Movie Nurture: Nartaki

Nartaki رقاصہ :Major Cinematic-Essay के नाम से प्रसिद्ध

Bollywood Films Hindi Movie Review old Films Top Stories

 

हिंदी और बंगाली में बनी हुयी फिल्म नर्तकी رقاصہ सिनेमाघरों में 24 दिसम्बर 1940 को आयी थी। इस फिल्म का निर्देशन और लेखन देबकी बोस ने किया था, जिनका हिंदी और बंगाली सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

नर्तकी फिल्म सोलहवीं शताब्दी के समाज के एक ऐसे चेहरे का वर्णन करती है जहां पर एक वेश्या के साथ हो रहे वयवहार की कहानी को बताता है।

नर्तकी एक तरफ जहां व्यावसायिक रूप से सफल फिल्म बनी वहीँ दूसरी तरफ यह आलोचकों द्वारा नहीं सराही गयी उनको सिर्फ इसमें युसुफ मुलजी की सिनेमेटोग्राफी पसंद आयी। और पंकज मुलिक का संगीत फिल्म को थोड़ा अच्छा बनाने की कोशिश करता है। बाद में इस फिल्म को नर्तक के जीवन का “Major Cinematic-Essay” कहा जाने लगा।

Movie Nurture: Nartaki

Story Line

फिल्म की कहानी शुरू होती है एक प्रसिद्ध दरबारी नर्तकी रूपकुमारी के साथ, जिसकी खूबसूरती की चर्चा राज्य भर के साथ – साथ पडोसी राज्यों में भी थी। महाराजा की खास होने के साथ साथ उसको अपनी खूबसूरती पर भी गुमान था। उसको यह लगता था कि राजा की छत्रछाया में वह कुछ भी कर सकती है।

मगर एक दिन जब वह मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करती है तो वह उस मंदिर के अनुशासित पुजारी ज्ञानानंदजी के द्वारा रोकी जाती है मंदिर में कभी ना प्रवेश करने की चेतावनी के साथ। रूपकुमारी को यह रोक अपने अपमानित होने का अहसास कराती रहती है। अब उसका एक ही लक्ष्य होता है मंदिर में प्रवेश करना। इसके लिए वह महाराजा की भी मदद लेती है और उनके द्वारा मुख्य पुजारी से निवेदन करवाती है। मगर मुख्य पुजारी राजा के निवेदन को अस्वीकार कर देते हैं।

जब इस तरकीब से भी बात ना बनी तो रूपकुमारी ने कुछ और तरीके से प्रवेश करने की बात सोची , और उसमे उसने एक योजना बनाई , जिसके तरह वह मुख्य पुजारी के बेटे सत्यसुंदर, जो बहुत जल्द मुख्य पुजारी बनने वाला है राज्य का, उसको अपने प्रेम के वश में करना और मंदिर में प्रवेश करना।

Movie Nurture: Nartaki

बहुत जल्द दोनों का मेलजोल प्रेम में बदल जाता है और जब यह बात पुजारी ज्ञानानंदजी को पता चलती है तो वह अपने बेटे को मठ से निकाल देता है। इसके बाद रूपकुमारी सत्यसुंदर को अपने घर ले जाती है। कुछ ही समय बाद सत्यसुंदर बहुत बीमार पड़ जाता है।उसके बाद रूपकुमारी उसकी सेवा करती है। और जल्द ही सत्यसुंदर स्वस्थ हो जाता है। मगर इस सेवा से रूपकुमारी का ह्र्दय परिवर्तित होता है और वह सब कुछ छोड़कर दिव्य प्रेम की तलाश में जाती है। और दूसरी तरफ सत्यसुंदर रूपकुमारी को छोड़कर वापस मठ लोट आता है और एक पुजारी बनकर जीवन भगवान की सेवा करता है।

Songs & Cast

150 मिनट्स की इस फिल्म में संगीत पंकज मल्लिक का है और इस फिल्म के गाने उस समय में सुपरहिट रहे। और फिल्म के गीत लीला देसाई, पंकज मलिक और राधा रानी द्वारा गाए गए थे – “प्रेम का नाता छूटा”, “ये कौन आज आया सवेरे सवेरे”, “रट शिव नाम की माला”, “कौन तुझे समझावे मुरख”, “तेरी दया से आज मुराद मिल गई”

प्रसिद्ध अभिनेत्री लीला देसाई ने हिंदी और बंगाली फिल्म दोनों में ही मुख्य किरदार रूपकुमारी को निभाया। सत्यसुंदर को नज़म ने , मगर नज़म का काम जनता द्वारा इतना पसंद नहीं किया गया। इस फिल्म में वास्ति के काम को बेहद पसंद किया गया उन्होंने फिल्म में पुजारी ज्ञानानंदजी का किरदार निभाया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *