1970 का दशक हो या आज का समय, राजेश खन्ना का नाम सुनते ही दिल में एक अजीब सी धड़कन पैदा हो जाती है। वो अदाकार जिसने पहली बार “सुपरस्टार” शब्द को परिभाषित किया, जिसके लिए महिलाएं शादीशुदा होकर भी उसकी फिल्मों के पोस्टरों पर चूमा करती थीं, और जिसकी हर अदा ने हिंदी सिनेमा को एक नया रोमांस दिया। राजेश खन्ना सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, वो एक जुनून थे, जिनकी फ़िल्में आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। चलिए, उनकी दस ऐसी फिल्मों की यात्रा पर निकलते हैं, जिन्होंने उन्हें अमर बना दिया।
1. आनंद (1971): “ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं”
हृषिकेश मुखर्जी की यह मास्टरपीस राजेश खन्ना के करियर का वो पत्थर है जिस पर उनकी विरासत टिकी है। आनंद, एक टर्मिनल बीमारी से जूझता हुआ शख्स, जो हर पल को जीने की जिद रखता है। खन्ना ने इस रोल में जान डाल दी—उनकी मुस्कान के पीछे का दर्द और दर्शकों को जीवन का पाठ पढ़ाने का अंदाज़ अविस्मरणीय है। अमिताभ बच्चन के डॉक्टर भास्कर के साथ उनकी केमिस्ट्री और किशोर कुमार का गाया “ज़िंदगी कैसी है पहेली” आज भी दिल को छू जाता है। यह फिल्म सिर्फ एक ड्रामा नहीं, जीने की फिलॉसफी है।
2. अराधना (1969): वो पहला प्यार जो “रोमांस” बन गया
शक्ति सामंत की इस फिल्म ने राजेश खन्ना को ओवरनाइट स्टार बना दिया। एक पायलट और एक अकेली महिला (शर्मिला टैगोर) की प्रेमकथा, जिसमें मृत्यु के बाद भी प्यार जिंदा रहता है। “मेरे सपनों की रानी” और “रूठके हमसे कभी” जैसे गानों ने संगीत के इतिहास में नए अध्याय लिखे। खन्ना का डबल रोल—पिता और बेटे—उनकी एक्टिंग रेंज को दिखाता है। यह वह फिल्म थी जिसके बाद लड़कियों ने उनकी तस्वीरों से शादी करने का सपना देखना शुरू कर दिया!
3. अमर प्रेम (1972): प्रेम की वो कहानी जो समाज से टकराई
“चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाए…” शक्ति सामंत की इस फिल्म में राजेश खन्ना ने अन्नदाता नाम के एक बार-गायक का किरदार निभाया, जो एक उदास शादीशुदा महिला (शर्मिला टैगोर) से प्यार कर बैठता है। समाज के ठेकेदारों के खिलाफ यह प्रेमकथा सिर्फ एक रोमांस नहीं, बल्कि सामाजिक बंदिशों पर करारा प्रहार थी। आरडी बर्मन के संगीत और किशोर-लता की आवाज़ों ने इसे और गहराई दी। खन्ना का डायलॉग, “पुष्पा, आई हेट टीयर्स,” आज भी याद किया जाता है।
4. बावर्ची (1972): रसोई से ज़िंदगी का फलसफा
हृषिकेश मुखर्जी की इस कॉमेडी-ड्रामा में राजेश खन्ना ने रघु नाम के एक रहस्यमयी बावर्ची का रोल प्ले किया, जो एक टूटे परिवार को जोड़ने का काम करता है। यह फिल्म उनकी सहज अदाकारी का बेहतरीन उदाहरण है—न कोई ग्लैमर, न कोई रोमांस, बस एक साधारण आदमी जो बिना लफ्फाजी के ज़िंदगी बदल देता है। “तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो” जैसा भावुक गाना और परिवार के मूल्यों की यह कहानी आज भी प्रासंगिक है।
5. कटी पतंग (1970): टूटी हुई पतंग और एक झूठ का सच
इस फिल्म में राजेश खन्ना ने कमल नाम के एक शरारती युवक का रोल निभाया, जो अपने प्यार (आशा पारेख) को पाने के लिए झूठ का सहारा लेता है। मगर यह झूठ उसकी ज़िंदगी को उलझा देता है। “ये जो मोहब्बत है” और “प्यार दीवाना होता है” जैसे गानों ने इस फिल्म को यादगार बना दिया। यहां खन्ना ने दिखाया कि रोमांस और ट्रेजेडी का मिश्रण कैसे कामयाब होता है।
