द कोचमैन (1961) कांग डे-जिन द्वारा निर्देशित एक दक्षिण कोरियाई फिल्म है, जिसका निर्देशन कांग डे-जिन ने किया था और यह फिल्म 15 फरवरी 1961 को रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म में किम सेउंग-हो और शिन यंग-क्युन ने मुख्य भूमिका निभाई।
यह फिल्म हा चुन-सैम की कहानी बताती है, जो एक अकेला पिता है जो घोड़े से खींची जाने वाली गाड़ी के कोचमैन के रूप में काम करता है। उसे अपने जीवन में विभिन्न चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे गरीबी, कर्ज, बीमारी और सामाजिक कलंक।

वह अपने तीन वयस्क बच्चों की विभिन्न आकांक्षाओं और समस्याओं से निपटने की भी कोशिश करता है: सु-एओब, जो बार परीक्षा पास करके एक सरकारी अधिकारी बनना चाहता है; ओह-ही, जो एक अमीर व्यवसायी से शादी करना चाहती है और अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि छिपाना चाहती है; और यंग-सैम, जो विद्रोही बच्चा है। चुन-सैम को अपने मालिक की नौकरानी के साथ दोस्ती में कुछ सांत्वना मिलती है, जो उसे पैसे और स्नेह देती है। मगर अपने जीवन के हर संघर्ष का सामान वह कैसे करता है यह फिल्म का बेहद मजबूत हिस्सा है।
यह फिल्म युद्ध के बाद कोरिया में श्रमिक वर्ग के संघर्षों के साथ-साथ देश के तेजी से आधुनिकीकरण और शहरीकरण से उत्पन्न होने वाले पीढ़ीगत और सांस्कृतिक संघर्षों का एक यथार्थवादी और मार्मिक चित्रण है। फिल्म गरिमा, परिवार, वफादारी और आशा जैसे विषयों के साथ-साथ सामाजिक असमानताओं और अन्यायों को दर्शाती है जो हाशिये पर पड़े और उत्पीड़ितों के जीवन को प्रभावित करते हैं। यह फिल्म निर्देशक के व्यक्तिगत अनुभवों और विचारों को भी दर्शाती है, क्योंकि फिल्म निर्माता बनने से पहले वह खुद एक कोचमैन थे।

फिल्म को समीक्षकों और दर्शकों दोनों ने खूब सराहा और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते। यह 1961 में 11वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, सिल्वर बियर एक्स्ट्राऑर्डिनरी जूरी पुरस्कार जीतने वाली पहली कोरियाई फिल्म थी। इसकी छायांकन, संपादन, संगीत और अभिनय के लिए भी इसकी प्रशंसा की गई, विशेष रूप से किम सेउंग द्वारा- हो, जिन्होंने चुन-सैम की भूमिका निभाई। यह फिल्म कोरियाई सिनेमा की क्लासिक्स और 1960 के दशक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाती है। इसे कई बार पुनर्स्थापित और पुनः जारी किया गया है, और आज भी इसे व्यापक रूप से देखा और सराहा जाता है।