एक ऐसी अदाकारा जिसको हिंदी सिनेमा ने ट्रेजडी क्वीन का नाम दिया और दर्शकों ने भी उनकी हर अदाकारी की दिल खोलकर प्रशंसा की। एक खुशनुमा जीवन जीने वाली, बड़ी ही सरलता से दुखद भरे किरदार निभा जाती थी। मीना कुमारी ने अपनी अदाकारी से सभी के दिलों में अपने किये गए हर एक फ़िल्मी चरित्र को जीवित रखा है।
मीना कुमारी का असली नाम मेहजबीन बानो था जो फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद मीना कुमारी पड़ा। इसका जन्म अगस्त 1933 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपने 33 वर्षों के करियर में करीबन 92 फिल्मे करीं, जिनमे से कई फिल्मे ब्लॉक बस्टर रहीं। फिल्मे करने के साथ -साथ वह एक मशहूर गायिका और कवियत्री भी थी।
Early Life – मेहजबीन के पिता अली बक्श एक पारसी थिएटर में संगीत दिया करते थे ,उनकी माँ इकबाल बानो एक नृत्यांगना थी। उनकी दोनों बहनें भी फिल्मों में अभिनेत्री रही। पैसों की तंगी के कारण अली बक्श ने नवजात मेहजबीन को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था, लेकिन पिता के प्यार ने मेहजबीन को वापिस लाने के लिए मज़बूर कर दिया। छोटी सी उम्र में ही मेहजबीन ने फिल्मों में एक्टिंग शुरू कर दी थी, महज़ 6 साल की उम्र में ही उन्होंने “लेदर फेस” में काम किया था।
13 वर्ष की उम्र में 1946 में आयी फिल्म “बच्चों का खेल” ने उन्हें मीना कुमारी बना दिया।
Professional Life – 6 वर्ष की उम्र से उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात करी। 19 साल में उन्होंने 1952 में ” बैजू बावरा ” करके अपने सफर को एक नयी उचाईयों पर पहुँचाया। इस फिल्म में उन्होंने गौरी के किरदार को इस तरह से निभाया की हर घर में उन्हें गौरी के नाम से जाना जाने लगा था।
जहाँ बचपन में उन्होंने पौराणिक कहानियों वाली फिल्मे करी जैसे – घटोत्कच , श्री गणेश, हनुमान पाताल आदि वहीँ पर बड़े होने पर अलग -अलग सब्जेक्ट्स पर काम करके अपने अभिनय के हुनर को निखारा।
1957 में मीना कुमारी द्वारा की गयी शारदा फिल्म ने उन्हें हमेशा के लिए ट्रेजडी क्वीन बना दिया। उसके बाद उन्होंने हर वर्ष सुपर हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। एक के बाद एक बेहतरीन फिल्मे और हर बार एक अलग ही अदाकारी का रूप देखने को मिलता था।
Family & Friends – मीना कुमारी 1951 में कमाल अमरोही से मिली और दोनों ने 1952 में निकाह कर लिया था जब मीना कुमारी महज़ 19 वर्ष की थीं और कमाल 34 वर्षीय दो बार तलाक शुदा व्यक्ति। निकाह होते ही पिता मीना को अपने घर लेकर आ गए और कमाल से तलाक लेने पर ज़ोर डाला, उस समय मीना ने यह निर्णय लिया कि वो जब तक २ लाख रूपए अपने पिता को नहीं दे देती वह कमाल से नहीं मिलेगी।
एक वर्ष के बाद कुछ ऐसा होता है कि मीना और कमाल के घर आ जाती हैं। कमाल उन्हें काम करने की इज़ाज़त तो दे देते हैं मगर कई शर्तों के साथ। जैसे -जैसे मीना कुमारी अपने करियर की उचाईयों को छूती जाती है वहीँ दूसरी तरफ उनका विवाह का रिश्ता टूटता जाता है और 1964 में दोनों अलग हो गए। उसके बाद शराब की लत मीना कुमारी को अंदर ही अंदर ख़तम करती चली गयी और 1972 में उनकी मृत्यु हो गयी।
Awards – मीना कुमारी को कई फ़िल्मी अवार्ड्स से नवाज़ा गया अपने बहुत ही उम्दा अदाकारी के लिए। 13 बार उनको फिल्म फेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला है। 13 साल तक लगातार किसी को यह अवार्ड मिलना अपने में एक रिकॉर्ड है जिसे आज तक कोई भी नहीं तोड़ पाया है।
सबसे ज्यादा 12 बार उनको नोमिटेड किया गया था अपनी फिल्मों में बेस्ट अदाकारी के लिए, इसमें भी मीना कुमारी ने रिकार्ड बनाया था।
भारत सरकार ने मीना कुमारी के सम्मान में 2011 में 500 पैसे का एक डाक टिकट निकाला था।
गूगल ने 2018 में मीना कुमारी के 85 वे जन्म दिवस पर अपने सर्च इंजन के जरिये उनको सम्मान दिया था।
Films – “लेदर फेस (1939)”, ” अधूरी कहानी (1939)”, “पूजा (1940)”, “एक ही भूल (1940)”, “विजय (1941)”, “गरीब (1942)”, “प्रतिज्ञा (1943)”, “दो बीघा ज़मीन (1953)”, “दाना पानी (1953) “, ” परिणीता (1953)”, “चांदनी चौक (1954)”, “बैजू बावरा (1952)”, “तमाशा (1952)”, “मेम साहिब (1956 )”, “एक ही रास्ता (1956 )”, “बंधन (1956 )”, “शारदा (1957)”, “दिल अपना प्रीत परायी (1960)”, ” साहिब बीवी और गुलाम (1962 )”, “नूरजहां (1967)”, “पाकीज़ा (1972)”, “जवाब (1970)”, ” बहारों की मंज़िल (1968)”.
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