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द जर्नी ऑफ लाइफ: ए मार्मिक टेल ऑफ लव, लॉस एंड रेजिलिएंस इन रूरल इंडिया

Sonaley Jain by Sonaley Jain
March 20, 2023
in Bengali, Films, Hindi, Movie Review, old Films, Others, Top Stories
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Movie Review:পথের পাঁচালী
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पाथेर पांचाली পথের পাঁচালী , 1955 में रिलीज़ हुई, सत्यजीत रे द्वारा लिखित और निर्देशित एक बंगाली फिल्म है, और उनकी प्रशंसित अपू ट्रिलॉजी में पहली फिल्म है। इस फिल्म का निर्माण पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया गया था और यह फिल्म बंद्योपाध्याय के 1929 में आये एक बंगाली उपन्यास “पाथेर पांचाली” पर आधारित है। फिल्म ग्रामीण पश्चिम बंगाल, भारत के एक छोटे से गाँव में रहने वाले एक गरीब परिवार की कहानी है और गरीबी, परिवार और मानवीय स्थिति के विषयों को बताती है।

फंडिंग की समस्या के चलते इस फिल्म को बनने में लगभग 3 वर्षों का समय लगा था। 126 मिनट्स की यह फिल्म सिनेमाघरों में 26 अगस्त 1955 को रिलीज़ की गयी थी। सुबीर बनर्जी, कानू बनर्जी, करुणा बनर्जी, उमा दासगुप्ता, पिनाकी सेनगुप्ता, चुन्नीबाला देवी जैसे कई अन्य कलाकारों ने अपने अभिनय से इस फिल्म को और महान बनाया है।

Movie Review:পথের পাঁচালী
Image Source: Google

Story Line

यह फिल्म एक युवा लड़के अपू के जीवन की कहानी बताती है, जो एक छोटे से ग्रामीण गांव में अपने परिवार के साथ रहता है। अपू के पिता, हरिहर, एक गरीब पुजारी हैं, और उनकी मां, सरबजय, गुज़ारा करने के लिए संघर्ष करती हैं। कहानी में अपू की बड़ी बहन दुर्गा भी एक महत्वपूर्ण पात्र है। कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, परिवार प्यार और घनिष्ठता से जुड़ा हुआ है, और फिल्म उनके जीवन के रोजमर्रा के संघर्षों और खुशियों को खूबसूरती से दर्शाती है।

किस तरह से हरिहर अपनी गरीबी को मिटाने के लिए शहर जाकर कमाई करता है और उसको पैसे कमाने में कुछ ज्यादा ही समय लग जाता है और वहीँ दूसरी तरफ गाँव में हरिहर की अनुपस्थिति के कारण परिवार और गरीबी में डूब जाता है,सरबजय अपने दोनों बच्चों को पालने में असमर्थ महसूर करती है। तभी दुर्गा बारिश ंव भीगने की वजह से बीमार पड़ जाती है और इलाज की सुविधा ना होने की वजह से दुर्गा की मृत्यु हो जाती ही।

Movie Review: পথের পাঁচালী
Image Source: Google

उसके कुछ समय बाद हरिहर वापस आता है और दुर्गा की मृत्यु का दोषी खुद को समझता है और अंत में अपने परिवार को शहर ले जाता है।

पाथेर पांचाली के सबसे आकर्षक पहलुओं में से एक इसकी सुंदर और विचारोत्तेजक छायांकन है। काले और सफेद रंग में फिल्माए गए, फिल्म के दृश्य ग्रामीण इलाकों के आश्चर्यजनक दृश्यों, हलचल भरे गांव के बाजार और परिवार के साधारण घर के साथ ग्रामीण भारत की सुंदरता और कठोरता को दर्शाते हैं।

रवि शंकर द्वारा रचित फिल्म का स्कोर भी बेहद असाधारण है, जिसमें इनका भावपूर्ण भारतीय शास्त्रीय संगीत दृश्यों के साथ एक सुंदर सौगात प्रदान करता है। फिल्म की भावनात्मक गहराई और पात्रों के संघर्ष को व्यक्त करने में संगीत विशेष रूप से प्रभावी है।

Movie Review: পথের পাঁচালী
Image Source: Google

पाथेर पांचाली में अभिनेताओं का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है, जिसमें प्रत्येक अभिनेता अपनी भूमिकाओं में प्रामाणिकता और स्वाभाविकता की भावना लाता है। अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बाल कलाकार विशेष रूप से प्रभावशाली हैं, जो मासूमियत की भावना को व्यक्त करते हैं।

फिल्म का विषय यूनिवर्सल हैं, और संस्कृतियों को समय के साथ दर्शाने में समर्थ है। गरीबी, परिवार और मानवीय स्थिति के विषयों को बहुत गहराई से दिखाया गया है। इस फिल्म में भी कई खामियां थी जैसे कि पेसिंग मुद्दे और कुछ तकनीकी सीमाएँ, जो फिल्म को कई जगहों पर मुद्दे से भटका देती है। और इसकी सरलता और गहराई फिल्म निर्माताओं और सिनेप्रेमियों की नई पीढ़ियों को प्रेरित करती है।

Tags: Bengali MovieMovie ReviewSatyajit Rey
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