गुंडम्मा कथा एक भारतीय तेलुगु कॉमेडी – पारिवारिक फिल्म जो 7 जून 1962 को सिनेमा में रिलीज़ हुयी। इस फिल्म को निर्देशित कमलाकर कामेश्वर राव ने किया था। और यह फिल्म कन्नड़ फिल्म माने थुम्बिडा हेन्नू (1958) की रीमेक है और आंशिक रूप से यह विलियम शेक्सपियर का कॉमेडी ड्रामा द टैमिंग ऑफ द क्रू से प्रेरित है। यह फिल्म इसके दो बड़े कलाकारों दो रामा राव की 100 वीं और नागेश्वर राव की 99 वीं फिल्म बनी।
Story Line –
तेलुगु फिल्म की कहानी शुरू होती है गुंडम्मा एक अमीर विधवा महिला से। जो अपनी दो बेटियों और एक बीटा प्रभाकर के साथ एक हवेली में रहती है। सरोजा जो उसकी सगी बेटी है और लक्मी जो उसकी सौतेली बेटी है , और वह लक्ष्मी के साथ हमेशा से ही बहुत बुरा व्यव्हार करती है। उस से नौकरों की तरह घर का पूरा काम करवाती है, मगर लक्ष्मी एक सीधी और सरल स्वाभाव की बेटी अपनी माँ की हर बात बड़ी ही ख़ुशी से मान लेती है।
प्रभाकर सरोजा की सहेली पद्मा से प्रेम करता है। गुंडम्मा का चालाक भाई घन्टैया यह चाहता है कि सरोजा की शादी उसके अपराधी बेटे भूपति हो जाये, जो अभी जेल में है। इसके लिए वह हर बार सरोजा के आये हुए शादी के रिश्ते को हमेशा ना होने का प्रयत्न करता रहत था। मगर गुंडम्मा चाहती है कि भूपति का विवाह लक्ष्मी से हो जाये इसके लिए वह बाद में घन्टैया को मना भी लेती है।
और वही दूसरी तरफ गुंडम्मा अपनी बेटी सरोजा का विवाह शहर के सबसे अमीर आदमी रामभद्रैया के बेटे से करवाना चाहती है। रामभद्रैया को लक्ष्मी कि खूबियों के बारे में पता चलता है तो वह उसे अपने बड़े बेटे की पत्नी बनाने की इच्छा से बड़े बेटे अंजनेय “अंजी” प्रसाद को एक नौकर बनाकर गुंडम्मा के घर भेजता है।
कुछ समय में ही अंजनेय और लक्ष्मी एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं और शीघ्र विवाह भी कर लेते हैं। वहीँ दूसरी तरफ राजा अपनी चचेरी बहन पद्मा की वजह से सरोजा से मिलता है और पहली ही नज़र में दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो जाता है। मगर रामभद्रैया द्वारा इस रिश्ते का विरोध किया जाता है और वह गुंडम्मा को एक धमकी भरा पत्र भी लिखता है।
कुछ समय बाद प्रभाकर और पद्मा की शादी के आयोजन में सभी आते हैं वहां पर पद्मा की चालाक चाची द्वारा गुंडम्मा को सताया जाता है और उसके द्वारा चोरी किये गए पैसों का इलज़ाम गुंडम्मा पर लग जाता है। दुर्गा गुंडम्मा को एक कमरे में बंद कर देती है और वहां पर अंजनेय और राजा द्वारा उसको बचाया जाता है।
लक्ष्मी और सरोजा की गलतफहमियां दूर होती है और सभी एक साथ अपने ससुर रामभद्रैया का आशीर्वाद लेते हैं।
Songs & Cast –
सुपरहिट तेलुगु फिल्म में संगीत घंटाशाला का है और गीतों को पिंगली ने लिखा है। इन गानों की खासियत यह है कि इनको जब भी सुना जाता है पूरी फिल्म आपको याद आ जाती है। जैसे – “लिचंडी निद्रा లెచిండి నిద్రా”, “सन्नगा वीचे సన్నగా వీచే”, “अलीगिना वेलन चुडाली అలిగినా వెలాన్ చుడాలి”, “प्रेमा यत्रलाकु ప్రేమా యాత్రాలకు”,”मनीषी मारलेदु మనీషి మారలేడు”, “कोलो कोलोयन्ना కోలో కోలోయన్న”, “मौनमुगा नी మౌనముగ నీ” और इन गानों को गाया है घंटाशाला, पी सुशीला और पी लीला ने।
फिल्म में दो सेज भाइयों का किरदार एन टी रामाराव ने अंजनेय “अंजी” प्रसाद और अक्किनेनी नागेश्वर राव ने राजा का निभाया, और उनका साथ दिया सावित्री और जमुना ने दो बहनों लक्ष्मी और सरोजा के रूप में । बाकि कलाकारों में सूर्यकांथम ( गुंडम्मा), एस वी रंगा राव ( रामभद्रैया ), राजनाला (भूपति) ने भी अदाकारी से फिल्मो को सुपरहिट बनाया था।
Review –
1962 में बनी एक तेलुगु सुपरहिट फिल्म गुंडम्मा कथा, जो एक पारिवारिक फिल्म होने के साथ – साथ जीवन के हर उस उतार चढ़ाव को दिखाती है, जिसमे हम अक्सर अपना संतुलन खो देते हैं। ऐसी परिस्थितियों में किस तरह से सभी चीज़ों को संभालना चाहिए यह सब कुछ इस फिल्म में दिखता है। 2 घंटे 46 मिनट्स की यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म बेहद ही दिलचस्प है। इसको आप आज भी खुश होकर देख सकते हैं। इसकी कहानी इस तरह से आपको बांधे रखती है।