नंदा फ़िल्मी जगत का एक ऐसा नाम है जिसने कठिन परिश्रम से अपना एक मुकाम हासिल किया है। अपने 30 साल के फ़िल्मी सफर में उन्होंने कई नायाब फिल्मे दी – छोटी बहन , धूल का फूल, भाभी, काला बाजार, कानून, हम दोनों , जब जब फूल खिले, इत्तेफाक, द ट्रेन और प्रेम रोग। नंदा का जन्म 1939 में महाराष्ट्र में एक फ़िल्मी परिवार में हुआ था।
बहुत छोटी सी उम्र में ही नंदा ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधरने के लिए काम किया , जिस उम्र में बच्चे खिलोनो से खेलते हैं। वह एक दशक से भी ज्यादा दूसरी सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री बनी और नंदा का 25 मार्च 2014 को दिल का दौरा पड़ने से 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
Early Life – नंदा का जन्म 8 जनवरी 1939 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। नंदा का असली नाम नंदिनी विनायक कर्नाटकी था जो फ़िल्मी जगत में आने के बाद सिर्फ नंदा पड़ गया। नंदनी के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी (मास्टर विनायक) एक प्रसिद्ध मराठी एक्टर, निर्माता और निर्देशक थे और उनकी माता मिनाक्षी (सुशीला) एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थी जिन्होंने विवाह के पूर्व देवता ,ब्रह्मचारी, अर्धागनी जैसी कई फिल्मे की और विवाह पश्चात् वह एक ग्रहणी बनकर रहीं।
नंदिनी अपने 7 भाई बहनो में तीसरे नंबर की सबसे प्यारी बहन थी। 1947 में जब उनके पिता का देहांत हो गया तो नंदिनी महज़ 8 वर्ष की थी, पिता के चले जाना का दुःख और घर में चल रही आर्थिक तंगी के कारण नंदनी ने अपनी पहली फिल्म बाल कलाकार के रूप में 1948 में आयी मंदिरा के साथ की और सिल्वर स्क्रीन पर उनकी पहचान बेबी नंदा से हुयी। 1948 से 1956 तक उन्होंने बाल कलाकार के रूप में कई फिल्मे की जहाँ पर उनके अभिनय को सराहना मिली।
Professional Life- नंदा ने अपने सिनेमा करियर की शुरुवात बचपन से ही कर दी थी और उन्हें बेबी नंदा के रूप में पहचान भी मिली। बेबी नंदा बचपन में ही इतनी शोहरत पा चुकी थी कि जब वह 20 वर्ष की हुयी तो उन्हें लीड रोल (मुख्य अभिनेत्री) मिलने लगे। उनकी पहली मुख्य किरदार वाली फिल्म छोटी बहन (1959) ने रिलीज़ होते ही उस वर्ष की सुपरहिट फिल्म में अपना नाम दर्ज़ करवा लिया। उसके बाद नंदा ने लगातार 3 सुपरहिट फिल्मे दी मुख्य किरदार के रूप में – हम दोनों, कानून और तीन देवियां।
इन फिल्मो ने नंदा को सिनेमा जगत का एक बड़ा स्टार बना दिया था। उन्होंने हर अभिनेता के साथ फिल्मे की और वो सभी सफल रही – जैसे राज कपूर के साथ आशिक फिल्म, राजेंद्र कुमार के साथ तूफ़ान , दिया और धूल का फूल, शशि कपूर के साथ – चार दीवारी (1961) और मेहंदी लगा के रखना (1962) आदि।
इसके अलावा हिंदी फिल्मो के साथ -साथ उन्होंने मराठी फिल्मो में भी काम किया। नंदा ने अपने 30 वर्षों के सफर में हर तरह की भूमिकाएं निभाई , सिर्फ मुख्य किरदार ही नहीं बल्कि सहायक किरदार में भी उनकी कई सुपरहिट फिल्मे रही हैं।
Personal Life – नंदा का निजी जीवन कुछ खास नहीं रहा, जहाँ वह अपने पेशे में एक दशक तक सबसे ज्यादा महँगी अभिनेत्रियों में गिनी जाती थी वहीँ उनका निजी जीवन इन सब से भिन्न था। उन्होंने प्रसिद्ध निर्माता और निर्देशक मनमोहन देसाई से प्रेम किया और फिर सगाई मगर कुछ समय पश्चात् मनमोहन देसाई की आकस्मिक मृत्यु ने नंदा को अंदर से इतना तोड़ दिया कि उन्होंने फिर कभी दुबारा विवाह के बारे में नहीं सोचा।
नंदा अपने भाई बहनो को फ़िल्मी दुनिया में लेकर आयी और उन सभी का करियर बनाया। नंदा को पढ़ने में विशेष रूचि थी तो उन्होंने फिल्मो के साथ साथ घर पर ही शिक्षा ली, वह तीन भाषाओँ में पारंगत थी – हिंदी, अंग्रेजी और मराठी।
Awards – नंदा को फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए 5 बार मनोनीत किया गया – प्रेम रोग में सह अभिनेत्री के लिए, आहिस्ता आहिस्ता में सह अभिनेत्री के लिए, इत्तेफाक में मुख्य अभिनेत्री के लिए, भाभी में सह अभिनेत्री के लिए। 1961 में आंचल के लिए उन्हें सह अभिनेत्री का अवॉर्ड भी मिला।
Films – “जग्गू (1952)”, “अंगारे (1954)”, “बारिश (1954)”, “तूफ़ान और दिया (1956)”, “शतरंज (1956)”, “भाभी (1957)”, “जुआरी (1968)”, “बड़ी दीदी (1969 )”, “अधिकार (1971)”, ” रूठा ना करो (1970 )”, “द ट्रैन (1970 )”, “परिणिता (1972)”, “जोरू का गुलाम (1972)”, “हम दोनों (1962)”, “मज़दूर (1983)”, “प्रेम रोग (1982)”, “प्राश्चित (1977)”, “छलिया (1973)”, “शोर (1972)”, “उम्मीद (1971) “, “बेटी (1969)”, “धरती कहे पुकारके (1969)”, “नया नशा (1973)”, “अभिलाषा (1968 )”, “राजा साब (1969)”,
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