फरार हिंदी फिल्म भारतीय सिनेमा में 11 नवम्बर 1975 को रिलीज़ हुयी थी। इसका निर्देशन शंकर मुखर्जी ने किया था और इसके सुपरहिट होने के बाद इस फिल्म को मलयालम में प्रियदर्शन द्वारा परायुंमवाय परायथिरिक्कुमवय्या के रूप में रीमेक किया गया था। फिल्म एक क्राइम बेस्ड ड्रामा है और इसमें क्राइम के साथ – साथ इमोशनल तड़का भी दिया गया है।
फरार फिल्म में कई बेहद खूबसूरत गाने हैं जैसे मै प्यासा तुम सावन, मै दिल तू मेरी धड़कन बहुत सुन्दर गीत हैं जिसको आज भी पसंद किया जाता है। इस फिल्म में जहाँ एक भाई की बेबसी को दिखाया गया है जहाँ वह खुद ही बदला लेने पहुँच जाता है वहीँ उसका एक और मासूम चेहरा भी देखने को मिलता है जो एक बच्चे को यह अहसास ही नहीं होने देता कि उसका अपहरण हुआ है।
Story – कहानी शुरू होती है अदालत की करवाई से जहाँ पर एक अपराधी तरुण कुमार पर अपनी सेक्रेटरी महिला के साथ बलात्कार करने और हत्या का आरोप लगता है मगर वह अपने पैसों के दम पर निर्दोष साबित हो जाता है उसी समय उस मृत महिला का भाई राजेश आ जाता है और वह जज से अपनी बहन के इंसाफ की गुहार करता है मगर उसकी इस बात को नज़रअंदाज़ करते हुए तरुण कुमार अपने वकीलों के साथ अदालत के बाहर आ जाता है।
निराश और परेशान राजेश अपने घर वापस आता है जहाँ उसकी माँ उससे उस इंसाफ के बारे में पूछती है जो उसकी बेटी को नहीं मिला, मगर राजेश कुछ नहीं कहता और रात को वह तरुण कुमार का पीछा करता है और जब वह कार में बैठकर घर जा रहा होता है तो राजेश पहले से ही उसकी कार में होता है और उस पर हमला कर देता है, दोनों में लड़ाई होती है जहाँ राजेश उसको मरने की कोशिश करता है वहीँ तरुण खुद को बचाने की कोशिश, मगर अंत में राजेश तरुण को मार देता है और तरुण की पिस्तौल लेकर भाग जाता है।
तरुण की लाश एक मंदिर का पंडित देखता है और वह पुलिस को बुलाता है जहाँ इस केस की जाँच संजय करता है वह पंडित से जाँच करने के बाद पूरे शहर में नाकाबंदी करवाता है। और दूसरी तरफ राजेश पूरे शहर में भागता रहता है और थोड़ी दूर बाद जब वह भागते भागते थक जाता है तो एक घर में घुस जाता है आश्रय लेने के लिए, जहाँ बहुत अँधेरा होता है। राजेश को घर में घुसते ही उसको एक महिला मिलती है और उसको पिस्तौल दिखाकर राजेश छुपने की जहाँ ढूंढता है और एक कमरे में आकर जो उस महिला के बेटे का कमरा है राजेश उसी कमरे में आश्रय ले लेता है।
वह घर इंस्पेक्टर संजय का होता है और उसकी बीबी आशा अपने बेटे के साथ उस घर में रहते हैं। राजेश संजय के बेटे के साथ खेलता है और उसका ख्याल रखता है और वह आशा को कमरे से बाहर निकाल देता है. बाहर आने के बाद आशा बहुत दुखी और परेशान होती है उसी समय संजय वहां आ जाता है, आशा को परेशान देखकर वह उससे पूछता है तो वह रोते हुए बताती है कि उनके बेटे का अपहरण उन्ही के घर में हो गया है और वह इंसान उस कमरे में बंद है बेटे के साथ।
यह सुनकर संजय को गुस्सा आ जाता है और वह राजेश को धमकी देता है कि अगर वो बाहर नहीं आया तो उसके लिए ये अच्छा नहीं होगा वह एक पुलिस के घर में हैं और वह यहाँ से नहीं बच सकता है मगर राजेश कहता है कि अगर उसको कुछ भी हुआ तो उन दोनों के बच्चे के लिए ये ठीक नहीं होगा। यह सुनते ही आशा संजय को अपनी कसम देखर रोक लेती है।
