Movie Nurture: Sansar Nauka

संसार नौका: कन्नड़ सिनेमा की एक ऐतिहासिक फिल्म

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संसार नौका ಸಂಸಾರ್ ನೌಕಾ (1936) एक कन्नड़ भाषा की सामाजिक ड्रामा फिल्म है, जो एच. एल. एन. सिम्हा द्वारा निर्देशित और के. नंजप्पा द्वारा निर्मित है। यह फिल्म कन्नड़ सिनेमा में निर्मित चौथी साउंड फिल्म और सामाजिक मुद्दों पर आधारित पहली मेलोड्रामा फिल्म थी। रिलीज़ होने पर फिल्म को बॉक्स-ऑफिस पर भारी सफलता मिली और बाद में इसे उसी स्टार कास्ट के साथ 1948 में तमिल में रिलीज़ किया गया।

Movie Nurture: Sansar Nauka
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स्टोरी लाइन

फिल्म का कथानक सुंदर (बी. रामकृष्णैया पंथुलु) के जीवन के सामाजिक विषय पर आधारित है। अपने दादा (दिक्की माधव राव) की इच्छा के विरुद्ध, वह सरला (एम. वी. राजम्मा) से शादी करता है। यह कृत्य उसे अपने घर से दूर ससुराल में बसने के लिए मजबूर करता है। कुछ दिनों बाद, उसके ससुराल वाले उसके साथ बुरा व्यवहार करने लगते हैं और अंततः उसे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है। उसका दुख तब और गहरा हो जाता है जब उसे सुशीला नामक लड़की की हत्या के लिए उसको जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे उसके दादा उसकी शादी कराना चाहते थे। सुंदर सभी दर्दनाक स्थितियों से कैसे बाहर आता है, यह कहानी का बाकी हिस्सा है।

यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही। सामाजिक मुद्दों के यथार्थवादी चित्रण, सशक्त प्रदर्शन और सुंदर संगीत के लिए इसकी सराहना की गई। फिल्म की सफलता ने कन्नड़ सिनेमा को भारतीय सिनेमा में एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने में मदद की।

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फिल्म के तकनीकी पहलू

फिल्म तकनीकी रूप से अच्छी बनी थी. सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत थी और संगीत बेहद खूबसूरत था। प्रदर्शन भी उत्कृष्ट थे, बी. रामकृष्णैया पंथुलु ने सुंदर के रूप में विशेष रूप से यादगार प्रदर्शन किया।

फ़िल्म की सामाजिक टिप्पणी

फिल्म की सामाजिक टिप्पणी इसके सबसे मजबूत बिंदुओं में से एक थी। यह फिल्म कई महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर आधारित थी, जिसमें महिलाओं पर अत्याचार, शिक्षा का महत्व और सामाजिक सुधार की आवश्यकता शामिल थी। फिल्म का संदेश स्पष्ट था: पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था अन्यायपूर्ण थी और इसे बदलने की जरूरत थी।

संसार नौका एक क्लासिक कन्नड़ फिल्म है जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यह एक सशक्त सामाजिक नाटक है जो आज भी समाज में स्थित है।

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