साहिब बीबी और गुलाम बॉलीवुड की एक ब्लॉकबस्टर ब्लैक एन्ड व्हाइट फिल्म , जो 29 जुलाई 1962 को भारतीय सिनेमा में आयी। इस फिल्म में मीना कुमारी द्वारा किया गया छोटी बहु का किरदार उनकी सभी फिल्मों के किरदारों में सर्वश्रेष्ठ है। इसका निर्देशन अबरार अल्वी ने किया था और यह फिल्म बिमल मित्र के 1953 में पब्लिश हुए एक बंगाली उपन्यास, साहेब बीबी गोलम पर आधारित है। इस फिल्म में ब्रिटिश राज के समय बंगाल में हवेली-डोम और सामंतवाद के दुखद अंत को दिखाया गया है।
Story Line –
कहानी शुरू होती है कलकत्ता की एक पुरानी खण्डर हवेली से, जहाँ पर कुछ मज़दूर काम कर रहे होते हैं। सभी मज़दूर जब दोपहर के खाने के लिए बाहर जाते हैं उस समय एक आर्किटेक्ट उस हॉली को बड़े ही ध्यान से देखता है। और जब वह चलते चलते वह थक कर एक जगह बैठ जाता है , तभी से फिल्म फ्लैशबैक में चली जाती है। जहाँ पर एक निम्न वर्ग का शिक्षित व्यक्ति भूतनाथ काम की तलाश में कलकत्ता आता है।
शहर आने के कुछ समय बाद ही भूतनाथ को एक जमींदार सुबिनो बाबू के यहाँ काम मिल जाता है। और वह उनकी भव्य हवेली में अपने भाई बहनों के साथ रहता है। भूतनाथ दिन में उन्ही की फैक्टरी मोहिनी सिंदूर में काम करता है और रात में सुबिनो बाबू की हवेली के छोटे – छोटे काम देखता है।
सुबिनो बाबू ब्रह्म समाज के बहुत बड़े प्रसिद्ध और सम्मानित जमींदार होते हैं। सुबिनो बाबू की बेटी जाबा भूतनाथ को पसंद करती है मगर भूतनाथ के छोटी जाति का होने की वजह से वह यह बात किसी से भी नहीं कह पाती है। एक रात भूतनाथ एक नौकर बंसी के साथ किसी काम से छोटे जमींदार के घर जाता है , जहाँ पर छोटी बहु से मुलाकात होती है । बहुत जल्द ही भूतनाथ छोटी बहु का विश्वासपात्र बन जाता है।
छोटी बहु जितनी खूबसूरत होती है उतनी ही वह दुखी भी है , क्योकि वह अपने बेवफा पति को सुधारना चाहती है। और वह यह कोशिश भूतनाथ के साथ मिलकर करना चाहती है। भूतनाथ इसमें उसका पूरा सहयोग करता है। उधर जाबा का विवाह सुपवित्र नाम के एक जमींदार के बेटे से तय हो जाता है। मगर उसके पिता की मृत्यु के बाद वह इस विवाह के लिए इंकार कर देती है।
इसके बाद भूतनाथ अपनी आर्किटेक्ट की ट्रेनिंग के लिए शहर से चला जाता है। और कुछ समय बाद जब वह आता है तो पाता है कि जमींदारों की आलीशान हवेली आंशिक रूप से खंडहर में बदल चुकी है। छोटे जमींदार को लकवा होने कि वजह से वह बिस्तर पर पड़े है और छोटी बहु इस गम में शराब में डूब चुकी हैं।
एक दिन छोटी बहु भूतनाथ के साथ मंदिर अपने पति की सलामती के लिए दुआ मांगने जाती है तभी मंझले जमींदार उन दोनों को देख लेते हैं। इस संदेह से कि उन दोनों के बीच सम्बन्ध है वह अपने गुंडे उनके पीछे भेजते हैं। और कुछ दूर जाकर वह लोग भूतनाथ को पीटकर बेहोश कर देते हैं और छोटी बहु का अपहरण कर लेते हैं। होश आने पर भूतनाथ को पता चलता है कि छोटी बहु गायब है और किसी ने छोटे जमींदार की हत्या कर दी है।
फिल्म फलेश बैक से बाहर वर्तमान में आ जाती है जहाँ पर भूतनाथ को कुछ मज़दूर एक कंकाल के होने की खबर देते हैं। भूतनाथ जब गहनों से लदे उस कंकाल को देखता है तो वह समझ जाता है कि छोटी बहु को उन लोगों ने किस तरह से मारा था। अंत में यह दिखाया जाता है कि दुखी भूतनाथ अपनी पत्नी जाबा के साथ गाड़ी में बैठकर चला जाता है यह सोचते हुए कि आलीशान जीवन जीने वाले जमींदारों का पतन किस तरह से हुआ।
Songs & Cast –
फिल्म में संगीत हेमंत कुमार ने दिया है और इस फिल्म के गाने शकील बदायुनी ने लिखे हैं – “कोई दूर से आवाज़ दे “, पिया ऐसो जिया में “, ” न जाओ सईंया छुडाके बइंया “, “मेरी जान ओ मेरी जान “, “भंवरा बड़ा नादान”, “मेरी बात रही मेरे मन में ” और इन गानों को गया है गीता दत्त और आशा भोंसले ने।
फिल्म में गुरुदत्त ने भूतनाथ का किरदार निभाया है और उनकी पत्नी जाबा के रूप में वहीदा रहमान दिखी है , मीना कुमारी के छोटी बहु के किरदार ने इस फिल्म को एक अलग ही मुकाम दिया। उस समय में काफी लोग इस फिल्म के खिलाफ थे मगर छोटी बहु का किरदार सभी को बेहद पसंद आया। मीना कुमारी ने इस किरदार से अभिनय को एक सर्वोच्च स्थान दिया। छोटे बाबू के किरदार में रहमान दिखे और सुबरीन बाबू को नज़ीर हुसैन और मझले बाबू को सप्रू ने निभाया।
Review –
साहिब बीबी और गुलाम बॉलीवुड की सुपरहिट और बेहद पसंदीदा फिल्मों में से एक है। 2 घंटे और 33 मिनट्स की इस ब्लेक एन्ड व्हाइट फिल्म में मीना कुमारी और गुरुदत्त की जोड़ी ने ऐसा कमल किया कि दर्शक अब हर फिल्म में उन दोनों को देखना छह रहे थे। फिल्म में मीना कुमारी के छोटी बहु के किरदार को भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।
2003 के एक सर्वे में बॉलीवुड की अब तक की 10 फिल्मों में साहेब बीबी और गुलाम को दर्शकों ने 4 नंबर पर रखा। और इस फिल्म को ऑस्कर ने भारत की तरफ से आयी हुयी पहली ऑफिशल एंट्री माना।
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