Sadma – एक मासूम और अनसुलझी दास्ताँ।

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सदमा 1983 में रिलीज़ हुयी भारतीय सिनेमा की एक अद्भुद फिल्म थी। इस फिल्म ने सभी का ध्यान एक ऐसे पहलू पर केंद्रित किया, जिसकी जानकारी हमें होती हो है मगर हम उसको इतनी तवज्जो नहीं देते।  
 
     सदमा फिल्म का निर्देशन बालू महेंद्र ने किया था, जिन्होंने तमिल सिनेमा को पुनर्जन्म  दिया। यह  तमिल फिल्म का रीमेक है जो 1982 में रिलीज़ हुयी थी जिसको डायरेक्ट बाबू महेंद्र ने ही किया था। 
Story –
 इस फिल्म की कहानी नेहालता मल्होत्रा के एक्सीडेंट से शुरू होती है।  एक दिन पार्टी से घर लौटते समय उसका एक्सीडेंट हो जाता है और सिर में चोट लगने की वजह से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, जिसकी वजह से वो अपनो को भी नहीं पहचानती है।  उसका व्यव्हार बच्चों की तरह हो जाता है। समय बीतता जाता है मगर  नेहालता के इलाज से  माता पिता को कोई भी सुधार नज़र नहीं आ रहा होता है। इलाज के दौरान नेहालता का अपहरण हो जाता है और अपहरणकर्ता उसको एक वेश्यालय में बेच जाते हैं। जहाँ उसको रेशमी नाम दिया जाता है। 

 
वहीँ दूसरी तरफ सोमप्रकाश अपने एक पुराने दोस्त  से मिलता है और वो उसके साथ आराम करने उसी वेश्यालय में जाता है जहाँ नेहालता सोम से रेशमी बनकर मिलती है।रेशमी से मिलने के बाद सोम को उसके अपहरण का पता चलता है और अहसास  होता है उसका मानसिक रूप से बच्ची होने का। 
सोम नेहालता को भगाकर ऊटी ले जाता है और अपने घर  रखकर उसकी देखभाल भी    करता है। सोम ऊटी के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाता भी है। धीरे – धीरे सोम और नेहालता एक दूसरे के बेहद करीब आ जाते हैं। वहीँ दूसरी तरफ नेहालता के माता पिता पुलिस के साथ मिलकर उसको ढूंढ़ रहे हैं और न्यूज़पेपर में नेहालता का फोटो गुमशुदा में छपवा देते हैं।ऊटी में रहने वाला एक शक़्स न्यूज़पेपर में नेहालता का फोटो देखकर पुलिस को फ़ोन कर देता है।  
 
  पुलिस सोम के घर आती है तो पता चलता है कि सोम नेहालता का इलाज करवाने हॉस्पिटल  गया है। पुलिस वहां पर पहुँच जाती है,पुलिस को देखकर सोम छुप जाता है।नेहालता का इलाज सफल होता है और वो ठीक हो जाती है और अपने पिता के साथ घर जाती है।सोम नेहालता को जाता देख कार का पीछा करता है और यह कोशिश करता है कि वो उसको पहचान ले मगर नेहालता एक्सीडेंट के बाद का सब कुछ भूल चुकी है तो वो सोम को नहीं पहचानती।
सोम अकेला खड़ा रह जाता है, वो इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पता और अपनी सुध भुद खो बैठता है।  इसी के साथ फिल्म का अंत हो जाता है। 

   Songs & Cast – “ऐ जिंदगी गले लगा ले”………सुरमयी अँखियों में” सुदेश वाडेकर और  येसुदास द्वारा गाये गए कुछ बहुत ही खूबसूरत गीत हैं।  

 
    इस फिल्म में नेहालता का किरदार श्री देवी ने निभाया है और सोम का किरदार कमल हासन ने , इसमें नेहालता की मासूम हरकतों ने सभी का दिल जीत लिया और सोम की समझदारी और मैच्योरिटी ने इस फिल्म को एक नया आयाम दिया। 

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