रात होती है और बच्चे को सुलाने के लिए राजेश एक गाना गुनगुनाता है यह गाना सुनकर आशा को अपने कॉलेज के प्रेमी की याद आ जाती है और वह देखती है कि उसके घर में जो अपहरणकर्ता है वो कोई और नहीं उसका पूर्व प्रेमी राजेश है। उसके बाद वह राजेश के घावों पर मरहम लगाती है और उसके बाद दोनों एक दूसरे पर इलज़ाम लगते हैं मगर पहले राजेश बताता है कि जब वह उसके पिता के पास विवाह की बात करने गया था तो उन्होंने गरीब होने के कारण मना कर दिया। वहीँ आशा भी बताती है कि उसके पिता ने बोलै कि राजेश ही एक अमीर बाप की बेटी से विवाह ही नहीं करना चाहता और वह ही मना करके गया है।
और उसके बाद उसका विवाह संजय से हो जाता है और वह अपने जीवन में खुश है क्योकि संजय एक अच्छे इंसान हैं। वहीँ दूसरी तरफ संजय को आशा और राजेश के पूर्व प्रेम के बारे में पता चलता है तो वह आशा से सवाल करता है तो आशा उसको समझा देती है। आशा राजेश की माँ को बुलाती है और वह राजेश को समझती हैं कि वह ऐसा कुछ भी ना करे। राजेश आशा के घर से चला जाता है तो आशा का बेटा उसका पीछा करता है और उसका एक्सीडेंट हो जाता है
राजेश उसको घर लेकर आता है, बेटे की ऐसी हालत देखकर संजय और आशा के होश उड़ जाते हैं, डॉक्टर आता है और वह बताता है कि सब ठीक है। अपने बेटे की जान बचाने के बदले में संजय राजेश से उसका जीवन बचाने की बात करता है, मगर बिना कोई जवाब दिए राजेश वहां से चला जाता है। राजेश जैसे ही भागता है पुलिस उसको देख लेती है और उसके पीछे पड़ जाती है। राजेश पहाड़ियों के पीछे जाकर छुप जाता है और वहां से पुलिस और राजेश दोनों के बीच गोलियों की बारिश होती है।
उतने में ही संजय और आशा भी वहां पर आ जाते हैं। संजय राजेश को समझने की कोशिश करता है कि वह अपने आप को पुलिस के हवाले कर दे मगर राजेश नहीं मानता फिर संजय आशा को बोलता है कि एक वही है जो राजेश को समझा सकती है वर्ण पुलिस उसको मार देगी। आशा पहाड़ियों पर चढ़ती है राजेश के पास जाने के लिए मगर उसका पैर फिसल जाता है और उसको बचाने के लिए राजेश सामने आता है और पुलिस उस पर फायर कर देती है और उसकी वहीँ मौत हो जाती है।
Songs & Cast – फिल्म में कल्याणजी और आनंदजी ने संगीत दिया है और उन्होंने फिल्म को 5 बेहरीन गानों की माला से पिरोया था, और गीतों को लिखा है गुलज़ार ने – “हमरा ये दिल जानी “, “मै प्यासा तुम सावन, मै दिल तू मेरी धड़कन”, “ये जिंदगी क्या है” और इन बेहतरीन गीतों को आवाज़ दी है लता मंगेशकर, किशोर कुमार, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और मुकेश ने।
फिल्म में अमिताभ बच्चन ने राजेश का किरदार निभाया है और उनके साथ सुपर स्टार संजीव कुमार ने इंस्पेक्टर संजय का किरदार निभाया है इन दोनों की अदाकारी को टक्कर दी है शर्मीला टैगोर ने जिन्होंने राजेश की प्रेमिका और दूसरी तरफ संजय की पत्नी का किरदार निभाया है, बाकि के अन्य कलाकार जैसे भगवान, सुलोचना, रजत ,मुराद, डी के सप्रू आदि ने भी इस फिल्म में अपने चरित्र को बहुत अच्छे से निभाया है।
इस फिल्म की अवधि 1 घंटे और 54 मिनट्स है और इसका निर्माण त्रिमूर्ति फिल्म्स के बैनर तले बनी थी।
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