MOvie Nurture: धरती का वोही आसमान: 1970 की 'धरती' का समिक्षा

धरती का वोही आसमान: 1970 की ‘धरती’ का समिक्षा

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भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर में, कई ऐसी फिल्में आईं जिन्होंने दर्शकों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी। इनमें से एक महत्वपूर्ण फिल्म है “धरती” (1970), जो आज भी अपने बेहतरीन कथानक, अदाकारी और निर्देशन के लिए जानी जाती है। यह फिल्म सामाजिक मुद्दों को दर्शाने के साथ-साथ मनोरंजन की एक उत्कृष्ट मिसाल पेश करती है। इस फिल्म का निर्देशन सी. वी. श्रीधर ने किया था और राजेंद्र कुमार, वहीदा रहमान मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 1969 में आयी तमिल फिम “शिवंधा मान” का रीमेक है।

Movie Nurture: धरती का वोही आसमान: 1970 की 'धरती' का समिक्षा
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कहानी:

“धरती” की कहानी एक्शन से भरपूर है। जो भरत (राजेंद्र कुमार) और ज्वाला (वहीदा रहमान) के इर्द-गिर्द घूमती है। वसंतपुर, भारत के समीप एक छोटी सी रियासत है, जिस पर एक दयालु राजा का शासन है।मगर उसका सेनापति क्रूर दीवान डच सेना की मदद से वसंतपुर पर कब्ज़ा करने की योजना बनाता है।

राजा के महानिरीक्षक चंद्रशेखर का बेटा भरत (राजेंद्र कुमार) राजा की बेटी ज्वाला (वहीदा रहमान) से प्यार करता है और दोनों देश के बाहर होते हैं।

जब भरत को पता चलता है कि वसंतपुर दीवान के चंगुल में फंस गया है, तो वह ज्वाला, डिक्की और रोज़ी ( दोस्तों ) के साथ वापस लौटता है और सभी राज्य को बचाने के मिशन पर निकल पड़ते हैं।
दीवान को मारने की उनकी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं, जिसके चलते वे उसे उसके ही महल में खत्म करने की योजना बनाते हैं। लेकिन किस्मत ने भरत और वसंतपुर के लिए और भी आश्चर्य छिपा रखे हैं।

अभिनय:

फिल्म में राजेंद्र कुमार ने भरत के रूप में सराहनीय अभिनय किया है, जिसमें उन्होंने देशभक्ति और प्रेम दोनों को दर्शाया है।
वहीदा रहमान ने राजकुमारी चित्रलेखा (ज्वाला) के रूप में शानदार अभिनय किया है, जिससे उनके किरदार में गहराई आई है। दोनों की केमिस्ट्री और अभिनय दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में सफल रहे हैं।

निर्देशन:

“धरती” का निर्देशन सी. वी. श्रीधर ने किया है, जिन्होंने अपनी कुशलता से फिल्म को एक नई ऊंचाई दी है। श्रीधर ने कहानी को बड़ी ही संवेदनशीलता और गहराई के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे दर्शक फिल्म से भावनात्मक रूप से जुड़ पाते हैं। उनके निर्देशन में फिल्म में एक्शन, रोमांस और साज़िश का मिश्रण बहुत उन्नत है।

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फिल्म का संदेश:

धरती साहस, प्रेम और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई पर जोर देती है। यह न्याय के लिए खड़े होने और अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के महत्व को रेखांकित करती है।

स्थान:

काल्पनिक राज्य वसंतपुर में फिल्म की सेटिंग इसके आकर्षण को बढ़ाती है। शाही महल और हरे-भरे परिदृश्य एक शानदार अनुभव प्रदान करते हैं। राज्य के सुंदर और कठिन पहलुओं को बखूबी दर्शाया गया है, जो कहानी को और भी प्रभावी बनाता है।

अनजाने तथ्य:

मूल तमिल संस्करण (शिवंधा मान) में नायक की भूमिका निभाने वाले शिवाजी गणेशन धरती में आनंद के रूप में विशेष भूमिका निभाते हैं।
शंकर जयकिशन द्वारा रचित फिल्म के साउंडट्रैक में “खुदा भी आसमान से” और “ये मौसम भीगा भीगा है” जैसे यादगार गाने शामिल हैं।

निष्कर्ष:

“धरती” एक ऐसी फिल्म है जो अपने समय के सामाजिक मुद्दों को बड़ी ही संवेदनशीलता और सजीवता के साथ पेश करती है। इसके बेहतरीन कथानक, अदाकारी और निर्देशन के चलते यह फिल्म आज भी दर्शकों के बीच प्रिय है। “धरती” न केवल एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह सामाजिक जागरूकता और परिवर्तन का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

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