“एक ही रास्ता ” एक बॉलीवुड क्लासिक फिल्म है जो 13 अप्रैल 1956 को भारतीय सिनेमा में रिलीज़ हुयी थी। यह एक सुपर हिट पारिवारिक फिल्म है। इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक दोनों ही बी आर चोपड़ा है। इस फिल्म का तेलुगु में रीमेक बना “कुमकुम रेखा ” के नाम से और यह रिलीज़ हुयी 1960 में।
एक ही रास्ता का इंग्लिश में अर्थ “Only one way” है। फिल्म एक ऐसी औरत की कहानी है जो जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना करती है और बड़ी संजीदगी से अपना परिवार और उसकी खुशियों का ख्याल रखती है।
Story –
कहानी की शुरुवात होती है एक साधारण से परिवार से जिसमे अमर , मालती और उनका बेटा राजा रहते हैं। मालती को नृत्य करना बहुत पसद होता है। राजा को अपने पिता अमर से बेहद लगाव होता है वह हर काम में अमर का ही साथ चाहता है और अमर भी उसकी हर ख्वाइश को पूरा करता है। अमर एक अमीर पढ़े लिखे व्यक्ति प्रकाश मित्तल की फ़ैक्ट्री में काम करता है, प्रकाश अविवाहित है और उसका सबसे परम मित्र एक कुत्ता है, जिसे वह हमेशा अपने साथ रखता है।
अमर एक ईमानदार और मेहनती व्यक्ति है और अनाथ होने की वजह से वह और मालती हर त्योहारों में बहुत दुखी रहते हैं और इसी वजह से सभी की नज़रों में सहानुभूति के पात्र बनते हैं। अमर अपनी सिफारिश से प्रकाश की फ़ैक्ट्री में अपने एक मित्र (मुंशी ) को लगवाता है।
हंसी कुसी जीवन जीने वाले अमर और मालती का जीवन उस समय बदल जाता है जब अमर द्वारा उसका दोस्त मुंशी बिहारीलाल फ़ैक्ट्री की तिजोरी से चोरी करता हुआ पकड़ा जाता है और अमर द्वारा बहुत ज्यादा बेज़्ज़त होता है। अमर इसके लिए प्रकाश से माफ़ी भी मांगता है और मुंशी को काम से निकलने की बात करता है।
यह सब जानकर मुंशी क्रोध में आग बबूला हो जाता है और गुस्से में अमर की हत्या कर देता है। मालती और राजा इस हादसे टूट जाते हैं और उन्हें सँभालने के लिए प्रकाश आगे आता है और वह उन दोनों की हर तरह से मदद करता है। जैसे ही यह बात मुंशी को पता चलती है तो वह मालती और प्रकाश को बदनाम करने की कोशिश करता है।
मालती के सम्मान के लिए प्रकाश उसके सामने विवाह का प्रताव रखता है जिसको वह मान लेती है और दोनों का विवाह हो जाता है। मालती का बेटा राजा अमर की जगह प्रकाश को नहीं देना चाहता है और वह उससे पिता नहीं मानता। मुंशी राजा के दिल में प्रकाश के लिए नफरत का बीज बोता है और वह उसको समझाता है कि प्रकाश ने ही अमर की हत्या की है और उसने जबरदस्ती उसकी माँ से विवाह भी किया है।
राजा के दिल में अब सिर्फ प्रकाश के लिए नफरत होती है और वह जब भी मौका मिलता है प्रकाश को बेज़्ज़त करता है। मालती उसको बहुत समझाती है, मगर प्रकाश चुपचाप राजा की नफरत को सहता है इस उम्मीद से कि एक दिन उसका बेटा उसको जरूर समझेगा।
एक दिन राजा गुस्से में प्रकाश पर गोली चलाता है किसी तरह से प्रकाश और मालती उसके हाथों से पिस्तौल ले लेते हैं। गुस्से में राजा प्रकाश और मालती के बेटे और अपने छोटे भाई को लेकर घर से भाग जाता है। प्रकाश और मालती दोनों को दूंदते रहते और कुछ समय बाद रेलवे ट्रेक पर दोनों को राजा और उसका भाई दिखते हैं। दूसरी तरफ से ट्रेन आ रही होती है और प्रकाश दोनों को बचाने के लिए भागता है और बचा लेता है। राजा को प्रकाश की अच्छाई का पता चलता है और वह माफ़ी मांगता है और प्रकाश को पिता कहकर पुकारता है। मालती और प्रकाश बहुत खुश हो जाते हैं कि प्रकाश को उसका बड़ा बेटा मिल गया।
Songs & Cast –
इस फिल्म के संगीतकार हेमन्त मुखर्जी ने बेहद खूबसूरत 8 गानों से फिल्म को सजाया है और फिल्म में लता मंगेशकर ,आशा भोंसले और हेमंत मुखर्जी ने अपनी आवाज़ दी है – “सांवले सलोने ऐ दिल बहार “, “उदले हैं मेरे गम की हँसी”, “कैसी लागी – कैसी लागी जाये “, “भोला बचपन दुखी जवानी “, “चली गौरी पी से मिलन को चली “, “चमक बन कर अमन का तारा “
इस फिल्म में मीना कुमारी ने मालती का और सुनील दत्त ने अमर का और अशोक कुमार ने प्रकाश मेहता का किरदार निभाया है बाकि सभी अन्य कलाकारों ने जैसे जीवन (मुंशी बिहारीलाल ), डेज़ी ईरानी (राजा ), यशोधरा ( शोभा) साथ दिया है।
इस फिल्म की अवधि 2 घंटे 31 मिनट्स (151 मिनट्स) है और इस फिल्म का निर्माण बी आर चोपड़ा ने अपने प्रोडक्शन कंपनी बी आर फिल्म्स के तहत किया था।
Location – इस फिल्म की शूटिंग मुंबई शहर के करदार स्टूडियो में हुयी थी।
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