• About
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
Wednesday, October 15, 2025
  • Login
Movie Nurture
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
No Result
View All Result
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
No Result
View All Result
Movie Nurture
No Result
View All Result
Home 1950

कंकाल: पहली बंगाली हॉरर क्लासिक

Sonaley Jain by Sonaley Jain
September 18, 2023
in 1950, Bengali, Films, Hindi, Movie Review, old Films, Top Stories
0
Movie Nurture: Kankal
0
SHARES
0
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

कंकाल 1950 की बंगाली हॉरर ड्रामा फिल्म है, जो नरेश मित्रा द्वारा निर्देशित और शिशिर मलिक द्वारा निर्मित है। इसे बंगाली भाषा में रिलीज हुई पहली हॉरर फिल्म माना जाता है। यह फिल्म एक युवा महिला, ताराला की कहानी पर आधारित है, जिसका जीवन ख़तम किया जाता है वो भी उसके पूर्व प्रेमी अभय द्वारा, जो उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है। उसकी प्रतिशोधी भावना उसे परेशान करने और मारने के लिए वापस आती है।

Movie Nurture: Kankal
Image Source: Google

स्टोरी लाइन

फिल्म की कहानी शुरू होती है अभय की मृत्यु से, और उसको एक कंकाल ने मारा है, पुलिस द्वारा इसकी तहकीकात होती है और वह डॉ. सान्याल तक पहुँचते हैं, जो उनको ताराला की कहनी बताता है। ताराला की शादी एक अमीर आदमी रतन से होती है और वह अपने वैवाहिक जीवन में बहुत खुश थी। लेकिन ताराला की भाभी का भाई अभय ताराला से प्यार करता था जिसे ताराला उसके बुरे रवैये और कम शिक्षा के कारण पसंद नहीं करती थी। अभय इसका बदला लेने के लिए रतन की बहन से शादी कर लेता है। उसके बाद वह रतन को फंसाकर उसकी सारी संपत्ति हड़प लेता है और ताराला के साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है,मगर अनजाने में अभय के हाथों ताराला की मृत्यु हो जाती है और अभय ने उसके शव को नदी में फेंक कर छुपाने की कोशिश की। अपनी पत्नी को न पाकर रतन पागल हो गया और उसकी तलाश में इधर-उधर घूमने लगा।

उसके कुछ समय बाद से अभय को ताराला की आत्मा हर समय दिखाई देने लगी, और कुछ ही समय बाद उसने अपनी मौत का बदला अभय की मौत से ले लिया।

यह फिल्म बदले और न्याय की एक मनोरंजक और रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है। फिल्म प्यार, विश्वासघात, वासना, लालच और अलौकिक शक्ति के विषयों को दर्शाती है। फिल्म उस समय के सामाजिक और नैतिक मूल्यों, जैसे महिलाओं की स्थिति, विवाह का महत्व और पाप के परिणाम को भी दर्शाती है।

Movie Nurture: Kankal
Image Source: Google

फिल्म में कलाकारों का बेहतरीन अभिनय देखने को मिलता है। मलाया सरकार खूबसूरत और मासूम नायिका ताराला की भूमिका निभाती हैं, जो अपने पति रतन से प्यार करती है। वह ख़ुशी, दुःख, भय और क्रोध की भावनाओं को बड़ी कुशलता से चित्रित करती है। धीरज भट्टाचार्य ने खलनायक और शराबी पूर्व प्रेमी अभय की भूमिका निभाई है जो ताराला को चाहता है। वह जुनूनी और क्रूर चरित्र के रूप में एक विश्वसनीय और खतरनाक प्रदर्शन करता है। जिबेन बोस अमीर और भ्रष्ट व्यवसायी अग्रवाला की भूमिका निभाते हैं जो अभय का समर्थन करता है। वह फिल्म में यथार्थवाद और हास्य का पुट जोड़ते हैं। नरेश मित्रा प्रोफेसर, रतन के दोस्त और गुरु की भूमिका निभाते हैं। वह फिल्म का निर्देशन भी शानदार ढंग से करते हैं।

यह फिल्म अपने तकनीकी पहलुओं के लिए भी उल्लेखनीय है। शिशिर मलिक की सिनेमैटोग्राफी प्रकाश और छाया के प्रभावी उपयोग के साथ फिल्म के मूड और माहौल को दर्शाती है। नरेश मित्रा का संपादन कुरकुरा और सहज है, जो एक तेज़ गति वाली और रोमांचकारी कहानी बनाता है। रॉबिन चटर्जी का संगीत मधुर और मनमोहक है, जो फिल्म के भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाता है। मलाया सरकार द्वारा गाए गए गीत विशेष रूप से यादगार और भावपूर्ण हैं।

फिल्म में अपने समय के लिए कुछ अभिनव और प्रभावशाली दृश्य हैं, जैसे वे दृश्य जहां ताराला की आत्मा प्रकट होती है और गायब हो जाती है, अभय की कंकाल द्वारा मृत्यु और ताराला का हार अंधेरे में चमकता है। फिल्म में कुछ डरावने और रहस्यमय क्षण भी हैं, जैसे वह दृश्य जहां ताराला की लाश एक ताबूत में पाई जाती है, वह दृश्य जहां अभय एक दर्पण में ताराला का प्रतिबिंब देखता है और वह दृश्य जहां ताराला की आत्मा जंगल में अभय का पीछा करती है।

कंकल एक क्लासिक फिल्म है जिसका आनंद सभी हॉरर प्रशंसक ले सकते हैं। यह एक ऐसी फिल्म है जो बंगाली सिनेमा के शुरुआती दिनों की प्रतिभा और रचनात्मकता को प्रदर्शित करती है।

Tags: BengaliClassic MovieFirst Horror FilmMovie Reviewold film
Previous Post

द ममी: गॉथिक हॉरर की एक उत्कृष्ट कृति

Next Post

It’s a Wonderful Life: एक फिल्म जो हम सभी को प्रेरित करती है

Next Post
Movie Nurture: It’s a Wonderful Life

It's a Wonderful Life: एक फिल्म जो हम सभी को प्रेरित करती है

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Facebook Twitter

© 2020 Movie Nurture

No Result
View All Result
  • About
  • CONTENT BOXES
    • Responsive Magazine
  • Disclaimer
  • Home
  • Home Page
  • Magazine Blog and Articles
  • Privacy Policy

© 2020 Movie Nurture

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In
Copyright @2020 | Movie Nurture.