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Home 1940

गुजराती सिनेमा की समृद्ध विरासत की खोज: रणकदेवी की समीक्षा (1946)

Sonaley Jain by Sonaley Jain
May 12, 2023
in 1940, Films, Gujarati, Hindi, Movie Review, old Films, Top Stories
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MovieNurture: Ranakdevi
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गुजरात, पश्चिमी भारत का एक राज्य है, जिसकी एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जिसे सिनेमा के माध्यम से देखा जा सकता है। गुजराती सिनेमा वर्षों में विकसित हुआ है, लेकिन इसकी जड़ें 1940 के दशक में देखी जा सकती हैं, जब अपने समय की उत्कृष्ट कृति रणकदेवी रिलीज़ हुई थी। वी. एम. व्यास के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भगवानदास, छनालाल ठाकुर, मास्टर धूलिया, अंजनी, मोतीबाई और दुलारी जैसे दिग्गज कलाकार नजर आए थे।

123 मिनट्स की यह ऐतिहासिक फिल्म 1 जनवरी 1946 को गुजराती सिनेमा में रिलीज़ हुयी और यह ऐतिहासिक फिल्म रानी रणक देवी की कथा पर आधारित है।

Movie Nurtur: Ranakdevi
Image Source: Google

Story Line

इस एपिक फिल्म की कहानी शुरू होती है सिद्धराज जयसिंह से, जो पाटन के सोलंकी शासक हैं। निःसंतान होने की वजह से वह गुरुओं द्वारा बताये गए सभी उपाय करते हैं अपनी रानियों के साथ। एक मुनि की भविष्यवाणी कि संतान सिर्फ रनक द्वारा ही प्राप्त होगी, उसके बाद जयसिंह रनक से विवाह करने का मन बनाते हैं।

रानक सिंध के परमार की बेटी और जूनागढ़ के पास मजेवाड़ी गांव के गरीब कुंभार की गोद ली हुई बेटी है।जिसकी खूबसूरती पर मोहित होकर जूनागढ़ के राजा खेंगर उससे विवाह कर लेते हैं। इस बात से नाराज़ जयसिंह जूनागढ़ पर आक्रमण कर देता है।

राजा खेंगर के भतीजों देशल और विशाल की सहायता से जयसिंह युद्ध में विजय प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद खेंगर की मृत्यु के पश्चात् वह रनक को साथ लेकर अपने राज्य पाटन लोटता है। मगर बीच रास्ते में भोगवो नदी के तट पर वाधवन में, वह जयसिंह को श्राप देती है कि वह निः संतान ही मरेगा और चिता पर खुद को जलाकर सती हो जाती है।

रनक देवी की शीर्षक भूमिका निभाने वाली निरुपा रॉय ने एक शानदार प्रदर्शन दिया जिसने एक अभिनेता के रूप में अपनी सीमा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने रानी की भेद्यता, शक्ति और दृढ़ संकल्प को बड़ी चतुराई से चित्रित किया।

Movie Nurture: Ranakdevi
Image Source: Google

रनक देवी का संगीत युग के प्रसिद्ध संगीतकार छनालाल ठाकुर ने तैयार किया था। फिल्म में कई भावपूर्ण गीत हैं जो गुजराती सिनेमा के प्रति उत्साही लोगों द्वारा अभी भी याद किये जाते हैं। “लाख लाख दिव्या नी आरती” गीत दर्शकों के बीच विशेष रूप से पसंदीदा है।

रनक देवी अपनी रिलीज के समय एक महत्वपूर्ण और सफल फिल्म थी। इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन, आकर्षक कथानक और आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए इसकी प्रशंसा की गई। फिल्म ने गुजराती सिनेमा पर भी एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है, कई फिल्म निर्माताओं को अपने काम में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषयों को जोड़ने के लिए प्रेरित किया है।

अंत में, रनक देवी गुजराती सिनेमा की एक उत्कृष्ट कृति है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। इसका आकर्षक कथानक, शक्तिशाली प्रदर्शन और भावपूर्ण संगीत इसे भारतीय सिनेमा की दुनिया की खोज में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अवश्य देखने लायक है। यह एक टाइमलेस क्लासिक फिल्म, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए याद किया जाएगा।

Tags: 1940sGujrati ClassicMovie ReviewNirupama Roy
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