6. सफर (1970): ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव का सच
अपनी बीमार पत्नी (शर्मिला टैगोर) को बचाने के लिए एक डॉक्टर (राजेश खन्ना) कैसे अपनी मर्यादाओं को तोड़ देता है, यह कहानी “सफर” में देखने को मिलती है। इसमें खन्ना ने एक गंभीर और संघर्षशील चरित्र को पर्दे पर उतारा। “जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर” गाना इस फिल्म की आत्मा बन गया। यह फिल्म उनके करियर में एक टर्निंग प्वाइंट थी, जहां उन्होंने साबित किया कि वो सिर्फ रोमांटिक हीरो नहीं, बल्कि सीरियस एक्टर भी हैं।
7. नमक हराम (1973): दोस्ती और वर्ग संघर्ष की कहानी
हृषिकेश मुखर्जी की इस सोशल ड्रामा में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने दोस्ती के नए रंग दिखाए। एक गरीब मजदूर (बच्चन) और एक अमीर युवक (खन्ना) की दोस्ती पर यह फिल्म वर्ग के अंतर को बखूबी दिखाती है। “मैं शायर तो नहीं” और “दिल आज शायर है” जैसे गानों के बीच खन्ना ने अपने किरदार की ट्रेजिक डेथ से दर्शकों को रुला दिया। यह फिल्म उनकी बेहतरीन एक्टिंग रेंज का प्रमाण है।
8. दाग (1973): प्यार, पश्चाताप और एक गीत
यश चोपड़ा की इस फिल्म में राजेश खन्ना ने सुनील नाम के एक शराबी का रोल निभाया, जो अपनी गलतियों से उबरने की कोशिश करता है। शर्मिला टैगोर और राखी के साथ उनकी केमिस्ट्री ने इस मेलोड्रामा को खास बनाया। “मेरे दिल में आज क्या है” और “नैना लड़ैंही” जैसे गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं। यह फिल्म इस बात का उदाहरण है कि कैसे खन्ना ने कॉम्प्लेक्स किरदारों को भी आसानी से निभा लिया।
9. मेरे जीवन साथी (1972): दो दिलों की धड़कन
इस फिल्म में राजेश खन्ना और तनुजा की जोड़ी ने रोमांस के नए अध्याय लिखे। एक गरीब पेंटर और एक अमीर लड़की की प्रेमकथा, जिसमें समाज और परिवार के षड्यंत्र शामिल हैं। “ओ मेरे दिल के चैन” जैसा गाना और खन्ना का रोमांटिक अंदाज़ इस फिल्म को यादगार बनाते हैं। यह फिल्म उस दौर की याद दिलाती है जब सिनेमा में प्यार की ताकत को सबसे ऊपर रखा जाता था।
10. आप की कसम (1974): वादों और विवशताओं की दास्तां
इस फिल्म में राजेश खन्ना ने एक ऐसे शख्स की भूमिका निभाई जो अपनी पत्नी (मुमताज) से कसम खाता है कि वह कभी किसी और से प्यार नहीं करेगा। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर होता है। “जय जय शिव शंकर” और “सोने का सुहाना सपना” जैसे गानों ने इस फिल्म को सुपरहिट बनाया। खन्ना का इमोशनल एक्टिंग और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी ने दर्शकों के दिल पर राज किया।
एक सदाबहार विरासत
राजेश खन्ना की यह फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा की धरोहर हैं। उनकी मासूम मुस्कान, आवाज़ में छुपा दर्द, और स्क्रीन पर छा जाने वाला करिश्मा आज भी नायाब है। वो चाहे आनंद की जीवटता हो या अराधना का रोमांस, इन फिल्मों ने साबित किया कि असली सुपरस्टार वही होता है जो दिलों में बस जाए। आज भी जब इन फिल्मों के गाने बजते हैं, राजेश खन्ना की छवि आँखों के सामने घूम जाती है—एक ऐसा सितारा जो कभी डूठा नहीं, बस धुंधलके में ओझल हो गया।
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