प्रेमदा कनिके एक कन्नड़ रोमेंटिक थ्रिलर फिल्म है , जो सिनेमा घरों में 1 जनवरी 1976 को रिलीज़ हुयी। यह फिल्म सलीम जावेद की पहली रिलीज़ लिखित फिल्म थी। इसका निर्देशन सोमशेखर ने किया था।
यह पहली ऐसी फिल्म थी जिसमे रोमांस और थ्रिल दोनों को एक साथ दिखाया गया था। इस फिल्म ने सिनेमा घरों में आते ही सभी के दिलों में जगह बना ली थी और यह उस समय की एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुयी।
Story Line –
कहानी शुरू होती है एक महिला सीता से जो अपने भतीजे के साथ एक गांव में रहती है। नौकरी की तलाश में परेशान सीता को जब एक व्यापारी मनोहर की बेटी की नेनी बनने के लिए इंटरव्यू का बुलावा आता है तो वह बहुत ही खुश होती है।
इंटरव्यू देने के लिए सीता ट्रेन से शहर जाती है। मगर रास्ते में एक आदमी द्वारा उसका बलात्कार करने का प्रयास किया जाता है , मगर उसी समय उसको कोई गोली मार देता है और उसी समय उसकी मृत्यु हो जाती है। कातिल को सीता देख लेती है। और वह यह बात पुलिस इंस्पेक्टर मूर्ति को बताती है।
सीता को मनोहर के यहाँ पर उसकी बेटी शोबा की नेनी की नौकरी मिल जाती है। और वह राजू के साथ उन्ही के घर में शिफ्ट हो जाती है। कुछ समय बाद जब मनोहर अपनी यात्रा से लौटता है तो सीता उसको पहचान लेती है कि मनोहर ही वह कातिल है जिसने उस आदमी को गोली मारी थी।
मनोहर सीता को धमकी देता है कि वह इस बारे में किसी को भी कुछ ना बताये , नहीं तो वह राजू को नुकसान पहुचायेगा। सीता किसी को कुछ नहीं बताती , मगर वह हमेशा वहां से भागने की कोशिशे करती रहती है और हर बार पकड़ी जाती है। बाद में सीता को अहसास होता है कि मनोहर दिल का बहुत ही अच्छा है। वह सोचती है कि दिल का इतना अच्छा इंसान कातिल कैसे हो सकता है। और इसी कश्मकश में सीता को मनोहर से प्रेम हो जाता है।
फिल्म की कहानी फ़्लैशबक में चली जाती है , जहाँ मनोहर युवा होता है और और एक लड़की कुमुधा से प्रेम करता है। बहुत जल्द ही दोनों शादी कर लेते हैं और कुछ समय बाद दोनों के घर एक पुत्री शोबा का जन्म होता है। कुमुधा का एक मित्र चंदू , जो उससे शादी करना चाहता था , नफरत में वह मनोहर के परिवार को मारने की कोशिश करता है।
मनोहर अपने परिवार को बचाता है और चंदू को अपने अपराध के लिए जेल भिजवाता है। नफरत की आग में जलता हुआ चंदू जब जेल से छूटता है तो वह सबसे पहले मनोहर के और अकेली कुमुधा को देखकर उसका बलात्कार कर देता है। इस बात से दुखी कुमुधा आत्महत्या कर लेती है और मनोहर को शोबा का ध्यान रखने को बोलती है।
दुखी मनोहर को जब चंदू ट्रेन में दिखता है तो वह अपना आपा खो बैठता है और चंदू पर गोली चला देता है। यह कहानी जब सीता को पता चलती है तो वह निर्णय लेती है कि वह कातिल के बारे में पुलिस को कुछ भी नहीं बताएगी। पुलिस मनोहर के घर आती है मगर सीता उनसे कहती है कि अब उसको कातिल का चेहरा यह ही नहीं है , वह भूल चुकी है।
पुलिस इंस्पेक्टर मूर्ति को यह बात सुनकर सीता पर शक होता है, मगर कुछ ना होने की वजह से वह वहां से चले जाते हैं। पुलिस का सीता पर शक मनोहर को एक फैसला लेने पर मज़बूर कर देता है। वह यह सोचता है कि शोबा के जन्मदिन पर वह सारी संपत्ति सीता के नाम करके पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देगा।
मगर उसके पहले ही पुलिस वहां आ जाती है सीता को गिरफ्तार करने के लिए , जैसे ही पुलिस सीता को ले जाने लगती है तो मनोहर कहता है कि यह हत्या सीता ने नहीं बल्कि उसने की थी। पुलिस मनोहर को ले जाती है। जिस दिन मनोहर की सुनवाई अदालत में होती है उस दिन कुमुधा का भाई वहां आ जाता है और अदालत में सच बताता है कि मनोहर ने चंदू को देखकर पिस्टल निकाली तो थी मगर गोली चली उसकी पिस्टल से , मनोहर की से नहीं। पुलिस कुमुधा के भाई को गिरफ्तार कर लेती है। मनोहर और सीता विवाह करके शोबा और राजू के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगते हैं।
Songs & Cast –
फिल्म में संगीत उपेंद्र कुमार ने दिया था और गीतों को विजय नरसिम्हा और उदय शंकर ने लिखा था। फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा और इसके गाने जनता द्वारा बेहद पसंद किये गए – “पुट्टा पुट्टा ಪುಟ್ಟ ಪುಟ್ “, “बानिगोंडु एले एलीड ಬಾನಿಗೊಂಡು ಎಲ್ಲೆ ಎಲೈಡ್ “, “चिन्ना एंडु नागुथिरु ಚಿನ್ನ ಎಂಡು ನಾಗುತಿರು “, “इदु यारू बरेदा कथेयो ಇಡು ಯಾರು ಬರೇಡಾ ಕಥೆಯೊ “, “नागुवेया हेने नानू ನಾಗುವೇಯ ಹೆನ್ನೆ ನಾನು “, “ना बिदलारे एंडु निन्ना ನಾ ಬಿಡಾಲಾರೆ ಎಂಡು ನಿನ್ನಾ” और इन सुपरहिट गीतों को गया है एस जानकी , राजकुमार , वाणी जयराम, पी बी श्रीनिवास और एच पी गीता।
फिल्म में राजकुमार ने मनोहर का किरदार निभाया और उनका साथ दिया आरती ने सीता के रूप में, जयमाला ने कुमुधा बनकर और वज्रमुनि ने इंस्पेक्टर मूर्ति के रूप में। बाल कलाकारों में राजकुमार के बच्चों पुनीत राजकुमार और बेबी पूर्णिमा राजकुमार ने राजू और शोबा के किरदार निभाए।
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