ममता और मियां बीवी (1936), जीवन नैया (1936), जन्मभूमि (1936), अछूत कन्या (1936), सावित्री (1937), जीवन प्रभात (1937), इज्जत (1937), प्रेम कहानी (1937), निर्मला (1938), वचन (1938), दुर्गा (1939), अंजान (1941), हमारी बात (1943)
Interesting facts
देविका जर्मन अभिनेत्री मार्लीन डिट्रिच से बेहद प्रभावित थीं और उनकी अभिनय शैली की तुलना ग्रेटा गार्बो से की जाती थी और कुछ ही समय में उनको “इंडियन गार्बो” के नाम से भी जाना जाने लगा।
देविका रानी को उनके “धूम्रपान, शराब पीने, गाली देने और गर्म स्वभाव” के लिए “ड्रैगन लेडी” के रूप में जाना जाता था।
देविका की ज्यादातर फिल्में दुखद रोमांटिक ड्रामा थीं जिनमें सामाजिक विषय भी शामिल होते थे।