Kati Patang – प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है

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कटी पतंग एक सुपरहिट फिल्म, जो 29 जनवरी 1971 में भारतीय सिनेमा में रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म का निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था।इस फिल्म के गानें आज भी युवाओ द्वारा गुनगुनाये जाते हैं जैसे प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है, ये शाम मस्तानी मदहोश किये जाये, मुझे डोर कोई खींचे तेरी और लिए जाये।

जब जीवन में सच और झूठ के बीच संघर्ष होता है तो शुरू में चाहे लगे कि झूठ की जीत हो रही है मगर अंत में हमेशा सच ही विजेता बनता है। ऐसा ही कुछ इस फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है। कि किस तरह एक धोखा खायी हुयी लड़की अपनी दोस्त की मदद करने के लिए अपने जीवन के सारे रंगों को मिटा देती है, हज़ार दोषारोपण सहते हुए अंत में उसकी सच्चाई की जीत होती है।

Story –  कहानी शुरू होती है एक अनाथ लड़की माधवी से जो अपने मामा के साथ रहती है और उसके मामा एक लड़के से उसका विवाह तय कर देते हैं मगर माधवी उर्फ़ मधु किसी दूसरे लड़के कैलाश से प्रेम करती है और अपने ही विवाह के दिन वह घर से भाग जाती है कैलाश के साथ अपना आने वाला जीवन व्यतीत करने के लिए।  जैसे ही वह कैलाश के घर पहुँचती है तो वो देखती है कि कैलाश किसी शबनम से प्रेम करता है और वह दोनों मिलकर माधवी को धोखा दे रहे हैं। 

दुखी माधवी अपने घर वापस आती है तो पाती है कि उसके मामा ने अपमान के चलते आत्महत्या कर ली है।  अब माधवी का इस शहर में कोई भी नहीं है तो वह किसी दूसरी जगह जाने के बारे में सोचती है और रेलवे स्टेशन आती है जहाँ उसकी मुलाकात उसकी सहेली पूनम से होती है, जो अपने पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद अपने बेटे मुन्ना के साथ अपने ससुराल पहली बार जा रही है। मगर आज तक कभी भी उसके ससुराल वालों ने उसको नहीं देखा। 

माधवी भी अपनी सहेली को खुद के साथ हुए हादसे के बारे में बताती है तो पूनम उसको भी अपने साथ चलने को कहती है और बेघर माधवी उसकी यह बात मान लेती है। दोनों सहेलियां ट्रेन पकड़ती है और कुछ दूर जाकर ही ट्रेन का एक्सीडेंट हो जाता है जिसमे पूनम गंभीर अवस्था में होती है और उसको पता चल जाता है कि वह ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह सकती तो वह माधवी से कहती है कि वह पूनम बनकर मुन्ना के साथ उसके ससुराल चली जाए।  इस हालात में माधवी के पास हां करने के शिव कोई और रास्ता नहीं होता है। 

हां करते ही पूनम की मृत्यु हो जाती है और माधवी मुन्ना के साथ एक टेक्सी लेकर घर जा रही होती है तो टेक्सी ड्राइवर उसके साथ जबरदस्ती करने का प्रयास करता है उतने में ही माधवी को बचाने वहां से गुजर रहा एक व्यक्ति कमल आ जाता है और टेक्सी ड्राइवर की पिटाई करके उसको भगा देता है और  माधवी को रात के लिए अपने घर में आश्रय देता है। माधवी को पता चलता है कि कमल से ही उसका विवाह तय हुआ था तो शर्मिंदी में वह सुबह जल्दी ही कमल के घर से चली जाती है और अपने ससुराल पहुँच जाती है। 

ससुराल वाले अपनी बहु और पोते को देखकर बहुत खुश होते हैं।  कमल पूनम के ससुर जी दीनानाथ के दोस्त का बीटा होता है तो उसका इनके घर आना जाना लगा रहता है।  कुछ समय बाद कमल को अहसास होता है कि वह पूनम से प्रेम करने लगा है और जब वह यह बात उसको बताता है तो वह मना कर देती है मगर माधवी भी मन ही मन कमल को पसंद करती है। एक दिन माधवी कैलाश को अपने घर में देखकर हैरान हो जाती है, तब दीनानाथ बताते हैं कि कैलाश और वह काफी समय से एक दूसरे को जानते हैं।  कैलाश को जब सच्चाई पता चली है तो वह माधवी को ब्लैकमेल करता है मगर वह उसकी कोई भी बात मानने से इंकार कर देती है। 

दीनानाथ को माधवी के झूठ के बारे में पता चलता है और वह माधवी से सच्चाई जानते हैं, सब कुछ पता चलने पर वह माधवी को माफ़ कर देते हैं और वह अपनी सारी संपत्ति उसके और मुन्ना के नाम कर देते हैं और माधवी और कमल के विवाह का फैसला करते हैं।  जब यह बात कैलाश को पता चलती है तो वह दीनानाथ की हत्या जहर देखर कर देता है और इलज़ाम माधवी पर लगाता है और उसकी सारी सच्चाई सभी को बता देता है। पूनम की सास माधवी को स्वीकार करने से इंकार कर देती है और कमल भी उससे बहुत नाराज़ होता है। 

माधवी को जेल हो जाती है और कैलाश शबनम को पूनम बनाकर लाता है तो पुनम की सास उसको पूनम मानने से इंकार कर देती है।  उधर कमल कैलाश और शबनम के इरादों के बारे में जान जाता है और उन दोनों को रंगे  हाथों पकड़वा कर, माधवी को छुड़वाता है।  कमल माधवी को माफ़ कर देता है और उससे विवाह कर लेता है।   

Songs & Cast – इस फिल्म में राहुल देव बर्मन ने संगीत  दिया है और इसमें उन्होंने 7 बेहद खूबसूरत गानें रखे है जो आज भी गुनगुनाये जाते हैं और इन गीतों को लिखा है आनंद बक्शी साहब ने  – “ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए”, ” प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है “, “मेरा नाम है शबनम “, “ये जो मोहब्बत है, ये उनका है काम “, “जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा “, “ना कोई उमंग है , ना कोई तरंग है “, “आज ना छोड़ेंगे तुझे ” और  इन सदाबहार गानों में आवाज़ दी है लता मंगेशकर , किशोर कुमार, मुकेश, आर डी बर्मन और आशा भोंसले ने। 

इस फिल्म में आशा पारेख ने माधवी “मधु” और फेक पूनम का किरदार निभाया है एक अविवाहित लड़की ने एक विधवा का किरदार बड़ी ही संजीदगी के साथ निभाया है। और उनका साथ दिया है राजेश खन्ना ने कमल सिन्हा के किरदार के रूप में , इस फिल्म में अन्य कलाकरों में प्रेम चोपड़ा (कैलाश), बिंदू (शबनम ), नजीर हुसैन (दीवान दीनानाथ), मदन पुरी (कमल के पिता), कुमारी नाज ( पूनम ), सुलोचना लाटकर (श्रीमती दीनानाथ) ने भी इस फिल्म को सुपर हिट बनाने में साथ दिया है। 

इस फिल्म की अवधि 2 घंटे और 41 मिनट्स है और इसका निर्माण किया है शक्ति सामंत ने शक्ति फिल्म्स बैनर के तहत।

Location – इस फिल्म की शूटिंग देश के प्रसिद्ध हिल स्टेशन नैनीताल में हुयी है।  यह भारतीय सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी जिसमे किसी हिल स्टेशन के खूबसूरत स्थानों को इस तरह से दर्शाया गया है जैसे – नैनी लेक, भीमताल (नैनीताल जिले का एक स्थान ),

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