अंजलि देवी एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और निर्माता थीं जिन्होंने तेलुगु और तमिल फिल्मों में काम किया और कुछ मलयालम और हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया था। उनका जन्म 24 अगस्त 1927 को पेद्दापुरम, पूर्वी गोदावरी जिले, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ था। बचपन में उनका नाम अंजम्मा था मगर थियेटर में अभिनय के दौरान उन्होंने अपना नाम बदल कर अंजनी कुमारी रख लिया।
उन्होंने 1947 में सी पुलैया द्वारा निर्देशित तेलुगु फिल्म ‘गोलभामा’ से अपनी शुरुआत की, जिन्होंने उन्हें स्क्रीन नाम अंजलि देवी दिया। इसके बाद उन्होंने जेमिनी गणेशन और एन टी रामाराव जैसे सुपरस्टार्स के साथ विभिन्न भाषाओं में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया।वह पौराणिक फिल्म ‘लव कुशा’ (1963) में सीता की भूमिका के साथ-साथ ‘चेंचू लक्ष्मी’, ‘सुवर्णा सुंदरी’ और ‘अनारकली’ जैसी फिल्मों में प्रमुख भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध हुयी थीं। फिल्म लव कुश , उनकी अभिनीत एक मील का पत्थर फिल्म और तेलुगु फिल्म उद्योग की पहली रंगीन फिल्म थी।इस फिल्म ने अंजलि देवी के करियर को नया आयाम दिया था।
वह एक सफल निर्माता भी थीं जिन्होंने अंजलि पिक्चर्स के बैनर तले 27 फिल्में बनाईं। उनकी कुछ उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ ‘अनारकली’, ‘भक्त तुकाराम’, ‘चंडीप्रिया’ और ‘शिरडी साईं पार्थी साईं दिव्यकथा’ हैं।
उनकी शादी 1948 में संगीत निर्देशक पी आदिनारायण राव से हुई थी और उनके दो बेटे थे। वह श्री सत्य साईं बाबा की प्रबल भक्त थीं और उन्होंने उनके जीवन पर एक टेली-धारावाहिक का निर्माण भी किया था।
13 जनवरी 2014 को 86 वर्ष की आयु में चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। उनके अंग रामचन्द्र मेडिकल कॉलेज को दान कर दिये गये थे।
सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जैसे तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार – तेलुगु, रघुपति वेंकैया पुरस्कार, रामिनेनी राष्ट्रीय पुरस्कार, अरिग्नार अन्ना पुरस्कार और पद्मभूषण डॉ. बी सरोजा देवी राष्ट्रीय पुरस्कार।
अंजलि देवी की मृत्यु ने दक्षिण भारतीय सिनेमा के एक युव की समाप्ति की है। उनके अभिनय की वो बारीकी और सादगी ने सभी लोगों के दिलों में एक अलग जगह बनायीं है।
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